ढाका। कोरोना वायरस (coronavirus) ने पूरी दुनिया को मुश्किल में ला दिया है लेकिन इससे जूझना तब और भी मुश्किल हो जाता है जब इसका संक्रमण घनी आबादी वाले इलाकों में पहुंच जाता है. जैसा कि भारत में मुंबई की धारावी स्लम में हुआ. यहां कोरोना करीब 1000 लोगों को संक्रमित कर चुका है. ऐसी ही एक चिंताजनक खबर बांग्लादेश की है. बांग्लादेश (Bangladesh) में दुनिया के सबसे बड़े शरणार्थी शिविर में दो लोगों में कोरोनो वायरस संक्रमण की पुष्टि हुई है. दोनों संक्रमित व्यक्ति रोहिंग्या हैं. अधिकारियों के अनुसार, कॉक्स बाजार में शरणार्थियों के बीच पुष्टि किए गए ये पहले मामले हैं. बता दें कि यह इलाका लगभग 10 लाख रोहिंग्याओं का डेरा है.
संयुक्त राष्ट्र ने पुष्टि की है कि कॉक्स बाजार में एक रोहिंग्या शरणार्थी और एक अन्य व्यक्ति का कोविड -19 परीक्षण पॉजिटिव आया था. संयुक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी ने एक बयान में कहा, “ये दोनों रोगी आइसोलेशन में हैं और इनके संपर्क में आए लोगों के लिए ट्रेसिंग चल रही है.”
कॉक्स बाजार का यह शिविर दुनिया के कुछ सबसे व्यस्त शहरों की तुलना में भी अधिक घनी आबादी वाला है और यहां वायरस को फैलने से रोकने के लिए 14 मार्च से लॉकडाउन किया गया है. 10 लाख रोहिंग्या शरणार्थियों की मेजबानी करने वाले इस विशाल शिविर में पहली बार कोरोना वायरस का पता चलने के बाद सहायता समूहों ने एक मानवीय आपदा के बारे में चेतावनी दी है.
इन समूहों को डर है कि वायरस शिविरों के माध्यम से तेजी से फैल क्योंकि यहां 10 लोगों के परिवार एक कमरे में रहते हैं. इतना ही नहीं इनकी साबुन और साफ पानी जैसे बुनियादी चीजों तक पहुंच भी सीमित है. सामुदायिक वितरण केन्द्रों पर पीने के पानी और भोजन तक पहुंचने के लिए परिवारों को कतार में लगना पड़ता है, ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना असंभव हो जाता है. कई शरणार्थी जो म्यांमार में उत्पीड़न से बच गए थे, स्वास्थ्य विशेषज्ञों के अनुसार उन्हें स्टैंडर्ड इम्युनाइजेशन भी नहीं मिला है. रोहिंग्या देश के कई जातीय अल्पसंख्यकों में से एक हैं और उन्होंने पीढ़ियों से उत्पीड़न का सामना किया है.