Budget 2023: अगर आप चुनते हैं OLD TAX Regime तो बजट में आपके लिए कुछ भी नहीं!

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में टैक्सपेयर्स के लिए बड़े ऐलाननई दिल्ली। मोदी सरकार ने 2023-24 के आम बजट में नई टैक्स रिजीम का ऐलान किया है. मिडिल क्लास की मांग थी की उन्हें टैक्स में छूट दी जाए. वित्त मंत्री ने पिछले साल कहा भी था कि वो मध्यम वर्ग पर पड़ने वाले बोझ को समझ रही हैं. लेकिन नए टैक्स रिजीम के आने से पुराने रिजीम के टैक्सपेयर्स इस सोच में डूबे हैं कि आखिर उन्हें इस बजट से क्या मिला? नए टैक्स स्लैब के ऐलान के बाद लोगों के बीच कंफ्यूजन की स्थिति बन गई है. ओल्ड टैक्स रिजीम वाले टैक्सपेयर्स को इस बजट में कुछ मिला है या नहीं और नए टैक्स रिजीम में क्या अंतर है और टैक्सपेयर्स को फायदा किसमें मिलेगा. यहा समझें.

सबसे बड़ी असमंजस की स्थिति इस बात को लेकर है कि नए टैक्स रिजीम को चुना जाए या नए में दाखिल हुआ जाए. टैक्स एक्सपर्ट विनोद जैन का कहना है कि नए टैक्स रिजीम के तहत सरकार ने लोगों को बड़ी छूट दी है. टैक्स स्लैब को भी कम किया है और रेट को भी गिराया है. सबसे पहले समझ लेते हैं कि नए रिजीम में टैक्स की दर क्या होगी. सबसे पहले तो बता दें कि 7 लाख रुपये तक की सालाना आय टैक्स फ्री है. लेकिन सात लाख से अधिक आय टैक्सेबल है.

0 से 3 लाख रुपये तक की आय पर कोई शून्य टैक्स का प्रावधान है. 3 से 6 लाख रुपये तक की आय पर 5%, 6 से 9 लाख रुपये तक आय पर 10%, 9 से 12 लाख रुपये की आय पर 15%, 12 से 15 लाख रुपये तक की आय 20% और 15 लाख से ऊपर की आय 30% आयकर वसूला जाएगा.

कितना होगा फायदा?

6 से 9 लाख रुपये की आमदनी पर पहले 60 हजार रुपये का टैक्स लगाता था, जो कम होकर 45,000 रुपये हो गया है. यहां भी टैक्सपेयर्स को नए रिजीम में 15 हजार रुपये का फायदा मिलेगा. इसके बाद 9 से 12 लाख रुपये की इनकम पर एक लाख 15 हजार रुपये का टैक्स लगता था, जो अब कम होकर 90 हजार रुपये हो जाएगा. यहां भी टैक्सपेयर्स को 25 हजार रुपये का फायदा है. 12 से 15 लाख रुपये की कमाई पर एक लाख 87 हजार 500 रुपये का टैक्स देना पड़ता था, जो अब कम होकर 1,50,000 रुपये हो गया है. इसमें भी 37,000 रुपये से अधिक का फायदा है.

अब यहां पुराने टैक्स स्लैब को भी समझ लेते हैं

2.5 लाख तक- 0 फीसदी टैक्स
2.5 लाख से 5 लाख तक- 5 फीसदी टैक्स
5 लाख से 10 लाख तक- 20 फीसदी टैक्स
10 लाख से ऊपर- 30 फीसदी टैक्स

पुराने टैक्स रिजीम के तहत टैक्सपेयर्स को 80C के तहत निवेश पर छूट मिलती है. लेकिन पुराने टैक्स रिजीम के स्लैब काफी अधिक हैं. इसमें 10 लाख से ऊपर की आमदनी पर सीधे 30 फीसदी टैक्स का लगता है. जबकि नए में 12 से 15 लाख रुपये तक की आय 20 फीसदी टैक्स के दायरे में आएगी. ऐसे में ओल्ड टैक्स रिजीम को तहत टैक्स भरने वालों के लिए ये नुकसान का सौदा साबित होगा.

पुराने रिजीम वालों के लिए क्या?

इस बजट में पुराने रिजीम वाले टैक्सपेयर्स के लिए किसी भी तरह का कोई ऐलान नहीं हुआ है. अगर वो आगे भी इसी रिजीम में बने रहते हैं, तो नए रिजीम के मुकाबले उन्हें अधिक टैक्स चुकाना पड़ेगा.

पुराने रिजीम के लिए फॉर्म भरना होगा

सरकार ने कहा है कि अगर आपकी सालाना आमदनी सात लाख रुपये से अधिक है, तो आप खुद ब खुद नई टैक्स रिजीम में दाखिल हो जाएंगे. अगर कोई इसमें शिफ्ट नहीं होना चाहता है, तो उसे फॉर्म भरना पड़ेगा. पहले नई टैक्स रिजीम को चुनने के लिए टैक्स भरना पड़ता था.

टैक्स एक्सपर्ट विनोद जैन ने कहा कि पुराने टैक्स रिजीम में नए के मुकाबले इतना अधिक टैक्स लगेगा कि लोग नए में भी शिफ्ट करना चाहेंगे. कोई ओल्ड रिजीम में नहीं रहना पसंद करेगा. उनका कहना है कि सरकार ने नए टैक्स स्लैब का ऐलान इस वजह से किया है, क्योंकि टैक्सपेयर्स जो 80C तहत पैसे का निवेश करते हैं, उसपर सरकार को ब्याज देना पड़ता है. अब सरकार ब्याज का बोझ बढ़ता ही जा रहा है और फिस्कल डेफिसिट भी बढ़ता रहा है.

इसलिए कम से कम लोग 80C के तहत छूट का फायदा ले सकें इसलिए सरकार ने टैक्स में एडिशनल फायदा दिया है. लेकिन जो टैक्सपेयर्स पहले से ही पुराने टैक्स रिजीम में हैं और तमाम तरह के निवेश पर 80C के तहत छूट लेते आ रहे हैं, उनके लिए इस बजट में कुछ नहीं है. अगर वो पुराने रिजीम में बने रहेंगे, तो अधिक टैक्स का भुगतान करना पड़ेगा.

हालांकि, इस बात का ध्यान रखें कि अगर आप निवेश करके डिडक्शन का फायदा लेना चाहते हैं, तो नहीं मिलेगा. पीपीएफ जैसी स्कीम में निवेश करके टैक्स सेविंग करना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको पुराने टैक्स रिजीम को ही चुनना पड़ेगा.