नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी को चार साल पुराने एक बयान पर गुजरात की सूरत सेशन कोर्ट ने दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई है. कोर्ट ने राहुल गांधी को जमानत तो दे दी है, लेकिन दो साल की सजा होने की वजह से उनकी लोकसभा सदस्यता पर संकट गहरा गया है. राहुल गांधी को ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिलती है तो उन्हें अपनी सदस्यता गवांनी पड़ सकती है?
ये बयान बना मुसीबत
राहुल गांधी ने साल 2019 में एक बयान कर्नाटक में दिया था, जिसमें उन्होंने कहा था कि ‘सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?’ राहुल के इसी बयान को लेकर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कराया था. सूरत के सेशन कोर्ट ने गुरुवार को राहुल गांधी को दोषी ठहराते हुए दो साल की सजा सुनाई है. राहुल को कोर्ट से तुरंत 30 दिन की जमानत भी मिल गई.
राहुल की जाएगी सदस्यता?
सूरत के सेशन कोर्ट के फैसले की कापी को अगर प्रशासन लोकसभा सचिवालय को भेज देता है तो इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष उसे स्वीकार करते ही राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता खत्म हो जाएगी. राहुल गांधी को दो साल की सजा हुई है, जिसके बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. इस तरह से राहुल गांधी अब कुल आठ साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे.
राहुल के पास क्या विकल्प?
राहुल गांधी को अपनी सदस्यता को बचाए रखने के सारे रास्ते बंद नहीं हुए हैं. वो अपनी राहत के लिए हाईकोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, जहां अगर सूरत सेशन कोर्ट के फैसले पर स्टे लग जाता है तो सदस्यता बच सकती है. हाईकोर्ट अगर स्टे नहीं देता है तो फिर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना होगा. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट से अगर स्टे मिल जाता है तो भी उनकी सदस्यता बच सकती है.
पहले था ये नियम
आरपी अधिनियम की धारा 8(4) के प्रावधानों के अनुसार, एक मौजूदा सांसद/विधायक, दोषी ठहराए जाने पर, 3 महीने की अवधि के भीतर फैसले के खिलाफ अपील या पुनरीक्षण आवेदन दायर करके पद पर बना रह सकता था. इसे 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था. 2013 के फैसले के अनुसार, अब यदि एक मौजूदा सांसद/विधायक को किसी अपराध का दोषी ठहराया जाता है, तो उसे दोष सिद्ध होने पर तुरंत अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा (सजा दिए जाने पर नहीं) और सीट को खाली घोषित कर दिया जाएगा.