नई दिल्ली। भारत में लगातार तीसरे दिन मंगलवार को कोरोना के रोजाना आने वाले मामलों में गिरावट देखी गई है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा आज जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, देश में पिछले 24 घंटे में कोरोना के 6000 से ज्यादा नए मामले सामने आए हैं. इन आंकड़ों के बाद रोजाना का पॉजिटिविटी रेट 3.52 प्रतिशत और वीकली पॉजिटिविटी रेट 5.42 प्रतिशत बताई गई है. कोरोनोवायरस के बढ़ते मामलों के बीच स्वास्थ्य विभाग ने स्थिति पर बारीकी से नजर रखने की सलाह दी है.
भारत में एक नया वैरिएंट तेजी से फैल रहा है जो काफी खतरनाक है. इस नए वैरिएंट का नाम आर्कटुरस (Arcturus) है. WHO की कोविड टेक्निकल लीड मारिया वैन केरखोव ने मार्च 2023 के आखिरी में XBB.1.16 वैरिएंट के बारे में कहा था, ‘इस नए वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में एक अतिरिक्त म्यूटेशन है जो संक्रामकता और बीमारी पैदा करने की क्षमता को बढ़ा सकता है. यह अभी तक का सबसे तेजी से फैलने वाला वैरिएंट है.’
कोरोना के मामले कम होने के बाद भी खतरा बना हुआ है क्योंकि एक ओर जहां सबसे खतरनाक वैरिएंट तेजी से फैल रहा है. वहीं, दूसरी ओर कुछ एक्सपर्ट ने कोरोना से भी खतरनाक महामारी आने की चेतावनी दी है. हाल ही में एक महामारी विशेषज्ञ ने चेतावनी दी है और कहा है कि सरकार को अभी से ही अलर्ट हो जाना चाहिए.
कनाडाई-ब्रिटिश इम्यूनोलॉजिस्ट और जेनेटिसिस्ट सर जॉन बेल (Sir John Bell) ने चेतावनी दी है, ‘ओमिक्रॉन का सब-वैरिएंट XBB.1.16 यानी आर्कटुरस (वैज्ञानिक नाम) ने ब्रिटेन और अमेरिका सहित 22 देशों में तबाही मचाई है. आने वाले समय में यह और अधिक खतरनाक हो सकता है और यह ब्रिटेन में मामलों के गंभीर होने का भी कारण बन सकता है.’
अन्य वैज्ञानिकों का मानना है कि COVID-19 के जैसी ही एक और महामारी आ सकती है जिसे कोई रोक नहीं पाएगा. सभी देशों को किसी भी महामारी से निपटने के लिए हमेशा अलर्ट मोड पर रहना चाहिए. हेल्थ केयर सिस्टम को भी और मजबूत करना चाहिए ताकि कोई भी महामारी पर निगरानी रखी जा सके और भविष्य के खतरों की पहचान की जा सके.
वैज्ञानिकों ने कहा है कि ब्रिटेन 2020 की तुलना में अभी महामारी से लड़ने के लिए बेहतर रूप से तैयार नहीं है क्योंकि इंफेक्शन और मॉनिटरिंग सर्विसेज में इन्वेस्ट नहीं हुआ है और नेशनल हेल्थ सर्विस के लिए भी फंडिंग नहीं हुई है.
क्या है आर्कटुरस वैरिएंट (What is Arcturus variant)
आर्कटुरस, क्रैकेन वेरिएंट (XBB.1.5) की तुलना में 1.2 गुना अधिक संक्रामक है. इसे अब तक का सबसे संक्रामक रूप माना जा रहा है. आर्कटुरस वैरिएंट ओमिक्रॉन के 600 से अधिक सब वैरिएंट में से एक है.
ओमिक्रॉन के 600 से अधिक सब वैरिएंट में से एक आर्कटुरस यानी XBB.1.16 है और इसे अब तक का सबसे संक्रामक वैरिएंट माना जा रहा है. यह वैरिएंट पहली बार जनवरी में पाया गया था.न्यू यॉर्क इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी शो के राजेंद्रम राजनारायणन (Rajendram Rajnarayanan) के मुताबिक, आर्कटुरस वैरिएंट कैलिफोर्निया, अमेरिका, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, वाशिंगटन, न्यू जर्सी, न्यूयॉर्क, वर्जीनिया और टेक्सास सहित अमेरिका समेत 22 देशों में पाया गया है लेकिन इसके सबसे अधिक मामले इंडिया में पाए गए हैं.
वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना के अन्य वैरिएंट की तुलना में यह अधिक घातक हो सकता है. महामारी के शुरुआती दिनों के विपरीत अभी जो कोरोना के मामले आ रहे हैं, उनके लक्षण फ्लू से मिलते-जुलते हैं.
कोरोना से भी खतरनाक महामारी आएगी
विशेषज्ञों ने COVID-19 टेस्टिंग लैब्स को बंद करने, वैक्सीन बनाने और रिसर्च के लिए बनाई गई प्रयोगशालाओं को खोलने से पहले ही बेचने को लेकर चिंता जताई है. वह इस बात से चिंतित हैं कि नेशनल हेल्थ सर्विस अभी बदतर स्थिति में है जिसके कारण मरीजों की लंबी वेटिंग लिस्ट है और एंबुलेंस भी देरी से चल रही हैं. कोविड-19 महामारी से सीखने के बाद एक्सपर्ट चेतावनी दे रहे हैं कि ब्रिटेन अगली महामारी के लिए तैयार नहीं है जो पिछली महामारी से और भी खतरनाक हो सकती है.
ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका प्रोग्राम को लीड करने वाली लीड प्रिंसपल इन्वेस्टिगेटर प्रोफेसर टेरेसा लाम्बे (Professor Teresa Lambe) ने कहा, ‘यूके कोरोना से लिए गए सबक लेने में असफल रहा है और जनता एक नई महामारी की ओर बढ़ रही है क्योंकि सरकार द्वारा कोई भी प्रयास नहीं किए जा रहे हैं.
कोरोना महामारी की बारीकी से जांच और भविष्यवाणी करने वाले एवं सरकार के एक पूर्व मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार सर डेविड किंग (Sir David King) का कहना है, ‘दुनिया को अगले 15 सालों में एक और खतरनाक वायरस का प्रकोप देखने को मिल सकता है. सरकार नेशनल हेल्थ सर्विस में निवेश करने में असफल रही है और इसकी स्थिति पिछले तीन साल पहले की अपेक्षा और भी खराब हो गई है.’