गुजरात हाईकोर्ट ने सोमवार (2 जनवरी 2024) को इशारा किया कि कथित सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ को पंडरवाड़ा कब्र खुदाई मामले में किसी प्रकार की राहत नहीं दी जाएगी।
बता दें साल 2005 में गोधरा हिंसा के बाद पंचमहल जिले के पंडरवाड़ा के पास एक कब्रिस्तान से कब्र खोदने और 28 शवों को निकालने के मामले में तीस्ता का नाम दर्ज है।
इस संबंध में एफआईआर 2006 में हुई थी। लेकिन तीस्ता सीतलवाड़ का नाम 2011 में जोड़ा गया। इस एफआईआर में गुजरात पुलिस ने झूठे सबूत बनाने, असली सबूत नष्ट करने, कब्रिस्तान पर अतिक्रमण करने और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने जैसे आरोप लगाए थे।
In judging a individual’s character Gujarat HC judge Sandeep Bhatt is a better individual then his Sr brother judge ex-CJI Uday Lalit who have @TeestaSetalvad relief in the case of creating fake evidence agnst CM Modi. “ a lady is in custody for months “was CJI’s remark in order pic.twitter.com/wQMA518MJi
— Ujjaval Shah (@UJJAVALSHAH2) January 2, 2024
इसके बाद 2017 में सीतलवाड़ ने एक याचिका दायर की। टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, सोमवार (2 जनवरी 2024) को जब मामला सुनवाई के लिए आया तो सोमवार को जब मामला सुनवाई के लिए आया, तो जस्टिस संदीप भट्ट ने सीतलवाड़ के वकील योगेश रवानी से कहा कि रिकॉर्ड देखने के बाद, “मैं इच्छुक नहीं हूँ। आपको (अदालत को) संतुष्ट करना होगा।”
इस दौरान सीतलवाड़ के वकील ने कहा- “यह आधिपत्य का विशेषाधिकार है। हम अदालत को समझाने की कोशिश करेंगे क्योंकि कोई अपराध नहीं बनता है। यह राजनीतिक उत्पीड़न है।”
इतना सुन जज ने उन्हें कहा कि जो तर्क वो दे रहैं है वो आजकल इस्तेमाल होने वाला व्यापक शब्द है। इसका इस्तेमाल हर जगह हो रहा है। इसके बाद न्यायधीश ने मामले की सुनवाई 9 जनवरी तक के लिए स्थगित कर दिया।
गौरतलब है कि साल 2005 के इस मामले में लूनावाड़ा नगर पालिका ने सीतलवाड़ की एनजीओ ‘सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस’ के पूर्व कोऑर्डिनेटर रईस खान सहित 7 लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। हाईकोर्ट ने सीबीआई जाँच का आदेश दिया था। इस मामले में रईस खान ने तीस्ता से अलग होने के बाद उनका नाम अपने बयान में लिया था और उसी के आधार पर उनका नाम एफआईआर में शामिल किया गया।