प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्री पर सवाल उठाकर दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) संयोजक अरविंद केजरीवाल कानूनी और अदालती चक्कर में घिर गए हैं। गुजरात यूनिवर्सिटी की ओर से दायर मानहानि केस में शुक्रवार को उन्हें सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा। सर्वोच्च अदालत ने केजरीवाल की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने उनके हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी। केजरीवाल ने सुप्रीम कोर्ट से अपने खिलाफ आपराधिक मानहानि केस पर रोक की मांग की थी।
बेंच ने कहा कि गुजरात यूनिवर्सिटी और केजरीवाल अपनी शिकायतें हाई कोर्ट के सामने रख सकते हैं। अरविंद केजरीवाल की ओर से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हाई कोर्ट ने मानहानि केस में अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया जो गलत है। यूनिवर्सिटी की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केजरीवाल ने तथ्यों को छिपाया। गुजरात हाई कोर्ट ने 11 अगस्त को केजरीवाल और संजय सिंह की याचिका खारिज कर दी थी जिसमें उन्होंने आपराधिक मानहानि की सुनवाई पर अंतरिम रोक की मांग की थी।
इससे पहले गुजरात की मेट्रोपोलिटन अदालत ने अरविंद केजरीवाल और संजय सिंह को अपने कथित अपमानजक बयानों को लेकर तलब किया था। इस मामले की सुनवाई 31 अगस्त को होनी है। ‘आप’ के दोनों नेताओं ने समन को सेशंस कोर्ट में चुनौती दी थी। सेशंस कोर्ट ने 7 अगस्त को अंतरिम रोक लगाने याचिका खारिज कर दी। इसके बाद वे हाई कोर्ट गए थे। सेशन कोर्ट में पुनर्विचार याचिका पर अब 16 सितंबर को सुनवाई होगी। केवल केजरीवाल ने सर्वोच्च अदालत में हाई कोर्ट के 11 अगस्त के फैसले को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी।
क्या थी शिकायत
पटेल की ओर से दी गई शिकायत के मुताबिक दोनों नेताओं ने मोदी की डिग्री को लेकर गुजरात यूनिवर्सिटी को निशाने पर रखते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान और ट्विटर पर अपमानजनक बातें कहीं। शिकायत में कहा गया कि केजरीवाल और संजय सिंह के बयानों से यूनिवर्सिटी की प्रतिष्ठा को चोट पहुंची है। पटेल ने अपनी शिकायत में कहा, ‘उनके बयान व्यंग्यात्मक थे और जानबूझकर विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने के लिए दिए गए थे।’