नई दिल्ली। संसद में गुरुवार को वर्ष 2018-19 की आर्थिक समीक्षा पेश की गई. आर्थिक समीक्षा में एक अनूठी सलाह दी गई है जिसे अगर सरकार ने माना तो देश में लाखों सरकारी कर्मचारियों को फायदा होगा.
असल में आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र बढ़ानी चाहिए. इसके पीछे तर्क यह दिया गया है कि देश में लोगों की जीवन प्रत्याशा काफी बढ़ रही है और अगले वर्षों में वरिष्ठ लोगों की संख्या बहुत ज्यादा होगी.
केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने संसद में गुरुवार को 2018-19 की आर्थिक समीक्षा पेश की. इकोनॉमिक सर्वे पर प्रकाश डालते हुए मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के. सुब्रमण्यन ने कहा, ‘लोगों की जीवन प्रत्याशा बढ़ रही है, इसलिए हमने कहा कि रिटायरमेंट एज बढ़ानी चाहिए. दूसरे देशों में ऐसा हो चुका है. अगले दशकों में जनसंख्या में काफी बदलाव आएगा.’
समीक्षा में कहा गया है, ‘भारत में जीवन प्रत्याशा औसतन 60 वर्ष होने लगी है यानी 60 वर्ष आयु के लोग भी अब पूरी तरह स्वस्थ रहते है. महिला और पुरुषों के जीवन प्रत्याशा में लगातार हो रही बढ़ोतरी अन्य देशों के अनुरूप है. ऐसे में यह पेंशन प्रणाली की व्यवहार्यता और महिला श्रम बल में वृद्धि में बड़ी भूमिका निभा सकती है.’
जनसंख्या वृद्धि दर में काफी गिरावट होगी
आर्थिक समीक्षा में भारत की जनसंख्या पर प्रकाश डालते हुए कहा गया है कि आने वाले दो दशकों में देश की जनसंख्या वृद्धि दर में काफी गिरावट देखी जाएगी. हालांकि बड़ी संख्या में युवा आबादी की वजह से देश को जनसांख्यिकीय लाभांश का फायदा मिलता रहेगा, लेकिन 2030 की शुरूआत से कुछ राज्यों में जनसंख्या स्वरूप में बदलाव से अधिक आयु वाले लोगों की तदाद बढ़ेगी.
सर्वे के अनुसार, ‘इन राज्यों की आबादी में बदलाव की प्रक्रिया काफी आगे बढ़ चुकी है. वर्ष 2041 के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर जनसंख्या अनुमान यह दर्शाता है कि भारत जनसंख्या स्वरूप में बदलाव के अगले चरण में पहुंच चुका है. आने वाले दो दशकों में जनसंख्या वृद्धि दर में भारी गिरावट, कुल गर्भधारण दर में हाल के वर्षों में आई कमी तथा 2021 तक इसका और कम हो जाना इसकी प्रमुख वजह होगी. ऐसे समय जबकि सभी प्रमुख राज्यों में जनसंख्या वृद्धि दर में गिरावट देखी जा रही है बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में यह अभी भी काफी ऊंचे स्तर पर है.’
समीक्षा में कहा गया है, ‘अगले दो दशकों में देश में जनसंख्या और लोगों की आयु संरचना के पूर्वानुमान नीति-निर्धारकों के लिए स्वास्थ्य सेवा, वृद्धों की देखभाल, स्कूल सुविधाओं, रिटायरमेंट से संबंध वित्तीय सेवाएं, पेंशन कोष, आयकर राजस्व, श्रम बल, श्रमिकों की हिस्सेदारी की दर तथा सेवानिवृत्ति की आयु जैसे मुद्दों से जुड़ी नीतियां बनाना एक बड़ा काम होगा.’
कई राज्यों में शून्य हो जाएगी जनसंख्या वृद्धि दर
आर्थिक समीक्षा में जनसंख्या के स्वरूप और जनसंख्या वृद्धि के रुझानों पर कहा गया है कि देश में राज्य स्तर पर इनमें विभिन्नता दिखेगी. जिन राज्यों में जनसंख्या का स्वरूप तेजी से बदल रहा है वहां जनसंख्या वृद्धि दर 2031-41 तक लगभग शून्य हो जाएगी. जिन राज्यों में जनसंख्या संरचना बदलाव धीमा है वहां भी 2021-41 तक जनसंख्या वृद्धि दर में काफी गिरावट दिखेगी.