महाराष्ट्र में भाजपा बीते कुछ महीनों से बेहद आक्रामक है और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के सत्ता से जाने के बाद से वह और आक्रामक हो गई है। एक तरफ उद्धव ठाकरे ने सत्ता खोई है तो वहीं एकनाथ शिंदे ने शिवसेना पर ही दावा ठोककर उनकी विरासत और सियासत दोनों के लिए चुनौती खड़ी कर दी है। इस संघर्ष का पूरा फायदा भाजपा को मिलता दिख रहा है, जिसकी नजर शिवसेना के गढ़ कहे जाने वाले इलाकों में उसके वोटरों को अपने पाले में लाने पर है। लेकिन भाजपा का यह अभियान सिर्फ ठाकरे फैमिली को ही दर्द देने तक सीमित नहीं है। भाजपा के रणनीतिकारों ने मराठा छत्रप कहे जाने वाले शरद पवार को भी घेरने की पूरी तैयारी कर ली है।
तो ठाकरे के अलावा पवार की भी बढ़ने वाली है टेंशन!
एनसीपी का गढ़ कहे जाने वाली बारामती सीट पर भाजपा 2024 के आम चुनाव में खास फोकस कर रही है। खुद डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस इस सीट पर नजर बनाए हुए हैं और लगातार सक्रिय हैं। ऐसे में साफ है कि एनसीपी को इस बार भाजपा उसके ही गढ़ में टेंशन देने का प्लान बना रही है। इस सीट से शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ही सांसद हैं। उन्होंने 2014 और 2019 में इस सीट पर जीत हासिल की थी, लेकिन दूसरे नंबर पर भाजपा ही थी। ऐसे में भाजपा को लगता है कि यदि उसकी प्लानिंग बेहतर रही और कुछ अधिक इलाकों में उसने पैठ बनाई तो फिर इस बार मुकाबला पलट भी सकती है।
कमजोर इलाकों में भी पैठ बनाने में जुटी है भाजपा
2019 के आम चुनाव में भी जब वोटों की गिनती शुरू हुई थी तो काफी उतार चढ़ाव देखने को मिला था। संसदीय क्षेत्र की खड़कवासला विधानसभा सीट से भाजपा की प्रत्याशी कंचन कुल आगे चल रही थीं। लेकिन बारामती और इंदापुर निर्वाचन क्षेत्रों ने योगदान दिया और सुप्रिया सुले ने डेढ़ लाख के अंतर से जीत हासिल की। भाजपा प्लानिंग बना रही है कि बारामती और इंदापुर विधानसभा में भी पैठ बनाई जाए। यदि ऐसा होता है तो फिर वह नतीजे पलटने की स्थिति में आ सकती है। यही शरद पवार फैमिली के लिए खतरे की घंटी है।
पवार के करीबी नेताओं को तोड़ रही भाजपा
भाजपा ने अपनी प्लानिंग के तहत यहां कुछ नेताओं को तोड़ना शुरू किया है, जो एक दौर में शरद पवार फैमिली के करीबी थे। इसके अलावा भाजपा ने केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण को ही यहां का जिम्मा दिया है। इस तरह हाईप्रोफाइल सीट पर भाजपा संगठन से लेकर परसेप्शन तक की लड़ाई में जीतने की कोशिश कर रही है। बता दें कि एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस पर भाजपा परिवारवाद को लेकर हमले करती रही है। ऐसे में पवार की बेटी की सीट पर भी वह यह कार्ड चल सकती है।