‘गो बैक केजरीवाल’: बलिदानी रतन लाल के परिवार से मिलने पहुँचे CM को जनता ने गरिया कर भगाया

नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल गोकुलपुरी थाने के वीरगति को प्राप्त हेड कॉन्स्टेबल ऑफ पुलिस रतन लाल के यहाँ पीड़ित परिवार से मिलने गए थे, जहाँ से उन्हें भगा दिया गया। जनता ने दिल्ली के मुखिया के विरुद्ध जम कर नारेबाजी की और उन्हें पीड़ित परिवार से मिले बिना ही वापस जाना पड़ा। बता दें कि केजरीवाल दिल्ली में हिंसा भड़कने के बाद ही तरह-तरह से ड्रामे करने में लगे हुए हैं और कभी राजघाट पर मौन धरना दे रहे हैं तो कभी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर के गृह मंत्रालय से एक्शन लेने की अपील कर रहे हैं। ऐसे में, लोग अरविन्द केजरीवाल से नाराज़ हैं और उसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा।

ज्ञात हो कि नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में सीएए विरोधी दंगाइयों ने सोमवार (फरवरी 24, 2020) को रतन लाल को मार डाला था। वो एक जाँबाज पुलिस अधिकारी थे, जो कोई भी कठिन टास्क आने पर उसे तुरंत लपक लेते थे और निकल पड़ते थे। उन्होंने ही 2013 में दो आदिवासी महिलाओं के साथ हुए बलात्कार के मुख्य आरोपित को धर दबोचा था। रतन लाल की पत्नी छोटे-छोटे बच्चे हैं, जो पूछ रहे हैं कि उनके पापा का क्या कसूर था कि उन्हें मार डाला गया? उन्होंने अपनी माँ से वादा किया था कि वो अबकी होली राजस्थान के सीकर स्थित अपने गाँव फतेहपुर तिहावली में पूरे परिवार के साथ मनाएँगे। उनका ये वादा अधूरा ही रह गया।

अरविन्द केजरीवाल और दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया वीरगति को प्राप्त रतन लाल के परिवार से मिलने जैसे ही पहुँचे, आक्रोशित लोगों ने ‘केजरीवाल, वापस जाओ’ और ‘गो बैक केजरीवाल’ के नारे लगाने शुरू कर दिए। साथ ही, कुछ अश्लील गालियाँ भी दीं। नीचे संलग्न किए गए वीडियो में आप देख सकते हैं कि कैसे केजरीवाल को लोगों के विरोध के कारण सिसोदिया के साथ उलटे पाँव वापस लौटना पड़ा:

रतन लाल के छोटे भाई ने बताया कि रतन शुरू से ही पुलिस की वर्दी पहनना चाहते थे। उनके भीतर धैर्य की अद्भुत क्षमता थी। उनके भाई बताते हैं कि उन्होंने कभी रतनलाल को आपा खोते या किसी पर चिल्लाते नहीं देखा था। क़रीब एक महीने पहले पूरा परिवार मिला था, जब एक रिश्तेदार की मौत हो गई थी। उनके छोटे भाई दिनेश कहते हैं कि आज उन्होंने अपने भाई को खोया है, कल को उनकी जगह कोई और हो सकता है।

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