कानपुर। दिल्ली-NCR में बार-बार आ रहे भूकंप के झटकों से लोगों में दहशत का माहौल है. बीते 2 महीने में करीब 14 बार दिल्ली-NCR में धरती में कंपन महसूस की गई है. लोगों में अब इस बात को लेकर चर्चा है कि कहीं ये कंपन विनाशकारी भूकंप के संकेत तो नहीं हैं? इस बीच IIT कानपुर के एक प्रोफेसर ने दिल्ली-NCR में बार-बार आ रहे भूकंप के झटकों को लेकर थोड़ी राहत देने वाली जानकारी दी है, तो वहीं भविष्य के लिए आगाह भी किया है.
दिल्ली-NCR में बार-बार आ रहे हल्के भूकंप के झटकों पर IIT कानपुर के अर्थ साइंस डिपार्टमेंट के प्रोफेसर जावेद एन मलिक का दावा है कि आने वाले वक्त में इस तरह के झटके आते रहेंगे. क्योंकि इंडियन प्लेट तिब्बतियन प्लेट के नीचे जा रही है. ये दोनों प्लेट्स आपस में कोलाइड कर रहीं हैं. साथ ही जियोलॉजिकल स्ट्रक्चर यूपी-दिल्ली-हरिद्वार रिच माना जाता है. जोकि अरावली की शाखाओं से जुड़ा हुआ है. यह जियोलॉजिकल स्ट्रक्चर भी इंडियन और तिब्बतियन प्लेट के नीचे टकरा रहा है.
प्रोफेसर जावेद एन मलिक के मुताबिक यूपी-दिल्ली-हरिद्वार के जियोलॉजिकल स्ट्रक्चर के इंडियन और तिब्बतियन प्लेट से टकराने से उस पर भी प्रेशर आ रहा है. इसी तरह से जो दूसरे रिग्स हैं, जिसमें दूसरा रिग फैजाबाद और तीसरा रिग सहारनपुर है, यह तीनों इंडियन प्लेट्स के नीचे टकरा रहे हैं और खींचे जा रहे हैं. इसके कारण हल्के भूकंप के झटकों की संभावना है. हालांकि, कोई बड़ा भूकंप आने की आशंका नहीं है. लेकिन प्रोफेसर ने सुझाव दिया है कि जिस तरह सरकार एक्टिव फॉल्ट मैपिंग हिमालय में करवा रही है वैसे ही दिल्ली में करा ली जाए.
उत्तराखंड-पंजाब का इलाका अलग तरीके का
प्रोफसर जावेद के मुताबिक, हिमालयन जोन में जहां रिसर्च चल रही है, वहां बड़ा भूकंप आने की संभावनाएं है. एक्टिव फॉल्ट मैपिंग के जरिए पता चला है कि उत्तराखंड से लेकर पंजाब तक का इलाका अलग तरीके से बर्ताव कर रहा है, सभी जगह स्थितियां एक सी नहीं हैं. जिस तरह से हमने देखा कि नेपाल में बहुत सारे भूकंप आए हैं. लेकिन कई सालों से हिमाचल, पंजाब और उत्तराखंड के इलाके में बड़ा भूकंप नहीं आया है जिसके चलते इन इलाकों में संभावना ज्यादा हो सकती है.
दिल्ली-एनसीआर के 270 किलोमीटर दायरे में खतरा
प्रोफेसर जावेद का कहना है कि अगर भविष्य में उत्तराखंड या हिमाचल में 7 की तीव्रता से अधिक के भूकंप आते हैं तो जाहिर तौर पर यह आसपास के सभी बड़े शहरों पर अपना प्रभाव दिखाएंगे. अगर हिमाचल में भूकंप आता है तो दिल्ली-एनसीआर का करीब 270 किलोमीटर का इलाका प्रभावित होगा. 7.5 तीव्रता के आसपास का भूकंप आने पर 300 से 350 किलोमीटर का इलाका प्रभावित होगा. जिसमें कुछ इलाके राजस्थान और पंजाब के भी प्रभावित होंगे. वहीं, उत्तराखंड में भूकंप आता है तो लगभग ढाई सौ से 300 किलोमीटर का इलाका प्रभावित होगा. जिसमें उत्तर प्रदेश के कई बड़े शहर और दिल्ली भी शामिल हैं.
डिजिटल फॉल्ट मैपिंग हो सकती है कारगर
डिजिटल फॉल्ट मैपिंग वाले प्रोजेक्ट पर प्रो जावेद ने बताया कि इससे फायदा होगा कि हर पल के बारे में जानकारी मिल पाएगी और यह यूजर फ्रेंडली प्लेटफॉर्म पर भी होगा. हालांकि, इसमें जीआईएस एक्सपर्ट्स को भी इन्वॉल्व किया जाएगा. हमारा प्रयास रहेगा कि कोई भी यूजर फॉल्ट लाइन पर क्लिक करके पूरी जानकारी प्राप्त कर सके. जिसमें पहले कितने भूकंप आए हैं, उसका वहां पर क्या प्रभाव रहा है या भविष्य में भूकंप आने की क्या संभावना है और कितना प्रभावशाली रहेगा जिससे कि उन इलाकों को छोड़कर अलग जगह पर निर्माण कार्य किया जा सकेगा. साथ ही यह भी पता चल सकेगा कि स्पोर्ट लाइन पर आने वाले भूकंप से कितना एरिया प्रभावित होगा. उन्होंने कहा कि चिंता इसलिए बढ़ जाती है क्योंकि अधिकतर इलाका indo gangetic plain में है, जो काफी प्रभावित हो सकता है.