नई दिल्ली/वॉशिंगटन। कांग्रेस की यूपी यूनिट ने पिछले दिनों ऐलान किया था कि वह जातीय जनगणना कराने और ओबीसी आरक्षण बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन करेगी। कांग्रेस ने ओबीसी यूनिट की मीटिंग में यह ऐलान किया तो उसे अलग अंदाज में देखा गया। इसकी वजह यह थी कि अब तक कांग्रेस इस मसले पर चुप ही रही थी। लेकिन ओबीसी आरक्षण और जातिवार जनगणना की मांग से अब कांग्रेस नए कलेवर और तेवर में आती दिख रही है। नरेंद्र मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद से ही राहुल गांधी सूट-बूट की सरकार या दो मित्रों को फायदा देने वाली सरकार कहते रहे हैं। बीते एक साल से अडानी पर भी उन्होंने भाजपा को खूब घेरा था।
‘मुस्लिमों की हालत दलितों जैसी, असुरक्षित महसूस कर रहे’
यही नहीं राहुल गांधी ने यह भी कहा कि मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है और उनकी हालत दलितों जैसी है। राहुल गांधी ने कहा कि मुस्लिम इस समय खुद को खतरे में महसूस कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘मुस्लिम खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं क्योंकि उनके साथ सीधे तौर पर ज्यादती होती है। लेकिन ऐसा ही सभी अल्पसंख्यकों के साथ हो रहा है। मैं गारंटी देता हूं कि मेरे सिख, ईसाई, दलित और आदिवासी भाई भी ऐसा ही फील कर रहे होंगे। देश में जो भी आज गरीब है, वह परेशान है और उत्पीड़न का शिकार है।’
पुरानी पेंशन और जातीय जनगणना से भाजपा को देगी टेंशन?
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि कांग्रेस का दलित, मुस्लिम का मुद्दा उठाना और जातीय जनगणना पर जोर देना उसकी बदली रणनीति है। दरअसल कॉरपोरेट घरानों और अमीरों की सरकार बताने से जनता उसके साथ नहीं जुड़ रही थी। इसके अलावा कोई ऐसा समुदाय भी नहीं था, जो पूरी तरह कांग्रेस के साथ दिखे। ऐसे में कांग्रेस ने पहले कर्मचारी वर्ग को साधने के लिए पुरानी पेंशन स्कीम का मुद्दा उठाया। इसका फायदा उसे हिमाचल में दिखा। फिर कर्नाटक में अहिंदा कार्ड चला, जिससे जीत मिली। ऐसे में वह 2024 के लिए पुरानी पेंशन और जातीय जनगणना के मुद्दे पर बढ़ना चाहती है। उसे लगता है कि इससे एक बड़ा वर्ग उसके समर्थन में खड़ा दिखेगा।