प्रयागराज। साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि खुदकुशी मामले में मुख्य अभियुक्त शिष्य आनंद गिरि को इलाहाबाद हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आनंद गिरि की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. आनंद गिरि की जमानत अर्जी पर बहस पूरी होने के बाद अदालत ने 7 सितंबर को फैसला रिजर्व कर लिया था. जस्टिस संजय सिंह की सिंगल बेंच ने आनंद गिरि की जमानत अर्जी खारिज करने का फैसला सुनाया है. 53 पेज के जजमेंट में अदालत ने इस आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया है कि जेल से बाहर आने पर आनंद गिरि सबूतों से छेड़छाड़ कर सकते हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.
आनन्द गिरि की जमानत अर्जी निरस्त होने के बाद अभी जेल में ही रहना होगा. अब आनंद गिरि को जेल से बाहर आने के लिए हाईकोर्ट में दूसरी जमानत अर्जी दाखिल करनी होगी या फिर सुप्रीम कोर्ट जाना होगा. आनंद गिरि के अधिवक्ता इमरान उल्लाह ने कहा है कि अब पूरी तैयारी के साथ सुप्रीम कोर्ट में जमानत अर्जी दाखिल करेंगे.
इस मामले की जांच देश की सबसे बड़ी एजेंसी सीबीआई ने की थी. सीबीआई ने इस मामले में आनंद गिरि समेत 3 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की. सेशन कोर्ट से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद आनंद गिरि ने पिछले साल दिसंबर महीने में ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी. उन्होंने खुद को जमानत पर रिहा किए जाने का आदेश दिए जाने की अपील की थी. सीबीआई और यूपी सरकार ने आनंद गिरि की जमानत अर्जी का विरोध किया था. वहीं आनंद गिरि की तरफ से यह दलील दी गई कि उनके खिलाफ सीबीआई को कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला है. सिर्फ शक के आधार पर नरेंद्र गिरी ने अपने सुसाइड नोट में उनका नाम लिखा था.