पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और उनके बेटे व पंजाब सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री हमजा शहबाज के खिलाफ लाखों डॉलर के मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में आरोप तय करने में बुधवार को देरी हुई, क्योंकि उन्होंने नए सिरे से अर्जी देकर मामले से बरी करने का अनुरोध किया है. संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) की विशेष अदालत को पिता-पुत्र के खिलाफ 1400 करोड़ पाकिस्तानी रुपये के मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में बुधवार को अभियोग तय करना था, लेकिन उनके वकीलों ने अदालत को सूचित किया कि उनके मुवक्किलों ने मामले से बरी करने की अर्जी दायर की है.
अधिवक्ता ने प्रधानमंत्री को पेशी से एक बार के लिए छूट देने का अनुरोध करते हुए कहा कि वह बुधवार की कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकते हैं क्योंकि वह बाढ़ राहत के कार्यों में व्यस्त हैं. इसपर न्यायाधीश इजाज हसन अवान ने अधिवक्ता से सवाल किया कि क्या प्रधानमंत्री 10 मिनट के लिए भी सुनवाई में नहीं आ सकते? इसके जवाब में अधिवक्ता अमजद परवेज ने कहा कि प्रधानमंत्री अगली सुनवाई के दौरान अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करने की कोशिश कर सकते हैं. इसके बाद न्यायाधीश ने कार्यवाही 17 सितंबर के लिए स्थगित कर दी जिस दिन उनकी बरी करने की अर्जी पर बहस होगी.
गौरतलब है कि शहबाज और हमजा दोनों इस मामले में अग्रिम जमानत पर है. अदालत शहबाज के छोटे बेटे सुलेमा शहबाज को मामले में घोषित अपराधी घोषित कर चुकी है.
प्रधानमंत्री शहबाज और उनके बेटों हमजा तथा सुलेमान के खिलाफ 1400 करोड़ पाकिस्तानी रुपये के कथित मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार के आरोप में संघीय जांच एजेंसी ने भ्रष्टाचार निरोधक कानून और धन शोधन रोधी कानून के तहत मुकदमा दर्ज किया है. सुलेमान 2019 से ब्रिटेन में हैं. शहबाज अक्सर कहते हैं कि सुलेमान वहां परिवार का कारोबार संभालते हैं. प्रधानमंत्री ने एक पिछली सुनवाई में अदालत में कहा था कि ‘‘फैसले का दिन भले ही आ जाए लेकिन संघीय जांच एजेंसी मेरे खिलाफ एक रुपये का भी भ्रष्टाचार साबित नहीं कर पाएगी.’’