रूस पर कई बार अपने विरोधियों को जान से मारने या इसकी कोशिश करने के आरोप लग चुके हैं। रूस के विपक्षी नेता एलेक्सी नवलनी को चाय में जहर देकर मारने की कोशिश इसकी ही एक कड़ी मात्र दिखाई देती है। नवलनी को राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन का घोर विरोधी माना जाता है। इस घटना के बाद से ही उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है और वो कोमा में हैं। उनकी प्रवक्ता के मुताबिक साइबेरिया से लौटते हुए विमान में उनकी तबियत खराब हो गई थी जिसके बाद उनके विमान की इमरजेंसी लैंडिंग करवाई गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती करवाया गया।
प्रवक्ता के मुताबिक उन्हें जहर देकर मारने की कोशिश की गई है। नवलनी के साथ हुई इस घटना के बाद ब्रिटेन एक बार फिर से रूस के खिलाफ आ खड़ा हुआ है। ब्रिटेन के विदेश मंत्री डोमनिक राब ने कहा है कि नवलनी को जहर देकर मारने की कोशिश की गई है। जहां तक ब्रिटेन की बात है तो आपको बता दें कि ब्रिटेन इसी तरह के एक अन्य मामले में भी रूस के खिलाफ खड़ा हुआ था। हम आपको यहां पर ऐसे लोगों के बारे में बता रहे हैं जिन्हें इसी तरह से जहर देकर या तो मारा गया या मारने की कोशिश की गई। इन सभी के लिए रूस की सरकार पर खासतौर पर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर अंगुली उठती रही है।
रूस के विपक्षी कार्यकर्ता व्लादिमीर कारामुर्जा के मुताबिक उन्हें 2015 से 2017 के बीच कई बार जहर देकर मारने की कोशिश की गई थी। हालांकि रूस ने उनके आरोपों का हर बार खंडन किया है लेकिन उनके मुताबिक जर्मनी की प्रयोगशाला में हुए टेस्ट के दौरान उनके शरीर में तीव्र स्तर का पारा, तांबा, मैगनीज और जिंक के अवशेष मिले थे। वो ये भी मानते हैं कि वो अब तक अपनी किस्मत के दम पर ही इस तरह की घटनाओं में बचते रहे हैं।
रूस और यूक्रेन के बीच काफी पुरानी तकरार है। यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति विक्टर युशचेंकों ने भी रूस के ऊपर उनकी हत्या की कोशिश करने के आरोप लगाए हैं। उनके मुताबिक वर्ष 2004 में उनके चेहरे पर राष्ट्रपति पद के लिए किए जा रहे चुनाव प्रचार के दौरान जहरीला पदार्थ फेंका गया था। उस वक्त वो तत्कालीन प्रधानमंत्री और रूस समर्थक विक्टर यानुकोविच के खिलाफ मैदान में थे। उनके मुताबिक इस हमले के बाद उनके चेहरे की कई बार सर्जरी की गई लेकिन वो निशान खत्म नहीं किए जा सके। हालांकि रूस ने हमेशा ही उनके ऊपर हुए हमलों में अपना हाथ होने का भी खंडन किया है।
नवंबर 2012 में 44 वर्षीय रूसी नागरिक एलेक्जेंडर पेरेपीलिछनी को उनके घर में मृत पाया गया था। कहा जाता है कि उन्होंने रूस में मनी लॉन्ड्रिंग की छानबीन करने वाली एक स्विस एजेंसी की जांच में मदद की थी। इसके बाद वो रूस से भागकर ब्रिटेन आ गए थे। उनकी इस तरह से हुई मौत के बाद संदेह की सूईं रूस की तरफ ही मुड़ी थी। हालांकि रूस ने इसमें भी अपना हाथ होने से साफ इनकार कर दिया था।
केजीबी के पू्र्व जासूस एलेक्जेंडर लितविनेंको की लंदन के मिलेनियम होटल चाय में जहर हत्या कर दी गई थी। जांच के दौरान उनकी चाय में जहरीला पदार्थ पोलोनियम-210 मिला था। एलेक्जेंडर को पुतिन का घोर विरोधी माना जाता था। उनकी इस तरह से हत्या के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर इसका आदेश देने के आरोप लगे थे। हालांकि रूसी सरकार इससे हमेशा इनकार करती रही है।
शीत युद्ध के दौर में एक बुल्गारियाई विद्रोही मारकोव की जहरीली नोक वाले एक छाते से हत्या कर दी गई थी। मारकोव एक लेखक और पत्रकार थे। वो रूस की कम्युनिस्ट सरकार के कटु आलोचक भी थे। 11 सितंबर 1978 को उनकी मौत हो गई थी। उनके समर्थकों ने इस हत्या के पीछे सोवियत खुफिया एजेंसी केजीबी को जिम्मेदार ठहराया था।