नई दिल्ली। केंद्र की मोदी सरकार का दावा है कि भारत की अर्थव्यवस्था लगातार बढ़िया प्रदर्शन कर रही है। पीएम मोदी चुनावी रैलियों में कहते रहे हैं कि भारत दुनिया में सबसे तेजी से आगे बढ़ती हुई अर्थव्यवस्था बन गया है। हालांकि, सच्चाई इसके विपरित है। मोदी राज में देश कर्ज में डूबता जा रहा है। आलम ये है कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने कर्ज के बढ़ते दबाव को लेकर भारत को चेतावनी जारी की है।
आईएमएफ ने हाल ही में एक रिपोर्ट में भारत के कर्ज के बारे में जानकारी दी। इसके मुताबिक देश पर कुल कर्ज 205 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा हो गया है। मार्च 2023 में देश पर कुल कर्ज 200 लाख करोड़ रुपए था। यानी बीते 6 महीने में 5 लाख करोड़ रुपए कर्ज बढ़ा है। भारत की कुल आबादी 142 करोड़ मान लें तो आज के समय में हर भारतीय नागरिक पर 1.40 लाख रुपए से ज्यादा का कर्ज है।
देश पर लगातार बढ़ रहे कर्ज के दबाव के बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष यानी IMF ने कहा है कि यदि सरकार इसी रफ्तार से उधार लेती रही तो देश पर GDP का 100% कर्ज हो सकता है। यानी देश का जितना जीडीपी नहीं है उससे ज्यादा कर्ज हो जाएगा।ऐसा हुआ तो कर्ज चुकाना मुश्किल हो जाएगा। मोदी राज में ताबड़तोड़ लिए जा रहे कर्ज को लेकर देश के अर्थशास्त्री बेहद चिंतित हैं। हालांकि, सरकार लगातार इस बात का मुनादी करा रही है कि हम टॉप 5 के अर्थव्यवस्था बन गए हैं।
एक्सपर्ट्स का मानना है कि बाहरी मोर्चे पर भारत को ग्लोबल स्लोडाउन से निकट भविष्य में कुछ दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। ग्लोबल सप्लाई चेन में व्यवधान से कमॉडिटीज की कीमतें वोलेटाइल हो सकती हैं, जिससे भारत के ऊपर राजकोषीय दबाव बढ़ सकता है। घरेलू मोर्चे पर मौसमी कारणों से महंगाई फिर से सिर उठा सकती है। इसके चलते देश को फूड एक्सपोर्ट पर पाबंदियों तक का सहारा लेना पड़ सकता है। बता दें कि साल 2014 में केंद्र में जब मोदी सरकार आई थी तब देश पर कुल कर्ज महज 55 लाख करोड़ रुपए था। हालांकि, 10 साल में ये बढ़कर दो लाख करोड़ रुपए पार कर गया।