भारत में वांछित खालिस्तानी हरदीप सिंह निज्जर की सरे में अज्ञात बंदुकधारियों द्वारा हत्या के बाद भारत और कनाडा के बीच संबंधों में कड़वाहट आ गई है। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो इस हत्या के लिए भारत के जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। वहीं, कनाडा की मीडिया और जनता एक आतंकी के लिए भारत से संबंध खराब करने पर ट्रूडो की आलोचना कर रही है। एक सर्वे में ट्रूडो की लोकप्रियता में भारी गिरावट आई है।
वहीं, कनाडा के खिलाफ मोदी सरकार की कार्रवाई से भी वहाँ के लोग सहमे हुए हैं। उधर अमेरिका की जाँच एजेंसी FBI ने वहाँ के खालिस्तान समर्थकों को चेतावनी दी कि उनका भी जीवन खतरे में है। अमेरिकन सिख कॉकस कमेटी के समन्वयक प्रीतपाल सिंह ने द इंटरसेप्ट को बताया कि निज्जर की हत्या के बाद उन्हें और कैलिफोर्निया में दो अन्य सिख अमेरिकियों को एफबीआई से कॉल करके मिलने के लिए बुलाया था।
प्रीतपाल सिंह ने कहा, “जून के अंत में एफबीआई के दो विशेष एजेंटों ने मुझसे मुलाकात की, जिन्होंने मुझे बताया कि उन्हें जानकारी मिली है कि मेरी जान को खतरा है।” उन्होंने आगे कहा, “उन्होंने हमें स्पष्ट रूप से यह नहीं बताया कि खतरा कहाँ से आ रहा है, लेकिन उन्होंने कहा कि मुझे सावधान रहना चाहिए।”
उधर, कनाडा की स्थानीय मीडिया का कहना है कि जस्टिन ट्रूडो ने अपनी गिरती लोकप्रियता और वहाँ रहने वाली सिखों की बड़ी आबादी को साधने के लिए ट्रूडो ने जल्दबाजी में निज्जर का मुद्दा उछाला। मीडिया का कहना है कि अगर ट्रूडो ने अपने लगाए आरोपों को साबित नहीं कर पाए तो दुनिया में कनाडा की भारी बदनामी होगी।
Angus Reid इंस्टिट्यूट की एक हालिया पोल ने कहा गया है कि प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की अप्रूवल रेटिंग सिर्फ 33% है, जबकि 63% लोगों ने उन्हें नापसंद किया है। इस पोल को ट्रूडो की इमेज के लिए खास माना जा रहा है। ट्रूडो वर्तमान में खालिस्तान समर्थक जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के 24 सांसदों के समर्थन से सरकार चला रहे हैं। ऐसे में निज्जर की हत्या का मामला उठाने के पीछे जगमीत सिंह का भी हाथ माना जाता है।
दरअसल, जस्टिन ट्रूडो ने कनाडा की संसद में भारत पर आरोप लगाने के बाद उनके लगातार सबूत की माँग की गई, लेकिन उसके बारे में उन्होंने कुछ नहीं कहा। जब भारत ने कहा कि निज्जर की हत्या के संबंध में संलिप्तता को लेकर उसे कनाडा द्वारा कोई सबूत नहीं उपलब्ध कराया गया है, तब शुक्रवार (22 सितंबर 2023) को ट्रूडो ने कहा कि भारत को बहुत पहले सबूत दे दिया गया है।
कनाडा के वर्तमान स्टैंड को लेकर वहाँ के प्रमुख अखबार नेशनल पोस्ट ने अपने एक संपादकीय में लिखा है, “यह याद रखना जरूरी है कि ट्रूडो ने जो आरोप लगाए हैं, उसे साबित किया जाना बाकी है। वो कनाडा के लोगों को अब तक कोई भी सबूत दिखाने में नाकाम रहे हैं। अगर यह साबित हो गया कि ट्रूडो ने बिना सबूत के इस बवाल को पैदा किया है तो यह कनाडा के लिए वैश्विक स्तर पर शर्मनाक बात होगी।”
कनाडा के अखबार टोरंटो सन ने लिखा है कि हरदीप सिंह निज्जर वो कोई संत नहीं था। यह बात साफ है। अखबार ने लिखा कि अगर कुछ लोग आतंकी गतिविधियों में लिप्त हैं, राजनयिकों के खिलाफ हिंसा भड़का रहे हैं तो ट्रूडो को कुछ करना चाहिए, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं किया। ट्रूडो ने खालिस्तानी चरमपंथियों के खिलाफ कुछ नहीं किया।
टोरंटो सन ने आगे लिखा है कि कनाडा ने भारत पर जो आरोप लगाए हैं, उसे लेकर मोदी सरकार चुप नहीं बैठने वाली है। कनाडा के लोगों को ये आशंका होनी चाहिए कि इस आरोप के लिए भारत की मोदी सरकार कनाडा को दंडित करने की कोशिश करेगी। अखबार ने कहा कि ट्रूडो की सरकार निज्जर की हत्या में भारत सरकार का हाथ साबित करने के लिए जो भी सबूत पेश कर सकती है, उसे सामने लाए।
वहीं, संयुक्त राष्ट्र महासभा में भाग लेने पहुँचे कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो से पत्रकारों ने भारत पर लगाए गए आरोपों पर ही सवाल पूछा, लेकिन उन्होंने उसका कोई जवाब नहीं दिया। ट्रूडो ने इतना कहा कि वे कोई समस्या नहीं पैदा कर रहे हैं, बल्कि नियम आधारित बात कर रहे हैं। वहीं, एक पत्रकार ने कहा कि ‘इस मुद्दे पर संभवत: आप विश्व मंच पर अकेले पड़ गए हैं।’
ये हकीकत है कि भारत पर लगाए गए आरोपों पर जस्टिन ट्रूडो अकेले पड़ गए हैं। कनाडा विश्व पर प्रमुख पाँच देशों के संगठन Five Eyes का सदस्य है, लेकिन अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड इस मुद्दे पर मुँह खोलने के लिए तैयार नहीं हैं। अमेरिका ने सिर्फ इतना कहा है कि अगर ये आरोप सच हैं तो गंभीर हैं। भारत को निज्जर की हत्या की जाँच में शामिल होना चाहिए। ऑस्ट्रेलिया ने भी कहा कि इस आरोपित से वह चिंतित है। लगभग यही भाषा सदस्य देशों की रही।
कनाडा में अमेरिकी राजदूत डेविड कोहेन ने उन रिपोर्टों की पुष्टि की कि फाइव आईज़ भागीदारों ने इस मामले पर खुफिया जानकारी साझा की थी। जब उनसे पूछा गया कि उनके सहयोगियों ने हत्या की सार्वजनिक रूप से निंदा करने की कनाडा की अपील को खारिज कर दिया था, तब उन्होंने कहा कि ‘उन्हें निजी राजनयिक बातचीत पर टिप्पणी करने की आदत नहीं है’।
दरअसल, कनाडा की संख्या से 35 गुना बड़ा भारत को कोई भी देश नाराज करना नहीं चाहता है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने तो यून महासभा में इस मामले पर भारत के खिलाफ कुछ बोलने के बजाय आर्थिक रूप से तरक्की करने को लेकर उसकी जमकर तारीफ की है। सारे देश ये जानते हैं कि निज्जर एक आतंकी था और उसकी हत्या में भारत की भूमिका को लेकर कनाडा अभी तक कोई सबूत नहीं पेश कर पाया है।