उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों पर हुए चुनाव में समाजवादी पार्टी के विधायक अभय सिंह ने ‘अंतरात्मा’ की आवाज पर वोट देने की बात कही थी. अभय सिंह से लेकर मनोज पांडेय, राकेश पांडेय और राकेश प्रताप सिंह सहित सपा के सात विधायकों की ‘अंतरात्मा’ सपा के बजाय बीजेपी प्रत्याशी के लिए जागी, इसका नतीजा यह हुआ कि विधायकों की संख्याबल होने के बावजूद अखिलेश यादव राज्यसभा चुनाव में अपने तीसरे कैंडिडेट को नहीं जिता सके और बीजेपी हारी बाजी अपने नाम कर ले गई. ऐसे में सवाल उठता है कि राज्यसभा चुनाव के दौरान सपा विधायकों की जागी ‘अंतरात्मा’ अगले महीने होने वाले एमएलसी चुनाव तक कहीं सो तो नहीं जाएगी?
राज्यसभा के बाद अब बारी विधान परिषद (एमएलसी) चुनाव की है. यूपी की 13 विधान परिषद सीटों पर चुनाव का ऐलान हो चुका है. विधान परिषद की 13 सीटों के लिए 21 मार्च को चुनाव है, जिसके लिए नामांकन प्रक्रिया चार मार्च से शुरू होगी और यह 11 मार्च तक चलेगी. इसके बाद 12 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच और 14 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकेंगे. सूबे के 13 एमएलसी सीट पर अगर उससे ज्यादा प्रत्याशी मैदान में उतरते हैं तो फिर 21 मार्च को मतदान होगा और उसी दिन शाम पांच बजे तक नतीजे घोषित कर दिए जाएंगे.
UP में MLC की 13 सीटों पर चुनाव
यूपी की जिन 13 एमएलसी सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. इनमें से 10 सीटों पर बीजेपी का कब्जा है तो सपा, बसपा और अपना दल (एस) के पास एक-एक एमएलसी सीट है. विधानसभा के मौजूदा सदस्यों की संख्या के आधार पर बीजेपी को 10 और सपा को 3 एमएलसी सीटें मिलती दिख रही हैं, लेकिन राज्यसभा चुनाव में जिस तरह से ‘खेला’ सपा के विधायकों ने किया है, उसके बाद बीजेपी के हौसले बुंलद हो गए हैं और अब एमएलसी चुनाव में क्रॉस वोटिंग की आशंका दिख रही है.
राज्यसभा चुनाव में विधायकों के संख्याबल के हिसाब से बीजेपी के सात प्रत्याशियों की जीत पूरी तैयारी थी. इसके लिए बीजेपी ने 7 प्रत्याशियों के नाम का ऐलान भी कर दिया था. लेकिन, सपा प्रत्याशी के लिस्ट आते ही, जिस तरह स्वामी प्रसाद मौर्य और सलीम शेरवानी ने पद छोड़ दिया और पल्लवी पटेल ने नाराजगी जाहिए किया, उसके बाद ही बीजेपी ने अपना आठवां प्रत्याशी को उतारने का दांव चल दिया. इसके लिए बीजेपी ने उद्योगपति संजय सेठ पर दांव खेला.
एमएलसी चुनाव में भी ‘खेला’ होने की आशंका
बीजेपी ने अपने आठवें कैंडिडेट संजय सेठ को जिताने के लिए पहले आरएलडी को INDIA गठबंधन से तोड़कर अपने साथ मिलाया और उसके बाद शुरू किया असली खेल. राजा भैया और बसपा के एकलौते विधायक के समर्थन को लेकर बीजेपी पूरी कॉफिडेंस थी, लेकिन उसके बाद भी उसे आठ वोटों की अतरिक्त जरूरत थी. यह सपा विधायकों की क्रॉस वोटिंग कराए बिना संभव नहीं था. ऐसे में बीजेपी रणनीतिकारों ने ऐसा सियासी जाल बिछाया कि अखिलेश यादव की सारी स्ट्रैटेजी धरी की धरी रह गई.
बीजेपी ने सपा के आठ विधायकों को अपने साथ मिला लिया. राज्यसभा चुनाव में सपा विधायक मनोज कुमार पांडेय, राकेश पांडेय, पूजा पाल, अभय सिंह, राकेश प्रताप सिंह, विनोद चतुर्वेदी और आशुतोष मौर्य ने क्रॉस वोटिंग की. इसके अलावा सपा की विधायक महाराजी देवी वोटिंग में हिस्सा ही नहीं लिया. वहीं, बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए खेमे के सुभासपा के विधायक जगदीश नारायण राय ने सपा के पक्ष में वोटिंग करने का काम किया. बीजेपी के आठवें प्रत्याशी संजय सेठ की जीत और सपा की तीसरे कैंडिडेट आलोक रंजन की हार सपा विधायकों की अंतिम समय में जागी ‘अंतरात्मा’ बड़ी वजह रही. इसीलिए अब एमएलसी चुनाव में भी इसी तरह की आशंका देखी जा रही है.
उत्तर प्रदेश की 13 विधान परिषद सीटों पर 21 मार्च को वोटिंग होनी है, जिसके लिए चार मार्च से नामांकन शुरू हो रही है. विधायकों की संख्याबल के आधार पर बीजेपी को 10 और सपा को तीन एमएलसी सीटें मिलती दिख रही है. लेकिन, राज्यसभा चुनाव के वोटिंग पैटर्न को देखने के बाद लग रहा है कि बीजेपी एमएलसी चुनाव में भी अतिरिक्त प्रत्याशी उतारने का दांव चल सकती है. ऐसे में बीजेपी और सपा दोनों के सामने अपने विधायकों की ‘अंतरात्मा’ को ‘सुरक्षित’रखने की चुनौती होगी.
क्या है MLC चुनाव का गणित
उत्तर प्रदेश विधानसभा के कुल 403 सदस्यों में से फिलहाल 399 सदस्य हैं. राज्यसभा की तरह एमएलसी चुनाव का फॉर्मूला है. एक एमएलसी सीट के लिए 29 वोट चाहिए होंगे. यूपी में बीजेपी के पास 252, अपना दल (एस) 13, आरएलडी के 9, निषाद पार्टी के 6, सुभासपा के 6 और राजा भैया के दो विधायकों का समर्थन है. इस तरह बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए के पास 288 विधायक हो रहे हैं, जिसमें अगर बसपा के विधायक को भी जोड़ लेते हैं तो 289 हो गया है. वहीं, सपा के 108 विधायक और कांग्रेस के पास 2 विधायक हैं. इस सपा को 110 विधायक का समर्थन है.
विधान परिषद की 13 सीटों पर हो रहे चुनाव में एक सीट के लिए 29 विधायकों का वोट चाहिए. इस लिहाज देखें तो बीजेपी 10 सीटें जीतती हुई नजर आ रही है और सपा को तीन सीटों पर जीत मिलती नजर आ रही है. राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले सपा के 7 विधायक और एक विधायक वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. इन सपा विधायकों के बीजेपी में जाने की पठकथा लिखी भी जा चुकी है और वो अब विपक्ष के बजाय सत्तापक्ष के साथ खड़े नजर आएंगे. ऐसे में एमएलसी चुनाव में देखना है कि सपा और बीजेपी कितने-कितने प्रत्याशी उतारते हैं, क्योंकि उसके बाद ही विधायकों की ‘अंतरात्मा’ जागेगी और फिर शुरू होगा सियासी खेल.
राज्यसभ चुनाव में SP के 7 विधायक पलटे
राज्यसभा चुनाव में सपा के सात विधायकों खुलकर बीजेपी के पक्ष में वोट किए, एक विधायक गैर-हाजिर रहीं. सपा का एक का वोट अवैध हो गया और दो विधायक फिलहाल जेल में हैं. राज्यसभा चुनाव में उन्हें जमानत नहीं मिल पाई है, जिसके चलते विधान परिषद चुनाव में मतदान में हिस्सा लेने पर सस्पेंस बना हुआ है. इस तरह सपा गठबंधन के पास अब व्यावहारिक तौर पर 99 वोट बचे हैं, जिसके लिहाज से तीन एमएलसी सीट जीतने के बाद भी 12 वोट बचेंगे.
राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले सपा विधायक की जागी अंतरात्मा अगर सो जाती है और सपा के प्रति वफादार बने रहते हैं तो फिर खेला दूसरा हो जाएगा. वहीं, अगर बीजेपी 11वां या सपा ने चौथा उम्मीदवार उतारा तो चुनाव में ट्विस्ट आ जाएगा. हालांकि, राज्यसभा की तरह विधान परिषद चुनाव में पार्टी एजेंट को अपना वोट दिखाने की बाध्यता नहीं है. इसीलिए विधायकों की अंतरात्मा जागने वाली संख्या बढ़ भी सकती है, क्योंकि क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों की पहचान करना मुश्किल होगा?