नई दिल्ली। कर्नाटक के सियासी संकट के बीच 16 बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है. बागी विधायकों की ओर से वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी अपना पक्ष रख रहे हैं. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने मुकुल रोहतगी से पूछा कि अब तक क्या कुछ डेवलपमेंट है. रोहतगी ने कोर्ट को बताया कि 10 विधायकों के इस्तीफे पर स्पीकर को फैसला लेना है जो कि अभी पेंडिंग है, 10 विधायक पहले ही स्पीकर के सामने पेश हो चुके हैं.
मुकुल रोहतगी ने कहा कि स्पीकर के सामने विधायकों को अयोग्य करार दिये जाने की मांग का लंबित होना,उन्हें इस्तीफे पर फैसला लेने से नहीं रोकता, ये दोनों अलग अलग मामले हैं. CJI के पूछने पर रोहतगी सिलसिलेवार तरीके से पहले दिन से बदलते घटनाक्रम की जानकरी कोर्ट को दे रहे है. मुकुल रोहतगी ने कहा कि अगर स्पीकर इन विधायकों के इस्तीफे पर फैसला करते हैं तो राज्य की सरकार अल्पमत में आ जायेगी, 18 तारीख़ को विश्वासमत है.
इसके साथ ही वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि विधायक ये नहीं कह रहे कि अयोग्य करार दिए जाने की कार्यवाही खारिज की जाए वो चलती रहे, लेकिन अब वो विधायक नहीं रहना चाहते. वो जनता के बीच जाना चाहते हैं, ये उनका अधिकार है. स्पीकर बेवजह बाधा डाल रहे है. अगर कोर्ट पहुंचे विधायकों की संख्या हटा दी जाए, तो ये सरकार अल्पमत में है.
रोहतगी ने कहा कि अयोग्य ठहराने की कोई ठोस वजह नहीं है, इसीलिए अभी तक फैसला लटका हुआ है. बागी विधायकों के वकील रोहतगी ने कहा कि मैं अगर विधायक नहीं बने रहना चाहता हूं तो मुझे इस पद पर बने रहने के लिए कोई बाध्य नहीं कर सकता. मेरा इस्तीफा स्वीकार होना ही चाहिए. मैं पब्लिक में वापस जाना चाहता हूं. ये मेरा अधिकार है और मेरा अधिकार प्रभावित नहीं किया जा सकता.
इसके साथ ही रोहतगी ने ये भी कहा कि स्पीकर के पास विधायकों की अयोग्यता का केस स्पष्ट नहीं है. यही कारण है कि 2 फरवरी से अयोग्यता मामले पर अर्जी अभी तक लंबित है. जबकि विधायकों की अयोग्यता की दूसरी अर्जी 10 जुलाई को दायर की गई.
रोहतगी ने कहा कि अयोग्य करार दिए जाने की कार्यवाही शुरू क्यों की गई, सिर्फ इसलिए क्योंकि वो पार्टी के अनुशासित सिपाही की तरह काम नहीं कर रहे थे. पार्टी मीटिंग अटेंड नहीं कर रहे थे. हमारा कहने का मतलब ये नहीं कि इस कार्यवाही पर स्पीकर फैसला नहीं ले सकता. हमारी आपत्ति सिर्फ इस बात को लेकर है कि इसके चलते इस्तीफे को लेकर फैसला रोका नहीं जा सकता.
इस पर चीफ जस्टिस ने बाग़ी विधायकों के वकील मुकुल रोहतगी की दलीलों पर टिप्पणी की. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट स्पीकर को नहीं कह सकता है कि वह विधायकों के इस्तीफ़े या अयोग्य ठहराने की कार्रवाई किस तरह करें, कोर्ट स्पीकर को इसके लिए रोक या बाधित नहीं कर सकती है. हमारे सामने सवाल महज इतना है कि क्या कोई ऐसी संवैधानिक बाध्यता है कि स्पीकर अयोग्य करार दिए जाने की मांग से पहले इस्तीफे पर फैसला लेंगे या दोनों पर एक साथ फैसला लेंगे.
इससे पहले बागी विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर स्पीकर के फैसले पर सवाल उठाए थे. विधानसभा अध्यक्ष केआर रमेश कुमार इस्तीफे को खारिज कर दिया था. इसके खारिज करने की वजह इस्तीफा तय फॉर्मेट में नहीं होना बताया गया था. स्पीकर ने इन विधायकों को अब दोबारा इस्तीफा सौंपने के लिए कहा था. इस्तीफों के खारिज होने के बाद गठबंधन सरकार अल्पमत में आने से बच गई है और उसे थोड़ी राहत मिली थी.
आपको बता दें कि बागी विधायकों के इस्तीफों के बाद सदन में गठबंधन सरकार के विधायक घटकर 103 हो गए हैं. जबकि भाजपा के पास 105 विधायक हैं और दो निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन है जिन्होंने सोमवार को गठबंधन से समर्थन वापस ले लिया था. सभी बागी विधायकों ने महाराष्ट्र में किसी गुप्त जगह पर डेरा डालकर रखा है. कांग्रेस के कई शीर्ष नेता और इसके संकटमोचक डीके शिवकुमार बागी नेताओं के साथ लगातार संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन वह अभी तक कामयाब नहीं हो पाए है. कांग्रेस को उम्मीद है कि वह बागी विधायकों से बात कर उन्हें मना लेंगे और वापस पार्टी में शामिल करने में सफल होंगे.