लखनऊ। प्रदेश में मलेरिया विभाग में 76 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को नियम विरुद्ध तरीके से विनियमित करने का मामला सामने आया है। जिन 90 दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को मलेरिया विभाग से वर्ष 2000 में हटा दिया गया था, उनमें से 76 कर्मचारियों का गलत ढंग से विनियमितीकरण कर दिया गया।
स्वास्थ्य विभाग के निदेशक (प्रशासन) डा. राजा गणपति आर की ओर से शासन को पत्र लिखकर इन सभी कर्मचारियों को बर्खास्त करने की सिफारिश की गई है। यह मामला वर्ष 2019 का है। तत्कालीन चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डा. पद्माकर सिंह ने तत्कालीन निदेशक (संचारी) डा. बद्री विशाल के अध्यक्षता में वर्ष 2001 से लेकर वर्ष 2016 तक दैनिक वेतन भोगी के रूप में नियुक्त कर्मचारियों का विनियमितीकरण करने के लिए कमेटी का गठन किया।
विनियमितीकरण नियमावली 2016 के नियमों के तहत इनकी स्थाई नियुक्ति नहीं हो सकती थी। ऐसे में इस कमेटी ने ऐसा करने से मना कर दिया। इसके बाद दोबारा निदेशक (संचारी) डा. मिथिलेश चतुर्वेदी की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई और नियम विरुद्ध इन 76 कर्मचारियों को भी स्थाई कर दिया गया। जब पात्र कर्मचारियों का विनियमितीकरण नहीं हुआ तो उन्होंने इसकी शासन में शिकायत की और जांच के बाद यह खुलासा हुआ। डा. मिथिलेश चतुर्वेदी बाद में महानिदेशक भी बनी।
अब नियुक्ति घोटाले में तत्कालीन निदेशक (संचारी) एवं पूर्व महानिदेशक डा. मिथिलेश चतुर्वेदी, तत्कालीन निदेशक (मलेरिया) अरुण प्रकाश, तत्कालीन संयुक्त निदेशक (मलेरिया) डीपी मिश्रा और दो वरिष्ठ सहायक प्रशांत श्रीवास्तव व जीसी जोशी को दोषी करार दिया गया है। अब शासन की अनुमति मिलने के बाद कार्रवाई शुरू की जाएगी।
घोटालेबाजों ने गायब कर दी फाइलें
फर्जी नियुक्ति की जांच के दौरान कई महत्वपूर्ण कागज और फाइलें गायब मिली हैं। ऐसे में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशक डा. लिली सिंह की ओर से मामले में एफआइआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं। संयुक्त निदेशक (मलेरिया) डा. विकास सिंघल को रिपोर्ट दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है। फिलहाल विकास सिंघल अभी अवकाश पर हैं और लौटने के बाद ही वह इस पर कुछ स्पष्टीकरण देंगे कि अब तक उन्होंने क्या किया।
क्या कहते हैं जिम्मेदार
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महानिदेशालय से फर्जी नियुक्ति मामले की रिपोर्ट मिल गई है और शासन स्तर पर इसकी पड़ताल कराई जा रही है। जो भी लोग मामले में दोषी हैं उन्हें सख्त सजा दी जाएगी।
रविंद्र, विशेष ,सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य
शासन को जांच रिपोर्ट भेजी जा चुकी है। फाइलें गायब होने के मामले में रिपोर्ट दर्ज कराने के निर्देश पहले ही दिए जा चुके हैं। शासन का निर्देश मिलते ही नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
डा. लिली सिंह, महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य