उत्तर प्रदेश के हाथरस में हुए भगदड़ के दर्दनाक हादसे के बाद हर कोई स्तब्ध है। यह हादसा नारायण साकार उर्फ भोले बाबा के सत्संग के दौरान हुआ। बाबा में आस्था रखने वाले लोगों की बड़ी तादाद यहां पहुंची थी। अब बाबा और कार्यक्रम के आयोजकों पर सवाल उठ रहे हैं और उनके आश्रम से जुड़े कई राज भी सामने आने लगे हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से लिखा जा रहा है कि बाबा हमेशा सफ़ेद कपड़ों में रहते थे और उनके कमरे में सिर्फ लड़कियों को एंट्री मिलती थी। इस हादसे में 121 लोगों की मौत हो गई है और बड़ी तादाद में घायल भी अस्पताल में भर्ती हैं।
उत्तर प्रदेश पुलिस से भोले बाबा बनने तक का सफर
नारायण साकार विश्व हरि के भोले बाबा बनने से पहले उत्तर प्रदेश पुलिस में कांस्टेबल सूरज पाल सिंह के तौर पर जाना जाता था। सूत्रों ने बताया कि 58 वर्षीय सूरज पाल सिंह कासगंज जिले के बहादुर नगर गांव के एक दलित परिवार से है। जो हाथरस से लगभग 65 किलोमीटर दूर है। भगदड़ के बाद बाबा के गांव का दौरा करने वाले एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि लगभग एक दशक तक पुलिस बल में सेवा देने के बाद भोले बाबा (सूरज पाल सिंह) ने नौकरी छोड़ दी थी। उनकी आखिरी पोस्टिंग आगरा में थी।
जानकारी के मुताबिक सूरज पाल सिंह शादीशुदा है और उनके कोई बच्चे नहीं हैं। पुलिस बल छोड़ने के बाद अपना नाम भोले बाबा रख लिया था। जबकि उनकी पत्नी को माताश्री के नाम से जाना जाता है। बाबा ने अपने खिलाफ़ किसी साजिश के संदेह में लगभग पाँच साल पहले गाँव छोड़ दिया था।
बोले बाबा के सत्संग कथा में लाखों की भीड़ थी। जिसमें सत्संग के बाद बाबा के चरण की धूल लेने के लिए गए भक्तों के बीच भगदड़ मच गई। जिसमें 121 लोगों की मौत हो गई है। जबकि अभी भी 20 से ज्यादा लोग लापता है।