इस्लामाबाद। पाकिस्तान के हालात दिन पर दिन खराब होते जा रहे हैं. नकदी संकट का सामना कर रहे पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार तीन अरब डॉलर से भी कम रह गया है. आर्थिक रूप से धराशायी होने से खुद को बचाने के लिए पाकिस्तान एक बार फिर से चीन अमेरिका का मुंह देखने के लिए मजबूर होने वाला है. दरअसल आईएमएफ की शर्तें ऐसी हैं जिन्हें मानना पाकिस्तान के लिए मुमकिन नहीं है. पाकिस्तान के एक मंत्री ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि अगर मुल्क ने ये शर्तें मान लीं तो पाकिस्तान की सड़कों पर दंगे होने लगेंगे. ऐसे में पाकिस्तान को दिवालियेपन से बचाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से 1.1 अरब डॉलर तत्काल दिए जाने के लिए कर्मचारी स्तर कीन वर्चुअल बैठक सोमवार से शुरू हो रही है.
पाकिस्तान की सरकार आईएमएफ की शर्तों के अनुपालन के तरीकों की तलाश कर रही है. 10 दिनों तक बातचीत के बावजूद, पाकिस्तान पिछले हफ्ते आईएमएफ से अपेक्षित बेलआउट पैकेज की मांग करने में विफल रहा, पाकिस्तान सरकार को केवल 7 अरब डॉलर के कर्ज को पूरा करने के लिए आईएमएफ से नियमों और शर्तों पर एक ज्ञापन मिला.
आर्थिक और वित्तीय नीतियों का मेमोरैंडम (एमईएफपी) एक अहम दस्तावेज है जो उन सभी स्थितियों, कदमों और नीतिगत उपायों के बारे में बताता है जिनके आधार पर दोनों पक्ष कर्मचारी स्तर के समझौते का ऐलान करते हैं. एमईएफपी का मसौदा साझा किए जाने के बाद, दोनों पक्ष दस्तावेज़ में बताए गए नीतिगत उपायों पर चर्चा करते हैं. एक बार जब इन्हें अंतिम रूप दे दिया जाता है, तो एक कर्मचारी-स्तर के समझौते पर हस्ताक्षर किए जाते हैं, जिसे बाद में अप्रूवल के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी बोर्ड को भेज दिया जाता है.
आईएमएफ मिशन प्रमुख कर चुके हैं पाक का दौरा
आईएमएफ मिशन के प्रमुख नाथन पोर्टर के नेतृत्व में एक आईएमएफ मिशन ने आईएमएफ एक्सटेंडेड फंड फैसिलिटी (ईएफएफ) अरेंजमेंट द्वारा समर्थित अधिकारियों के कार्यक्रम की नौवीं समीक्षा के तहत चर्चा करने के लिए 31 जनवरी से 9 फरवरी तक इस्लामाबाद का दौरा किया. नौवीं समीक्षा के सफल समापन के बाद अब नकदी संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को अगली किश्त के रूप में 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर मिलेंगे.
अमेरिका, चीन से मदद
पाकिस्तान अपने सुरक्षा साझेदार देशों जैसे कि संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब और चीन के आगे मदद के लिए हाथ फैला सकता है कि वह स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) में 10-12 अरब डॉलर जमा करके उसे इस मौजूदा आर्थिक संकट से उबार लें.
चालू वित्त वर्ष में बचे हुए समय में 170 अरब रुपये जमा करने के लिए, सरकार को 453 अरब रुपये के कर लगाने होंगे, जिसका असर पाकिस्तान सरकार की उम्मीद के मुताबिक राशि जमा करने के लिए होगा. वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर में 1 प्रतिशत की बढ़ोतरी से चालू वित्त वर्ष की बची हुई अवधि में 50-55 अरब रुपये मिलेंगे.
बिजली शुल्क में वृद्धि
आईएमएफ ने संशोधित सर्कुलर ऋण प्रबंधन योजना (सीडीएमपी) को लागू करने की मांग की है. इसमें बिजली दरों में 8-11 रुपये प्रति यूनिट की सीमा में बढ़ोतरी, जीरो रेटिंग इंडस्ट्रीज (जेडआरआई) के तहत गैर-लक्षित सब्सिडी को हटाने, किसान पैकेज दूर करने की भी मांग की है. इसके साथ ही गैस के दामों में 25-30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की भी मांग की गई है जिससे द्विपक्षीय, बहुपक्षीय और अन्य रास्तों के जरिए 12-13 बिलियन डॉलर हासिल किए जा सकते हैं.
ऐसे ही अन्य उपायों में सिगरेट, पेय पदार्थ, रियल एस्टेट के लेनदेन और महंगे वाहनों आदि पर कर की दरों में बढ़ोतरी शामिल है. पाकिस्तान के संघीय राजस्व बोर्ड (एफबीआर) का कर संग्रह आनुपातिक रूप से बढ़ जाएगा, इसलिए वार्षिक कर संग्रह लक्ष्य 7,640 अरब रुपये तक पहुंच जाएगा