पिछले कुछ सालों से सीमा पर तनाव के बावजूद भी भारत और चीन का व्यापार रिकॉर्ड स्तर पर बढ़ा लेकिन अब सालों के बाद ऐसा हो रहा है कि द्विपक्षीय व्यापार में गिरावट आई है. दोनों देशों की बीच व्यापार में 0.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
चीन के कस्टम विभाग की तरफ से गुरुवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, इस साल की पहली छमाही में भारत को चीन का निर्यात पिछले साल के 57.51 अरब डॉलर की तुलना में 0.9 प्रतिशत की गिरावट के साथ 56.53 अरब डॉलर रहा है.
वहीं, चीन को भारत का निर्यात पिछले साल के 9.57 अरब डॉलर की तुलना में 9.49 अरब डॉलर रहा. 2023 की पहली छमाही में व्यापार घाटा भी पिछले साल के 67.08 अरब डॉलर की तुलना में काफी कम होकर 47.04 अरब डॉलर हो गया. बता दें कि अगर कोई देश निर्यात से अधिक आयात करता है तो उसे व्यापार घाटे का सामना करना पड़ता है.
साल 2022 भारत-चीन व्यापार के लिए बेहद अच्छा साल था. क्योंकि मई 2022 में पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध के बाद रिश्तों में तनाव के बावजूद दोनों देशों के बीच रिकॉर्ड 135.98 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था.
उस दौरान भारत-चीन के व्यापार में 8.4 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी. साल 2021 में द्विपक्षीय व्यापार 125 अरब डॉलर रहा था. साल 2022 में द्विपक्षीय संबंधों में उतार-चढ़ाव के बावजूद चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा पहली बार 100 अरब डॉलर को पार कर गया था. साल 2021 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 69.38 अरब डॉलर था जो 2022 में बढ़कर 101.02 अरब डॉलर हो गया.
भारत-चीन व्यापार में मंदी
इस साल की पहली छमाही में भारत-चीन व्यापार में मंदी आई क्योंकि चीन का कुल व्यापार एक साल पहले की तुलना में लगभग 5 प्रतिशत कम हो गया. चीन के निर्यात में 3.2 फीसदी की गिरावट आई और आयात 6.7 फीसद कम हुआ है.
एक साल पहले जून में चीन के निर्यात में भी भारी कमी (12.4 प्रतिशत) आई थी क्योंकि उसकी अर्थव्यवस्था कोविड के बाद रिकवर कर रही थी. तब महंगाई पर रोक लगाने के लिए चीन के केंद्रीय बैंकों ने ब्याज दरों को बढ़ा दिया जिससे मांग कम हो गई थी.
गुरुवार को जारी चीनी कस्टम विभाग के आंकड़ों से पता चला है कि चीन का वैश्विक आयात 6.8 प्रतिशत घटकर 214.7 अरब डॉलर हो गया है.
धीमी पड़ी चीन की अर्थव्यवस्था
विश्लेषकों का कहना है कि चीन के व्यापार को लेकर सामने आए निराशाजनक आंकड़े बताते हैं कि महामारी के बाद चीन के आर्थिक सुधार की तेज गति धीमी हो गई है.
पिनप्वाइंट एसेट मैनेजमेंट के मुख्य अर्थशास्त्री झांग झीवेई ने साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से बात करते हुए कहा, ‘ये आंकड़ें कमजोरी के संकेत हैं जिससे आने वाले समय में चीन के निर्यात पर अधिक दबाव पड़ने की संभावना है. चीन अपने घरेलू मांग पर निर्भर है. ऐसे में बड़ा सवाल ये हैं कि अगले कुछ महीनों में सरकार के ज्यादा प्रोत्साहन के बिना क्या घरेलू मांग फिर से बढ़ पाएगी.’
एसोसिएशन ऑफ साउथईस्ट एशियन नेशंस (ASEAN देश) जो चीन का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है, इसके देशों को चीन के निर्यात में 16.86 प्रतिशत की गिरावट आई है.
आंकड़ों के अनुसार, अमेरिका के साथ चीन का व्यापार लाभ 30.6 प्रतिशत कम होकर 28.7 अरब डॉलर हो गया है. हालांकि, जून के महीने में रूस को चीन का निर्यात पिछले साल के इसी महीने की तुलना में 90.93 प्रतिशत बढ़ गया है.
विदेशी व्यापार को पटरी पर लाने के लिए चीन को करनी होगी मशक्कत
डेटा जारी करते हुए चीनी कस्टम विभाग के प्रवक्ता लू डालियांग ने कहा कि चीन को साल के आखिरी महीनों में विदेशी व्यापार को पटरी पर लाने के लिए दबाव का सामना करना पड़ेगा.
उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में कहा, ‘विश्व की विकसित अर्थव्यवस्थाएं महंगाई की मार झेल रही हैं. भू-राजनीतिक संघर्ष अभी भी हो रहे हैं और ऐसा लगता नहीं कि वैश्विक मांग में तत्काल वृद्धि होगी.’
लू ने कहा कि चीन की अर्थव्यवस्था महामारी के बाद फिर से खड़ी हो रही है और कुछ समय में ही विदेशी व्यापार सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ेगा.