मुख्तार अंसारी की बांदा जेल में हार्ट अटैक आने से हुई मौत के बाद अब पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह का बयान आया है। शैलेंद्र वही पूर्व अधिकारी हैं जिन्होंने 20 साल पहले मुख्तार के खिलाफ केस किया था और बाद में उन्हें खुद ही जेल जाना पड़ा था। अंसारी की मौत की खबर सुन पूर्व डीएसपी कहते हैं मुख्तार अंसारी ने जो डर दूसरों के मन में कायम किया था, वही डर उस पर भी हावी हो गया था। अंत में हार्ट अटैक से उसकी मृत्यु हो गई।
समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए पूर्व अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, “20 साल पहले साल 2004 में मुख्तार अंसारी का साम्राज्य चरम पर था। वह उन इलाकों में खुली जीप में घूमता था जहाँ कर्फ्यू लगा हुआ था। उस समय मैंने मुख्तार से एक लाइट मशीन गन (LMG) बरामद की थी। मुख्तार से एलएमजी की वह पहली बरामदगी थी। उसके बाद आज तक कोई ऐसी रिकवरी नहीं हुई। मैंने उस पर POTA(आतंकवाद निवारण अधिनियम ) के तहत केस दर्ज किया, लेकिन मुलायम सरकार उसे किसी भी कीमत पर बचाना चाहती थी।”
#WATCH | Lucknow: Gangster-turned-politician Mukhtar Ansari's death | Former DSP Shailendra Singh says, "20 years ago, in 2004, Mukhtar Ansari's empire was at its peak. He would move around in open jeeps in areas where curfew was imposed. That time I recovered a Light Machine… pic.twitter.com/tMIAycGCXj
— ANI (@ANI) March 29, 2024
शैलेंद्र सिंह बताते हैं, “मुलायम सरकार द्वारा अधिकारियों पर दबाव डाला गया, आईजी-रेंज, डीआईजी और एसपी-एसटीएफ का तबादला कर दिया गया। यहाँ तक कि मुझे 15 के भीतर इस्तीफा देने के लिए मजबूर किया गया, लेकिन मैंने अपने इस्तीफे में अपना कारण साफ लिखा और जनता के सामने रखा कि यह वही सरकार है जिसे आपने चुना था, जो माफियाओं को संरक्षण दे रही है और उनके आदेश पर काम कर रही है।”
उन्होंने बताया, “पुरानी सरकारों में हालात बहुत ही खराब थी। धीरे-धीरे लगाम लग रही है। कोर्ट फैसले दे रहे हैं जबकि दो दशक से निर्णय नहीं हो पा रहे थे। बेशक हालात अब बदले हैं। शायद हम नौकरी में रहे होते यह पक्ष कोई देख नहीं पाता कि पुलिस पर किस तरह का दबाव होता था। उस समय मैंने अपनी जान जोखिम में डाली थी। मुझे नौकरी से हाथ धोना पड़ा था। उस समय मैं सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद अगर कहीं प्राइवेट जॉब भी करता तो कंपनी पर मुझे निकलवाले के लिए कॉल आ जाते थे। किराए पर मकान नहीं मिलता था। रात में सामान कहीं रख दिया तो सुबह खाली करना पड़ता था।”
शैलेंद्र सिंह कहते हैं, “मुख्तार अंसारी ने जो डर दूसरों के मन में कायम किया था, वही डर उस पर भी हावी हो गया था। अंत में हार्ट अटैक से उसकी मृत्यु हो गई। ऊपर वाले के यहाँ देर है, अंधेर नहीं। जो जैसा करता है, वैसा भरता है।”
मुख्तार अंसारी की मौत पर शैलेंद्र सिंह ने आजतक से भी बात की। उन्होंने कहा- “जिस तरीके की खबरें आ रही थीं कि मुख्तार अंसारी डरे हुए हैं, वह कोर्ट से अपने बचाव आदि की गुहार लगा रहे हैं और फिर उनकी मौत हो गई, तो ऐसा है कि आदमी अपने अंत समय में डर जाता है, उसके पाप उसके सामने आते हैं तो उसी डर की की वजह से उन्हें ये अटैक आया है। आपके कर्म आपके सामने आते ही हैं और कुछ गलत किया हुआ होता है तो उसकी हाय का नतीजा सामने आता ही है।”
बता दें कि पूर्व डीएसपी शैलेंद्र सिंह ने जब मुख्तार अंसारी के खिलाफ आवाज उठाई थी उस समय उनकी नौकरी को 10-11 साल ही हुए थे, लेकिन माफिया राज से प्रताड़ित होकर उन्होंने नौकरी छोड़ दी जब उनकी नौकरी के 20-22 साल बचे थे। मुख्तार के खिलाफ आवाज उठाने के मामले में उनकी सराहना तो दूर उलटा उनके ऊपर इस मामले में मुलायम सरकार में केस दर्ज हुआ था और उन्हें ही दोषी दिखाते हुए जेल में डाल दिया गया था। साल 2021 में जब उनके ऊपर से सारे मामले हटे तब शैलेंद्र सिंह ने बताया कि जब वो जेल में गए थे तब योगी आदित्यनाथ ने उनके परिवार से फोन करके कहा था, “जब मैं आऊँगा तो न्याय करूँगा।” शैलेंद्र सिंह ने भावुक होते हुए कहा था- “मेरा परिवार योगी आदित्यनाथ का आभारी रहेगा।”
मुख्तार अंसारी को लेकर पूर्व IPS अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने कही ये बात, मुलायम पर भी उठाया सवाल
बांदा जेल में सजा काट रहे मुख्तार अंसारी की कल रात मौत हो गई है. गुरुवार को उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें जेल से मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. इस ताजा घटनाक्रम के बाद बांदा समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सुरक्षा बढ़ा दी गई. बांदा में पुलिस सुरक्षा बढ़ा दी गई, जबकि मेडिकल कॉलेज के बाहर डीएम और एसपी समेत जिले की फोर्स तैनात रही. मऊ और ग़ाज़ीपुर में भी सुरक्षा बढ़ा दी गई. इस घटना के बाद पूरे जिले में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है.
बांदा के साथ-साथ यूपी के सभी जिलों में भी सतर्कता बढ़ा दी गई है. ऐसे में मुख्तार अंसारी की मौत के बाद यूपी के पूर्व डीएसपी ने क्या कहा आइए जानते हैं.
स्लो प्वाइजन देने की बात बेबुनियाद
शैलेन्द्र सिंह ने विशेष बातचीत में कहा कि अच्छे और बुरे कर्मों को छोड़ना नहीं चाहिए. मुख्तार अंसारी के साथ जो कुछ हुआ वह उनके कर्मों का नतीजा है. शैलेन्द्र सिंह के मुताबिक स्लो प्वाइजन देने की बात पूरी तरह से निराधार और मनगढ़ंत है. आज के दौर में कोई भी अधिकारी अपनी नौकरी दांव पर नहीं लगा सकता. शैलेन्द्र सिंह के मुताबिक दरअसल मुख्तार अंसारी काफी डरा हुआ था और उसका डर जेल, अस्पताल और कोर्ट तक में दिख रहा था. मुख्तार को हर वक्त यह डर सता रहा था कि कोई ना कोई उसे जहर देकर मारना चाहता है और इसी डर में वह तिल तिल कर घुटता रहा और डर की वजह से उसकी मौत हुई है.
माफिया की वजह से देना पड़ा इस्तीफा!
शैलेन्द्र सिंह को अपने पुराने दिन भी याद आये जो उस समय उनके साथ घटित हुआ था. शैलेन्द्र सिंह ने कैसे अपनी पत्नी और परिवार को बताए बिना नौकरी से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने यह भी बताया कि कैसे नौकरी छोड़ने के बाद मुझे आर्थिक तंगी से जूझना पड़ा क्योंकि कोई मुझे घर देने को तैयार नहीं था, कोई नौकरी नहीं थी, कोई लोन नहीं मिल रहा था जिससे मैं कुछ रोजगार कर पाता. उस समय मुझे काम करना बहुत जरूरी था क्योंकि परिवार चलाना बहुत मुश्किल था मेरे लिए. लेकिन इस बात से मुझे राहत है कि मैंने जो फैसला लिया, वह बिल्कुल सही था.
मुलायम सिंह ने भी नहीं की मदद- शैलेंद्र सिंह
शैलेन्द्र सिंह के मुताबिक मुलायम सिंह यादव इस घटना से इतने नाराज थे, इतने चिढ़े हुए थे कि मेरी मदद करने की बात तो दूर, वो मेरी शक्ल तक नहीं देखना चाहते थे. शैलेन्द्र ने कहा कि पहले स्थिति अलग थी, अब सभी राजनीतिक दलों में यह समझ बन गयी है कि इन बाहुबलियों से दूर रहना ही बेहतर है. क्योंकि अब जनता इसे बर्दाश्त नहीं कर सकती, आने वाले दिनों में मुझे उत्तर प्रदेश में ऐसा बाहुबली सिर उठाता हुआ नजर नहीं आता.
मुलायम सरकार ने बनाया था दबाव
पूर्व DSP ने कहा, ‘ उस दौरान यूपी अल्पमत वाली मुलायम सिंह यादव की सरकार थी. सरकार को मुख्तार अंसारी का समर्थन था. इसलिए सरकार ने दबाव बनाना शुरू किया कि मुख्तार अंसारी का नाम इस केस से निकालना है, लेकिन मैंने इनकार कर दिया. विवेचना में से नाम हटाने को कहा गया, लेकिन ये भी संभव नहीं था. ये सब रिकॉर्ड में था, तो इसे कैसे हटाया जा सकता था. फिर दबाव आया कि विवेचना दूसरे अधिकारी को सौंप देते हैं ताकि केस कमजोर हो जाए. लेकिन ऐसा हो नहीं सका तो अंत में मुझ पर ही आरोप लगे और मुझे 15 दिन बाद सरकारी नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा था.
मुख्तार अंसारी पर कार्रवाई की तो पूर्व डिप्टी एसपी पर दर्ज हो गया था मुकदमा, इस वजह से ईमानदार अफसर ने छोड़ दी थी नौकरी
पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र प्रताप सिंह ने माफिया मुख्तार अंसारी पर वर्ष 2004 में पोटा लगाया था। शैलेंद्र सिंह द्वारा माफिया के खिलाफ की गई इतनी बड़ी कार्रवाई से तत्कालीन सरकार उनसे नाराज हो गई थी। सरकार ने उन पर पोटा खत्म करने का दबाव बनाया था। स्वाभिमानी अफसर शैलेंद्र सिंह ने इससे इन्कार कर दिया तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो गया। इस कारण उन्होंने डिप्टी एसपी पद से इस्तीफा दे दिया था।
जनवरी 2004 में शैलेंद्र सिंह एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी डिप्टी एसपी थे। शैलेंद्र सिंह ने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से पहले मुख्तार अंसारी के एलएमजी खरीदने का राजफाश किया था। उन्होंने एलएमजी बरामद कर मुख्तार अंसारी के विरुद्ध पोटा भी लगाया था। इस पर तत्कालीन सरकार में हंगामा मच गया और शैलेंद्र सिंह पर मुकदमा वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाने लगा।
इस पर व्यथित होकर शैलेंद्र सिंह ने यूपी पुलिस की नौकरी से इस्तीफा दे दिया। शैलेंद्र सिंह के इस्तीफा देने के कुछ महीने बाद वाराणसी के कैंट थाने में डीएम कार्यालय के चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी लालजी की तरफ से तोड़फोड़ मारपीट हंगामा करने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इस मामले में शैलेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया और पुलिस ने चार्जशीट तक कोर्ट में दाखिल कर दी।
वहीं, योगी सरकार ने 2021 में बहादुर अफसर शैलेंद्र सिंह पर दर्ज इस केस को वापस ले लिया था। शैलेंद्र सिंह 1991 बैच के पीपीएस अफसर हैं। शैलेंद्र सिंह के बाबा राम रूप सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। मूल रूप से चंदौली जिले के फेसुड़ा गांव के रहने वाले हैं। अब शैलेंद्र सिंह गौसेवा और आर्गेनिक खेती कर रहे हैं।
किसी भी व्यक्ति के कर्म ही उसके सामने आते हैं
माफिया मुख्तार अंसारी की मौत पर पूर्व डिप्टी एसपी शैलेंद्र प्रताप सिंह ने जागरण से बातचीत के दौरान कहा कि किसी भी व्यक्ति के कर्म ही देर सबेर उसके सामने आते हैं। प्रभु के घर में देर है अंधेर नहीं। सबको कर्मों के अनुसार फल मिलता है। वही हाल मुख्तार अंसारी का हुआ। तमाम अपराधिक मामलों की वह जेल में सजा काट रहा था।
मुख्तार अंसारी के खौफ से मुझे किराए पर घर तक नहीं देता था कोई, प्राइवेट जॉब तक चली जाती थी…माफिया से LMG बरामद करने वाले पूर्व DSP ने सुनाई दर्दभरी आपबीती
उत्तर प्रदेश के कुख्यात माफिया डॉन मुख्तार अंसारी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. बांदा जेल में बंद मुख्तार को गुरुवार शाम तबीयत बिगड़ने पर रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराया गया था. लेकिन इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. पूर्वांचल सहित यूपी में अपना दबदबा रखने वाले कुख्यात मुख्तार की दहशत से जुड़े तमाम किस्से, कहानियां और आपबीती गाहे_बगाहे सुनने को मिल ही जाते हैं. ऐसी की एक आपबीती पूर्व पुलिस उपाधीक्षक शैलेंद्र सिंह ने सुनाई, जिनकी मुख्तार की वजह से सरकारी नौकरी चली गई थी.
मुख्तार अंसारी ने जो डर दूसरों के मन में कायम किया था, वही डर उस पर भी हावी हो गया था. अंत में हार्ट अटैक से उसकी मृत्यु हो गई. ऊपर वाले के यहां देर है, अंधेर नहीं. जो जैसा करता है, वैसा भरता है.”
कृष्णानंद राय को मारने के लिए LMG
इससे पहले पुलिस अधिकारी शैलेंद्र सिंह ने बताया, ‘जनवरी 2004 की बात है. तब वह वाराणसी में एसटीएफ चीफ थे. शासन-प्रशासन के अनुमति से फोन सुनने होते थे. इसी दौरान सामने आया कि, मुख्तार अंसारी आर्मी के किसी भगोड़े से लाइट मशीन गन खरीदना चाहता है. अंसारी इसे खरीदना इसलिए चाहता था कि क्योंकि वह कृष्णानंद राय को मारना चाहता था. कृष्णानंद की बुलेट प्रूफ गाड़ी को रायफल नहीं भेद पाती, लेकिन लाइट मशीन गन से उस पर अटैक भेद देती. खैर हमने उसे पकड़ा, रिकवर किया और POTA लगाने की कार्रवाई की. ‘
मुलायम सरकार ने बनाया था दबाव
पूर्व DSP ने कहा, ‘ उस दौरान यूपी अल्पमत वाली मुलायम सिंह यादव की सरकार थी. सरकार को मुख्तार अंसारी का समर्थन था. इसलिए सरकार ने दबाव बनाना शुरू किया कि मुख्तार अंसारी का नाम इस केस से निकालना है, लेकिन मैंने इनकार कर दिया. विवेचना में से नाम हटाने को कहा गया, लेकिन ये भी संभव नहीं था. ये सब रिकॉर्ड में था, तो इसे कैसे हटाया जा सकता था. फिर दबाव आया कि विवेचना दूसरे अधिकारी को सौंप देते हैं ताकि केस कमजोर हो जाए. लेकिन ऐसा हो नहीं सका तो अंत में मुझ पर ही आरोप लगे और मुझे 15 दिन बाद सरकारी नौकरी से इस्तीफा देना पड़ा था.’
बता दें कि माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी (63) को गुरुवार शाम को तबीयत बिगड़ने के बाद जिला जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया, जहां दिल का दौरा पड़ने से उसकी मौत हो गई. बांदा मेडिकल कॉलेज प्रबंधन ने इसकी पुष्टि की. परिजनों ने मुख्तार को जेल में खाने में जहर दिए जाने का आरोप लगाया था.
गाजीपुर से बसपा सांसद अफजाल ने आरोप लगाया कि मुख्तार को करीब 40 दिन पहले भी जेल में जहर दिया गया था और हाल ही में शायद 19 या 22 मार्च को फिर ऐसा किया गया, जिसके बाद से हालत खराब है. 21 मार्च को बाराबंकी की अदालत में एक मामले की डिजिटल माध्यम से सुनवाई के दिन मुख्तार के वकील ने अदालत में दरखास्त दी थी. आरोप लगाया गया था कि उनके मुवक्किल को जेल में ‘धीमा जहर’ दिया गया है जिससे उनकी हालत बिगड़ती जा रही है.