नई दिल्ली। हिंदुस्तान के सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले सियासी कुनबे के दामाद रॉबर्ट वाड्रा की कहानी फर्श से उठकर आसमान में बेरोकटोक उड़ने वाले एक ऐसे आदमी की कहानी है जिस पर हाथ डालने में हर ताकत खौफ खाती थी लेकिन जब से गांधी-नेहरू खानदान के लाडले दामाद रॉबर्ट वाड्रा ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय के राडार पर चकरघिन्नी की तरह घूम रहे हैं, तभी से वाड्रा की घुमावदार कहानी का हर सिरा आम से लेकर खास तक सबको हैरान कर रहा है।
जिस रॉबर्ट वाड्रा की हिंदुस्तान में खरबों की सल्तनत का कोई ओर-छोर जांच एजेंसियां को भी समझ में नहीं आ रहा है, उस रॉबर्ट वाड्रा की कहानी का एक सिरा पाकिस्तान से भी जुड़ा है। कौड़ियों से शुरुआत कर खरबों में खेलने वाले रॉबर्ट वाड्रा के परिवार ने पाकिस्तान से आकर हिंदुस्तान में पनाह ली थी।
देश की आजादी से पहले वाड्रा का खानदान पाकिस्तान के सियालकोट में रहा करता था। बंटवारे के बाद रॉबर्ट वाड्रा के दादा हुकुम राय वाड्रा भारत आकर बस गए थे। वाड्रा के परिवार ने पाकिस्तान से आने के बाद पहले बेंगलुरु में अपना ठिकाना तलाशने की कोशिश की लेकिन बाद में वाड्रा परिवार मुरादाबाद में आकर बस गया। इसके बाद वाड्रा परिवार का देश के सबसे बड़े सियासी खानदान से ऐसा गहरा रिश्ता जुड़ा, जिसने सभी को भौंचक्का कर दिया।
यूपी के मुरादाबाद का वो लड़का जिसे एक छोटे से मोहल्ले के बाहर कोई नहीं जानता था, उसकी किस्मत रातों-रात एक लड़की ने 360 डिग्री पलट कर रख दी। 18 अप्रैल 1969 में मुरादाबाद के एक छोटे से गांव में रॉर्बट वाड्रा का जन्म हुआ था। वाड्रा के पिता का पीतल का मामूली सा कारोबार था।
दिनभर की कड़ी मेहनत से वाड्रा के पिता राजेंद्र वाड्रा घर चलाने लायक पैसा कमा पाते थे। कहते हैं कि एक वक्त वो भी था जब वाड्रा मुरादाबाद की गलियों में परिवार के साथ रिक्शे पर घूमा करते थे। घर में गाड़ी तो दूर एक स्कूटर तक नहीं था लेकिन प्रियंका गांधी के रॉर्बट वाड्रा की जिंदगी में आते ही एक मामूली लड़का चंद महीनों में महाराजा बन गया। यहां तक की प्रियंका गांधी से रिशता जुड़ने से पहले तक वाड़्रा एक पुरानी जिप्सी में घूमते नजर आते थे। ये जिप्सी वाड्रा के पिता ने पाई-पाई बचाकर खरीदी थी।