लोकसभा चुनावों से ऐन पहले फरवरी में महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के दिग्गज नेता रहे अशोक चव्हाण भाजपा में शामिल हो गए थे। खुद उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने उन्हें पार्टी में शामिल कराया था इससे पार्टी को बड़ी उम्मीद जगी थी कि चव्हाण के शामिल होने से नांदेड़ लोकसभा सीट पर भाजपा की जीत बड़े मार्जिन से होगी क्योंकि अशोक चव्हाण ने मोदी लहर होने के बावजूद 2014 में नांदेड़ से करीब 82 हजार वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी लेकिन भाजपा की उम्मीदों पर पानी फिर गया।
नांदेड़ सीट से भाजपा के उम्मीदवार और सीटिंग सांसद प्रतापराव गोविंदराव चिखलीकर करीब 60 हजार मतों के अंतर से कांग्रेस के बसंतराव चव्हाण से चुनाव हार गए। अब भाजपा इस बात पर चिंतन-मंथन कर रही है कि अशोक चव्हाण को शामिल कराने के बावजूद नांदेड़ में उसके उम्मीदवार की हार क्यों हुई? पार्टी ने नांदेड़ में हार के कारणों का पता लगाने के लिए राधाकृष्ण विखे पाटिल को निरीक्षक नियुक्त किया है, जो शनिवार को वहां जा रहे हैं।
उधर, भाजपा कैंडिडेट चिखलीकर ने विखे पाटिल के पहुंचने से पहले ही संसदीय क्षेत्र के कई विधानसभा और तालुका क्षेत्रों में बैठकें कीं और पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से फीडबैक लिया है। लोकमत की रिपोर्ट के मुताबिक, चिखलीकर इस बात से नाराज बताए जा रहे हैं कि अशोक चव्हाण उन्हें अपेक्षित वोट दिला पाने में नाकाम रहे। इन बैठकों के दौरान चिखलीकर ने कुछ ऐसे बयान दिए, जिससे उनकी नाराजगी जगजाहिर हो चुकी है। उनके बयान से पार्टी भी असमंजस में है।
खबर है कि नांदेड़ की बैठक में चिखलीकर ने पार्टी के नगर अध्यक्ष पर भी निशाना साधा। उन्होंने अशोक चव्हाण पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘अशोक चव्हाण का भाजपा में प्रवेश’ भी उनकी हार का एक कारण है; हालांकि, बाद में उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस पर सफाई दी लेकिन माना जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच मन मुटाव बढ़ता जा रहा है और पार्टी में दरार चौड़ी होती जा रही है।
चुनाव नतीजों के बाद मुंबई में भले ही अशोक चव्हाण और चिखलीकर के बीच बातचीत हुई थी लेकिन जब से चिखलीकर ने विवादित बयान दिया है, तब से चव्हाण ने उनसे दूरी बना ली है। पिछले पांच दिनों तक चव्हाण नांदेड़ में रहे लेकिन उन्होंने इस दौरान चिखलीकर से दूरी बनाए रखी और उनसे कोई बातचीत नहीं की। नांदेड़ में इन दोनों नेताओं की न तो आपस में कोई मुलाकात हो सकी और न ही बातचीत। इस वजह से पार्टी में कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। राज्य में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
पार्टी के एक वर्ग इस हार के लिए उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को ही जिम्मेदार ठहरा रहा है और उन्हें ही इसका सूत्रधार बता रहा है। बता दें कि अशोक चव्हाण मूलतः औरंगाबाद जिले की पैठण तहसील के रहने वाले हैं लेकिन उनके पूर्वज नांदेड़ में आकर बस गए थे और तब से वो नांदेडकर कहलाने लगे। पिता शंकरराव चव्हाण से उन्हें राजनीतिक विरासत मिली है जो दो बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। अशोक चव्हाण भी 8 दिसंबर 2008 से 9 नवंबर 2010 तक डेढ़ साल महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।