महाराष्ट्र में लंबी जद्दोजेहद के बाद आखिरकार सीएम शिंदे ने एनसीपी के नवनियुक्त मंत्रियों के विभागों के बंटवारे पर अंतिम मुहर लगा दी है. एनसीपी के कोटे में सात महत्वपूर्ण मंत्रालय आ गए हैं जिनमें वो वित्त मंत्रालय भी शामिल है जिसे लेकर काफी दिनों से रस्साकशी चल रही थी. इसके अलावा एनसीपी को योजना,खाद्य और नागरिक आपूर्ति, सहकारी समितियां, महिला और बाल विकास, कृषि, राहत और पुनर्वास, चिकित्सा शिक्षा मंत्रालय मिलेगा.
पोर्टफोलियो वितरण की सूची का औपचारिक ऐलान जल्द होने की उम्मीद है. इस बीच मुख्यमंत्री कार्यालय के अधिकारी राजभवन पहुंच गए हैं. यह सूची राज्यपाल की मंजूरी के बाद सूची मुख्य सचिव को भेजी जायेगी. अजित पवार ने राज्यपाल को भेजी गई पोर्टफोलियो वितरण सूची की पुष्टि कर दी है. कहा जा रहा था कि वित्त और सहकारिता मंत्रालय को लेकर एनसीपी व शिंदे गुट के बीच खींचतान चल रही है, जिसके चलते विभागों का बंटवारा अभी तक नहीं हो सका था. अजित पवार वित्त और सहकारिता मंत्रालय एनसीपी के पास रखने को लेकर आक्रामक थी.
अजित गुट के लिए सहकारिता मंत्रालय क्यों महत्वपूर्ण?
बता दें कि अजित पवार गुट वित्त के साथ ही सहकारिता मंत्रालय को लेकर आक्रामक थे, क्योंकि यह एनसीपी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है. दर्जन भर से अधिक एनसीपी नेता सहकारी या निजी चीनी कारखाने चला रहे हैं. साथ ही उनका सहकारी बैंकों पर भी नियंत्रण है. उन्हें दोनों क्षेत्रों में भारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में अब उनके पास सहकारी मंत्रालय होगा तो उनकी समस्याओं का समाधान तेजी से हो सकेगा.
हालांकि पिछले साल जब एकनाथ शिंदे और उनके 40 समर्थकों ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत की थी, तब उन्होंने अजित पवार के वित्त विभाग संभालने पर कड़ी आपत्ति जताई थी. उस दौरान शिंदे और उनके खेमे के विधायकों ने आरोप लगाया था कि फंड वितरण के मामले में अजित पवार पक्षपात कर रहे हैं. वह शिवसेना के निर्वाचन क्षेत्र में एनसीपी के नेताओं को अधिक फंड दे रहे थे और ऐसा करके वे शिवसेना को कमजोर करने की कोशिश कर रहे थे.
शिंदे गुट ने अजित पवार पर लगाए थे गंभीर आरोप
इसके बाद शिंदे गुट के संजय शिरसाट, गुलाबराव पाटिल, दीपक केसरकर, भरत गोगावले, शाहजीबापू पाटिल और कई अन्य लोगों ने अजित पवार पर खुलकर आरोप लगाए. वहीं अब अगर वित्त मंत्रालय अजित पवार के पास जाता है तो यह शिंदे गुट के लिए शर्मनाक होगा. क्योंकि उन्हें इसको लेकर लोगों और मीडिया के सवालों का सामना करना पड़ सकता है.
उधर, पोर्टफोलियो आवंटन में देरी के कारण मंत्रालय में कार्यालयों और अन्य चीजों का भी आवंटन नहीं हो पा रहा है. फिलहाल सभी मंत्रियों ने अपना-अपना कामकाज संभाल लिया है. वे अभी भी अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में शक्ति प्रदर्शन कर रहे हैं.
अपने निर्वाचन क्षेत्रों में पहुंच रहे बागी विधायक
अभी वीकैंड पर ही एनसीपी मंत्री अनिल पाटिल, छगन भुजाल, हसन मुश्रीफ और अन्य पार्टी में बगावत के बाद अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में पहली बार पहुंचे. इस दौरान जब आजतक ने बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले से पोर्टफोलियो आवंटन के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा, ‘यह पूरी तरह से सीएम का विशेषाधिकार है और वह जल्द ही ऐसा करेंगे. सीएम और देवेन्द्र जी तथा अजित पवार का एक दूसरे के साथ बहुत अच्छा तालमेल है इसलिए इसमें कोई समस्या नहीं है, यह जल्द ही होगा.
बता दें कि पिछले रविवार (2 जुलाई) को अजित पवार ने उपमुख्यमंत्री और छगन भुजबल, दिलीप वलासे पाटिल, हसन मुश्रीफ, धनंजय मुंडे, संजय बनसोडे, अदिति तटकरे और धर्मरावबाबा अत्राम ने मंत्री पद की शपथ ली है.
एनसीपी संस्थापक शरद पवार गुट ने उन 9 विधायकों को अस्थायी तौर पर निलंबित करने की मांग की है, जिन्होंने अजित पवार का समर्थन किया है और शिंदे-फडणवीस सरकार में मंत्री पद की शपथ ली है. इन विधायकों के खिलाफ एनसीपी विधायक और ग्रुप लीडर जयंत पाटिल ने विधानसभा स्पीकर हाउस में याचिका दायर की है. याचिका में मांग की गई है कि इन विधायकों को अस्थायी तौर पर निलंबित करने की कार्रवाई की जाए.