नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने 1984 भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग वाली केंद्र सरकार की 2010 की याचिका आज खारिज कर दी। केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए यूसीसी की उत्तराधिकारी कंपनियों से 7844 करोड़ रुपये अतिरिक्त मुआवजे का निर्देश देने की गुहार लगाई थी। इसके साथ ही कोर्ट ने पूर्व में अदालत को दिए गए अपने वचन के अनुसार पीड़ितों के लिए बीमा पॉलिसी नहीं तैयार करने के लिए केंद्र की खिंचाई की है।
समझौत के दो दशक बाद याचिका का कोई औचित्य नहीं
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने कहा कि समझौते के दो दशक बाद भी केंद्र द्वारा इस मुद्दे को उठाने का कोई औचित्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के लिए आरबीआई के पास पड़ी 50 करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल सरकार लंबित दावों को पूरा करने के लिए किया जाएगा।
जस्टिस संजीव खन्ना, अभय एस ओका, विक्रम नाथ और जेके महेश्वर की बेंच ने भी 12 जनवरी को केंद्र की उपचारात्मक याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
7,844 करोड़ रुपये और चाहता था केंद्र
केंद्र सरकार 1989 में समझौते के हिस्से के रूप में अमेरिकी कंपनी से प्राप्त 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर (₹715 करोड़) के अतिरिक्त यूसीसी की उत्तराधिकारी कंपनियों से 7,844 करोड़ रुपये चाहता था।
गौरतलब है कि यूसीसी ने 2 और 3 दिसंबर, 1984 की मध्यरात्रि को यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के रिसाव के बाद 1989 में ₹470 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दिया था, जिसमें 3,000 से अधिक लोग मारे गए और 1.02 लाख अधिक लो प्रभावित हुए थे।