लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने सोमवार को रायबरेली में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के गुरु कांशीराम की प्रतिमा के अनावरण के बहाने पर दलित वोटों पर अपनी दावेदारी पेश की। इसे लेकर बसपा में बेचैनी बढ़ गई है। मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने अखिलेश यादव पर तीखा हमला किया है।
आकाश आनंद ने मंगलवार को एक के बाद एक कई ट्वीट किए। एक ट्वीट में बसपा संस्थापक कांशीराम के सदन में दिए गए एक बयान का पुराना वीडियो पोस्ट करते हुए लिखा, ‘ये सपा वाले मान्यवर साहब की प्रतिमा का अनावरण क्यों कर रहे हैं? ये इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन्हें पता है कि सत्ता की मास्टर चाबी बहन जी के हाथ में जा रही है। चौकन्ना रहना साथियों, मान्यवर साहेब ने पहले ही ऐसी ताकतों से सतर्क रहने को कहा है। जय भीम!’
आकाश आनंद यहीं नहीं रुके। अपने अगले ट्वीट में उन्होंने सपा राज में जिलों के नाम बदले जाने का मुद्दा उठाया और अखिलेश यादव पर बहुजन महापुरुषों के अपमान का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा कि
‘मान्यवर के नाम पर रखे जिले कांशीराम नगर का नाम बदलकर कासगंज किया, पंचशील नगर का नाम बदलकर हापुड़, ज्योतिबा फूले नगर का नाम अमरोहा, छत्रपति साहू जी महाराज नगर का नाम बदलकर गौरीगंज, माता रमाबाई नगर का नाम बदलकर कानपुर देहात, प्रबुद्ध नगर का नाम बदलकर शामली, महामाया नगर का नाम बदलकर हाथरस कर दिया गया। ऐसे ही कई और बहुजन महापुरुषों का अखिलेश जी ने अपनी सरकार में अपमान किया। और आज वापस सत्ता में आने के लिए आपको हमारे महापुरुष याद आ रहे हैं। अखिलेश जी, मान्यवर साहब की प्रतिमा के अनावरण के साथ साहेब की विचारधारा को भी आप अपनाते तो बेहतर होता।
बसपा और समाजवादी पार्टी के बीच ताजा खींचतान दलित वोटों पर समाजवादी पार्टी द्वारा दावेदारी जताए जाने के बाद शुरू हुई है। बता दें कि सोमवार को अखिलेश यादव ने रायबरेली के एक डिग्री कॉलेज में बसपा संस्थापक कांशीराम की प्रतिमा का अनावरण कर दलित समाज को साथ आने का न्यौता दिया। इस कार्यक्रम का आयोजन वरिष्ठ नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने किया था जिनके सियासी सफर की शुरुआत कांशीराम के शिष्य के तौर पर हुई थी।
कांशीराम के दौर से जुड़े बसपा के कई अन्य पुराने नेता भी पिछले दिनों सपा से जुड़ गए है। अब अखिलेश 2024 से पहले बसपा के आधार वोट बैंक को सपा से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं। सोमवार को रायबरेली की सभा में स्वामी प्रसाद मौर्य ने मायावती पर अपने गुरु कांशीराम के सिद्धांतों से भटकने का आरोप लगाते हुए कहा था कि अब समाजवादी पार्टी ही एकमात्र विकल्प है।