अजय कुमार
लखनऊ। हर ‘दल’ अजीज रहे उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले की कुण्डा विधान सभा क्षेत्र के बाहुबली विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया जिनकी कभी ‘तूती’ बोला करती थी,अपनी ‘सल्तनत’ हुआ करती थी,जिसमें उनका अपना दरबार लगता था और इस दरबार में बड़ी-बड़ी हस्तियां एवं सरकारी अधिकारी हाथ जोड़े खड़े रहते थे,जो भले अपने नाम के साथ राजा लगाता था,लेकिन असल जिंदगी में यह राजा नहीं गुनाहों का देवता था,लेकिन अपने आप को ‘इंसाफ का पुजारी’ ही बताता था. यह ‘राजा’ अपनी ’अदालत’ लगाकर अपने हिसाब से फैसला सुनाया करता था,जिसकी चौखट पर कानून दम तोड़ देता था. ऐसा इसलिए हो पाता था क्योंकि इस राजा ने राजपाठ जाने के बाद अपनी ताकत बनाये रखने के लिए राजनीति की शरण ले ली थी. राजनीति भी सत्ता पक्ष की, जिस पार्टी की सरकार बनते दिखती थी, यह राजा उधर चला जाता था. आज वही राजा भैया बाहर से लेकर घर तक मुसीबत से घिरे हुए हैं.
वैसे तो राजा भैया हर मुश्किल से बाहर निकलने में महारथ रखते हैं,लेकिन इस बार मामला कुछ ज्यादा ही संगीन और गंभीर हो गया है.एक तरफ करीब चार माह पूर्व रघुराज प्रताप सिंह(राजा भैया) की तरफ से पत्नी रानी भानवी के खिलाफ दायर तलाक के केस ने परिवार में अंदरूनी कलह बढ़ा दी है, वहीं दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक आदेश को पलट कर दस वर्ष पूर्व मार्च 2013 में कुण्डा के सीओ जिया-उल-हक हत्याकांड में राजा भैया की भूमिका की सीबीआई जांच के आदेश को हरी झंडी दिखाकर राजा भैया की हेकड़ी और दबंगई दोनों निकाल दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने जिस सी0ओ0 जिया-उल-हक हत्याकांड की सीबीआई जांच का आदेश दिया है,उस मामले में एक बार सीबीआई राजा भैया को क्लीन चिट दे चुकी है.यह सब अखिलेश राज में हुआ था,तब राजा भैया अखिलेश सरकार में मंत्री थे.राजा भैया पर जब सीओ की हत्या का आरोप लगा तो तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की संस्तुति पर 8 मार्च 2013 को सीबीआई ने हत्याकांड की जांच शुरू की. नन्हे यादव के बेटे बबलू यादव, भाई पवन यादव, फूलचंद यादव और करीबी मंजीत यादव को गिरफ्तार किया गया. सीबीआई का दावा था कि सीओ को गोली बबलू यादव ने मारी थी. सीबीआई ने राजा भैया से लंबी पूछताछ की और पॉलिग्राफी टेस्ट भी कराया.आखिरकार एक अगस्त 2013 सीबीआई इस नतीजे पर पहुंची कि सीओ हत्याकांड से राजा भैया और उनके चारों करीबियों का कोई ताल्लुक नहीं है. जुलाई 2013 में सीबीआई ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट लगाई, जिसमें 14 आरोपित थे. इसमें राजा भैया और उनके किसी भी करीबी का नाम नहीं था, लेकिन, ट्रायल कोर्ट ने इस रिपोर्ट को खारिज करते हुए नामजद व्यक्तियों की भूमिका के समुचित साक्ष्य जुटाकर आगे जांच करने का निर्देश दिया.सीबीआई ने ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी. दिसंबर 2022 में हाई कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद करते हुए सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट मान ली थी. इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ सीओ जिया-उल हक की पत्नी परवीन आजाद ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था,जिसके बाद सीओ की हत्याकांड की जांच पुनः शुरू हो गई है.अब सीओ की पत्नी को इंसाफ की उम्मीद जागी है,लेकिन उनके दिमाग में यह भी चल रहा है कि जो सीबीआई राजा भैया को एक बार क्लीन चिट दे चुकी है, वह क्या अब इंसाफ पूर्वक जांच करेगी.
बात राजा भैया के घरेलू कहल की कि जाए तो राजा भैया की दयनीय हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि उनके पिता भदरी रियासत के राजा उदय प्रताप सिंह भी बेटे राजा भैया के बैरी हो गए हैं. इसकी बानगी कुछ माह पूर्व तब देखने को मिली जब उदय प्रताप सिंह ने अपनी बहू भानवी के पक्ष में राजा भैया के खिलाफ ट्वीट करके मौर्चा खोल दिया था.राजा उदय प्रताज सिंह ने अपने ट्विट में लिखा था,‘रघुराज(राजा भैया) भदरी अपने आदर्श मुल्ला मुलायम से कम नहीं।’ इस टिप्पणी के कई मतलब निकाले गए,जिस पर राजा भैया सफाई नहीं दे पाए.बताते हैं कि राजा भैया और उनकी पत्नी के बीच तलाक की नौबत पति-पत्नी के बीच ‘वो’ के आ जाने से आई थी.यह ‘वो’ एक पत्रकार बताई जाती है.
बाहुबली राजा भैया की सियासी पारी की बात की जाए तो वह समाजवादी पार्टी,भारतीय जनता पार्टी सबके करीबी रह चुके हैं.अपराध जगत में उनकी तूती बोलती थी,लेकिन कभी उनका बाल भी बांका नहीं हुआ. इस मिथक को बसपा सुप्रीमों मायावती ने तोड़ा था.बात 1997 की है. उत्तर प्रदेश में बीजेपी और बीएसपी की गठबंधन सरकार चल रही थी. बीजेपी और बहुजन समाज पार्टी में छह-छह महीने का मुख्यमंत्री बनने पर डील हुई थी. डील के मुताबिक मायावती को सितंबर में अपनी सरकार के छह महीने पूरे होने के बाद सत्ता बीजेपी को हस्तांतरित करनी थी, लेकिन ऐन मौके पर मायावती ने ऐसा करने से मना कर दिया. हालांकि, सियासी दबाव में मायावती को कुर्सी छोड़नी पड़ी और तब कल्याण सिंह मुख्यमंत्री बने. कुछ ही महीनों में मायावती ने बीजेपी से समर्थन वापसी का ऐलान कर दिया, और तब यूपी की सत्ता में राजा भैया की एंट्री होती है.राजा भैया उर्फ रघुराज प्रताप सिंह प्रतापगढ़ के कुंडा से निर्दलीय विधायक थे.उन्होंने तब मायावती की पार्टी बीएसपी और कांग्रेस के कुछ विधायकों को तोड़कर और कुछ निर्दलीय विधायकों के समर्थन से कल्याण सिंह की सरकार बचाने में मदद की थी. कल्याण सिंह ने फिर राजा भैया को अपनी सरकार में मंत्री बनाया था.
यहीं से शुरू होती है मायावती और राजा भैया के बीच राजनीतिक अदावत की कहानी. साल 2002 में जब फिर से बीजेपी और बीएसपी की सरकार बनी तो गठबंधन सरकार फिर हिचकोले खाने लगी. इसी बीच मायावती ने पांच साल पुरानी सियासी रंजिश का बदला राजा भैया से ले लिया. कहा जाता है कि बीजेपी की तरफ से नाम देने के बावजूद मायावती ने 2002 में राजा भैया को मंत्री नहीं बनाया था और उसी साल मायावती ने बीजेपी विधायक पूरण सिंह बुंदेला की शिकायत पर 2 नवंबर, 2002 को तड़के सुबह करीब 4 बजे राजा भैया को आतंकवाद निरोधक अधिनियम के तहत गिरफ्तार करवाकर जेल में डलवा दिया. रघुराज प्रताप सिंह की भदरी रियासत की हवेली में भी मायावती ने पुलिस का छापा डलवा दिया था. कहा जाता है कि इस छापे में हवेली से कई हथियार बरामद हुए थे. इसी के बाद राजा भैया पर पोटा लगाया गया था. उनके साथ उनके पिता उदय प्रताप सिंह और चचेरे भाई अक्षय प्रताप सिंह को भी अपहरण और धमकी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. मायावती ने साल 2003 में राजा भैया के प्रतापगढ़ स्थित भदरी रियासत की कोठी के पीछे 600 एकड़ में फैले बेंती तालाब को भी खुदवा दिया था. कहा जाता है कि खुदाई में इस तालाब से नरकंकाल मिले थे, जिसके बारे में कई कहानियां हैं. इस तालाब के बारे में ऐसी चर्चा थी कि राजा भैया ने इसमें घड़ियाल पाल रखे हैं और अपने दुश्मनों को इसी तालाब में फेंकवा दिया करते हैं. हालांकि राजा भैया इस बात से इंकार करते हैं.
राजा भैया के बारे में कहा जाता है कि राजशाही खत्म होने के बाद राजा भैया ने राजनीति के रास्ते से अपनी ताकत बचाये रखने का रास्ता चुना.राजा भैया ने 1993 में 26 साल की उम्र में कुंडा से चुनाव लड़ा और तब से हुए सभी विधान सभा चुनावों में जीत हासिल की.उन्होंने राजनाथ सिंह, कल्याण सिंह और मुलायम सिंह यादव के अधीन मंत्री के रूप में कार्य किया है.कुंडा में सीओ के पद पर तैनात रहे पुलिस उपाधीक्षक जिया उल हक की हत्या की साजिश करने के आरोपों से घिरे रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया का आपराधिक रिकार्ड काफी पुराना है.उन पर डकैती, हत्या की कोशिश और अपहरण जैसे अपराधों के संबंध में मामले दर्ज हैं.विधानसभा चुनाव 2017 में चुनाव आयोग के पास दर्ज अपने हलफनामे में स्वयं रघुराज प्रताप सिंह ने बताया कि उनके खिलाफ धारा 395, 397, 307, 364, 323, 325, 504, 506, 427, 34 के तहत मामले दर्ज हैं. इनमें डकैती, हत्या की कोशिश और अपहरण जैसे अपराधों का जिक्र था.
बहरहाल,देश में बेशक राजे-रजवाड़े और रियासतें खत्म हुए सालों बीत चुके हों, लेकिन उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ की जनता आज भी कुंवर रघुराज प्रताप सिंह अपना राजा मानकर पूजती है,लेकिन इसके पीछे की वजह राजा भैया का सम्मान नहीं उनकी दहशत का साम्राज्य है. प्रतापगढ़ और उसमें भी कुंडा के इलाके में आज भी राजा भैया और उनके परिवार की हुकुमत चलती है. अपनी दबंगई से उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी एक खास जगह बनाने वाले राजा भैया का विवादों से चोली-दामन का साथ रहा। कभी जेल के अंदर से तो कभी जेल के बाहर रहकर, सियासत के इस बाहुबली ने राजनीति में अपना जबरदस्त सिक्का जमाया.राजा भैया की तरह ही उनके पिता भी बेहद तेजतर्रार व्यक्ति थे. 1974 में राजा भैया के पिता उदय प्रताप ने तो अपनी रियासत को एक अलग ही राज्य घोषित कर दिया था. ये बात दिल्ली तक पहुंची, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने तुरंत सेना की टुकड़ी प्रतापगढ़ भेज दी. कहते हैं तब से लेकर आज तक राजा भैया के परिवार की कांग्रेस से दूरी ही रही.
बता दें कि राजा भैया और उनकी पत्नी भानवी सिंह का तलाक का केस अभी कोर्ट में चल रहा है. हाल ही में भानवी ने तलाक मामले में दिल्ली के साकेत कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. इसमें उन्होंने पति (राजा भैया) पर शारीरिक और मानसिक शोषण करने के साथ ही एक महिला पत्रकार से अफेयर का भी आरोप लगाया है.अदालत में दाखिल अपने जवाब में भानवी सिंह ने साफ कहा कि तलाक लेने के लिए उनके पति ने जो कहानी कोर्ट के सामने पेश की है वह पूरी तरह से मनघडंत है। अपने जवाब में भानवी सिंह ने लिखा है कि उसके पति राजा भैया के दूसरी महिलाओं के साथ अवैध संबंध है। इन अवैध रिश्तों का विरोध करने पर घोर प्रताड़नाएं दी जाती हैं। साकेत कोर्ट में न्यायधीश शुनाली गुप्ता के समक्ष दाखिल किए गए जवाब में भानवी सिंह ने पति द्वारा मारपीट करने का आरोप लगाते हुए मारपीट में लगी चोटों की फोटो भी पेश की है।
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