LG vs Kejriwal केस की सुनवाई शुरू हुई तो CJI चंद्रचूड़ के कान में क्या कहने लगे जस्टिस मुरारी?

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार बनाम एलजी की लड़ाई जब सुप्रीम कोर्ट पहुंची तो सुनवाई के पहले ही दिन चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (CJI DY Chandrachud) ने तय किया कि यह मामला ‘ग्रीन बेंच’ के पास जाएगा, यानी पूरी सुनवाई पेपर लेस होगी। उस बेंच में जस्टिस कृष्ण मुरारी भी शामिल थे, लेकिन वो टेक्नोलॉजी फ्रेंडली नहीं थे। सुनवाई शुरू होते ही जस्टिस मुरारी ने सीजेआई के कान में बुदबुदाया- ‘मैं कैसे कर पाऊंगा…?’ इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि चिंता मत करिए, सब कुछ हो जाएगा।

ऐन मौके पर शर्मिंदा हो गए थे जस्टिस मुरारी

जस्टिस मुरारी कहते हैं कि इसके बाद रजिस्ट्री के कर्मचारी आए और उन्होंने मुझे बताया कि आईपैड पर कैसे काम करना है, लेकिन जब हियरिंग शुरू हुई तो मैं इसे चला ही नहीं पा रहा था। जस्टिस नरसिम्हा भी उस बेंच में थे। उन्होंने अपनी स्क्रीन दूसरी तरफ घुमा दी, लेकिन मेरे लिए यह शर्मिंदगी वाली बात थी। इसके बाद मैंने तय किया कि हर हाल में सीखकर रहूंगा और अपने लॉ क्लर्क के साथ लगातार प्रैक्टिस करता रहा।

जस्टिस कृष्ण मुरारी 7 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से रिटायर हो गए। उनके सम्मान में सेरेमोनियल बेंच आयोजित की गई, जिसमें उन्होंने खुद यह वाकया साझा किया। जस्टिस मुरारी ने कहा कि मेरा सौभाग्य है कि मुझे दो बार जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई में काम करने का मौका मिला। एक बार इलाहाबाद हाईकोर्ट और दूसरी बार सुप्रीम कोर्ट में। जब मैं इस पेशे में आया था तो बार में किसी को नहीं जानता था, लेकिन बाद में सबसे घुलमिल गया। अब करीब साढ़े उन्नीस साल बाद विदा हो रहा हूं तो लगता है कि जैसे कल ही की बात हो जब मैं कोर्ट में आया था।

जस्टिस मुरारी ने शायरी पढ़ी- ‘हमारे बाद महफिल में अफ़साने बयां होंगे, बहारें हमको ढूंढेंगी न जाने हम कहां होंगे…’।

सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि जस्टिस कृष्णा मुरारी से मेरा संबंध तब का है जब मैं इलाहाबाद हाई कोर्ट का चीफ जस्टिस बना था। मुझे नहीं लगता कि जस्टिस मुरारी ने आज तक कभी भी अपना आपा खोया है। उनकी पत्नी भी जानती हैं कि वह सुप्रीम कोर्ट में कितने पॉपुलर हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जस्टिस कृष्ण मुरारी भले ही इलाहाबाद के हों लेकिन उनके व्यवहार में लखनऊ का अंदाज झलकता है।

कौन हैं जस्टिस कृष्ण मुरारी?

जस्टिस कृष्ण मुरारी मूल रूप से इलाहाबाद के रहने वाले हैं। 9 जुलाई 1958 को जन्मे जस्टिस कृष्ण मुरारी ने इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से कानून की पढ़ाई की। इसके बाद 23 दिसंबर 1981 को बतौर एडवोकेट प्रैक्टिस शुरू की। जस्टिस मुरारी 7 जनवरी 2004 को पहली बार इलाहाबाद हाई कोर्ट के एडिशनल जज नियुक्त हुए। कुछ वक्त बाद ही 18 अगस्त 2005 को परमानेंट जज नियुक्त कर दिया गया।

जस्टिस मुरारी ने करीब चौदह साल तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में सेवा दी। फिर 2 जून 2018 को पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त हुए। यहीं से 23 सितंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने।

Supreme Court, Justice Krishna Murari, CJI DY Chandrachud
जस्टिस कृष्ण मुरारी द्वारा दिये गए फैसले। सोर्स- scobserver

293 बेंच का हिस्सा, 59 जजमेंट

26 मई 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक जस्टिस कृष्ण मुरारी 293 बेंच का हिस्सा रहे और इस दौरान 59 जजमेंट दिए। सर्वाधिक 38 फीसदी जजमेंट क्रिमिनल मामलों में दिए। जबकि 6 परसेंट सिविल मामलों में। इसी तरह 4.3% संविधान से जुड़े मामलों और इतना ही प्रॉपर्टी से जुड़े मामलों के थे।

जस्टिस मुरारी उस संवैधानिक पीठ का भी हिस्सा थे जिसने महाराष्ट्र में राज्यपाल द्वारा फ्लोर टेस्ट के फैसले को अवैध ठहराया था। इसके अलावा इसी साल एलजी बनाम दिल्ली सरकार मामले में, दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला देने वाली बेंच में भी शामिल थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *