नई दिल्ली। एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार अब लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. सूत्रों के अनुसार उन्होंने इसके लिए माढ़ा चुनाव क्षेत्र को चुना है. पवार 77 साल की उम्र में एक बार फिर से चुनावी समर में उतरने को तैयार हैं. शरद पवार ने महाराष्ट्र में 10 से ज़्यादा सीटे का जीतने का लक्ष्य रखा है. पुणे के बारामती हॉस्टल में एनसीपी की 3 घंटे से ज़्यादा देर तक मीटिंग चली. इस मीटिंग में एनसीपी नेता शरद पवार, एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील, छगन भुजबल और माढ़ा चुनाव क्षेत्र के सांसद विजयसिंह मोहीते पाटील मौजूद थे.
इस मीटिंग में सोलापुर जिले के माढ़ा चुनाव क्षेत्र के बारे में चर्चा की गई. इसीलिए मौजूदा सांसद विजय सिंह मोहीते पाटील को भी बुलाया था. हमारे सूत्रों ने बताया की, मौजूदा सांसद विजय सिंह पाटील के ख़िलाफ़ माढ़ा चुनाव क्षेत्र में नाराज़गी होने का मुद्दा शरद पवार ने उठाया. तब मोहीते पाटील में अपने बेटे रणजीत सिंह मोहीते पाटील को टिकट देने की बात की, लेकिन शरद पवार ने मना किया. माढ़ा चुनाव क्षेत्र से सीट बचाने के लिए ख़ुद को मैदान में उतरना पड़ेगा ऐसा बताकर शरद पवार ने लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जताई.
वहीं पुणे में मीडिया से बात करते हुए एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि माढा लोकसभा संसदीय क्षेत्र सें चुनाव लडने का आग्रह एनसीपी के मेरे सभी सहकारियों ने किया है. उनके आग्रह पर मैं माढ़ा सें चुनाव लड़ने को लेकर विचार करूंगा.
2013 में कहा था अब लोकसभा नहीं…
सोलापुर जिले में माढा चुनावक्षेत्र है. 2009 में शरद पवार यहीं से जीते थे. लेकिन 2013 में शरद पवार ने लोकसभा के बजाए राज्यसभा में जाना पसंद किया. शरद पवार ने इससे पहले ही कहा थी कि लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे. लेकिन अभी बदले हुए माहौल में फिर से मैदान में उतरने की तैयारी की है. सीटें कम होंगी तो एनडीए के नेता मोदी के अलावा दूसरे नाम पर मुहर लगाएंगे.
त्रिशंकु लोकसभा में पवार को समर्थन की उम्मीद
इधर राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद का चेहरा मानने के लिए कोई तैयार नहीं है. नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ विपक्ष एकजुट हुआ है. गठबंधन की सीटें ज्यादा आती हैं तो ऐसे में मायावती, ममता, चंद्रबाबू नायडू का समर्थन शरद पवार को मिल सकता है, लेकिन प्रधानमंत्री का दावेदार बनने के लिए पवार को 10 से ज़्यादा लोकसभा सीटें जीतने होंगी. इसलिए शरद पवार के लिए एक एक सीट ज़रूरी है. प्रधानमंत्री पद की अपेक्षा ने पवार को 77 साल के बाद भी फिर एक बार चुनाव के मैदान में उतरने के लिए मजबूर किया है. देखना दिलचस्प होगा शरद पवार का दाँव कितना सटीक लगता है.