जम्मू। अलगाववादियों की ओर से बुलाए गए बंद के कारण शनिवार को अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2019) स्थगित कर दी गई और तीर्थयात्रियों को जम्मू से कश्मीर घाटी की ओर जाने की अनुमति नहीं दी गई. पुलिस ने यह जानकारी दी. पुलिस सूत्र ने बताया, ‘अलगाववादियों की ओर से बंद का ऐलान करने के बाद कानून-व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए जम्मू से श्रीनगर जाने वाले तीर्थयात्रियों की आवाजाही आज स्थगित रहेगी.’
वर्ष 1931 में डोगरा महाराजा की सेना की ओर से श्रीनगर सेंट्रल जेल के बाहर गोलीबारी में मारे गए लोगों की याद में जम्मू एवं कश्मीर में 13 जुलाई को शहीदी दिवस के रूप में मनाया जाता है.
वहीं, राज्य सरकार इस दिन को 1947 में आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के प्रति सम्मान के तौर पर मनाती है. 1 जुलाई से शुरू हुई अमरनाथ की वार्षिक तीर्थयात्रा में 1.50 लाख से अधिक तीर्थयात्री अब तक बाबा बर्फानी का दर्शन कर चुके हैं. इस वर्ष 15 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के दिन अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2019) समाप्त होगी.
अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2019) के दो तीर्थयात्रियों की शुक्रवार को मौत हो गई. पुलिस ने यह जानकारी दी. पुलिस सूत्रों के अनुसार, गुजरात के 65 वर्षीय श्रीकांत दोशी और झारखंड के 55 वर्षीय शशि कुमार का आज (शुक्रवार को) यात्रा के दौरान निधन हो गया.
सूत्रों ने कहा, ‘श्रीकांत दोशी का निधन पारंपरिक पहलगाम-गुफा तीर्थ मार्ग पर शेषनाग पड़ाव में हुआ, जबकि शशि कुमार की यात्रा के बाद रुकते समय मृत्यु हो गई.’ उन्होंने कहा, ‘दोनों ही मामलों में मौत के कारणों की जांच की जा रही है.’
11 दिनों में 1.44 लाख श्रद्धालुओं ने अमरनाथ यात्री की
अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2019) के लिए शुक्रवार को जम्मू से 5,395 श्रद्धालुओं का एक और जत्था रवाना हुआ. इस साल एक जुलाई से यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 1.44 लाख से अधिक श्रद्धालु समुद्र तल से 3,888 मीटर ऊपर स्थित बाबा बफार्नी के दर्शन कर चुके हैं. अधिकारियों ने कहा कि एक जुलाई को यात्रा शुरू होने के बाद से अब तक 11 दिनों में 1,44,058 श्रद्धालुओं ने पवित्र शिवलिंग के दर्शन कर लिए हैं.
श्रद्धालुओं के अनुसार, अमरनाथ गुफा में बर्फ की विशाल संरचना बनती है जो भगवान शिव की पौराणिक शक्तियों की प्रतीक है. तीर्थयात्री पवित्र गुफा तक जाने के लिए या तो अपेक्षाकृत छोटे 14 किलोमीटर लंबे बालटाल मार्ग से जाते हैं या 45 किलोमीटर लंबे पहलगाम मार्ग से जाते हैं.
दोनों आधार शिविरों पर हालांकि तीर्थ यात्रियों के लिए हैलीकॉप्टर की सेवाएं हैं. बर्फ की आकृति चंद्रमा की गति के साथ-साथ अपनी संरचना बदलती है. स्थानीय मुस्लिमों ने भी हिंदू तीर्थयात्रियों की सुविधा और आसानी से यात्रा सुनिश्चित कराने के लिए बढ़-चढ़कर सहायता की है.
किवदंतियों के अनुसार, एक सूफी संत ने चरवाहे को कोयले से भरा एक बैग दिया था, बाद में कोयला सोने में बदल गया था. लगभग 150 सालों से चरवाहे के वंशजों को पवित्र गुफा पर आने वाले चड़ावे का कुछ भाग दिया जाता है. इस साल 45 दिवसीय अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra 2019) का समापन 15 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा के साथ होगा.