नई दिल्ली। सीबीआई द्वारा जांच किए गए भ्रष्टाचार के लगभग 6,700 मामले विभिन्न अदालतों में लंबित हैं, जिनमें से 275 मामले तो 20 वर्ष से अधिक समय से लंबित हैं. केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई है.
इसमें कहा गया कि 31 दिसंबर 2021 तक के आंकड़ों के मुताबिक, कुल 1,939 मामले ऐसे हैं, जो विभिन्न अदालतों में 10-20 साल से चल रहे हैं जबकि 2,273 मामलों में सुनवाई 5-10 साल से चल रही है. वहीं 811 मामले 3-5 साल से चल रहे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, 1,399 मामलों में सुनवाई चलते हुए तीन साल से कम का समय हुआ है.
इसमें कहा गया कि 31 दिसंबर 2021 को 6,697 मामलों में सुनवाई लंबित थी, जिनमें से 275 मामले ऐसे थे, जिनमें सुनवाई 20 साल से ज्यादा समय तक चल रही है.
इसके अलावा कुल 10,974 अपील और पुनर्विचार के मामले उच्च न्यायालयों और न्यायालय में लंबित हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि कुल 9,935 अपील में से 9,698 अपील उच्च न्यायालयों में हैं, जबकि 237 उच्चतम न्यायालय में हैं. उच्च न्यायालयों में 1,039 पुनर्विचार याचिकाएं लंबित हैं.
इसमें कहा गया कि उच्च न्यायालयों और न्यायालय में लंबित 10,974 अपील और पुनर्विचार याचिकाओं में से 361 मामले 20 साल से ज्यादा समय से लंबित हैं, जबकि 558 मामले ऐसे हैं, जो 15 साल से ज्यादा लेकिन 20 साल से कम समय से लंबित हैं.
इसमें कहा गया कि 1,749 मामले ऐसे हैं, जो 10 साल से ज्यादा लेकिन 15 साल से कम समय से लंबित हैं, वहीं 3,665 मामले पांच साल से ज्यादा लेकिन 10 साल से कम समय से लंबित हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, 2,818 मामले दो साल से ज्यादा लेकिन पांच साल से कम समय से उच्च अदालतों में लंबित हैं, जबकि 1,823 मामले दो साल से कम समय से लंबित हैं.
रिपोर्ट में कहा गया कि केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा भ्रष्टाचार के 645 मामलों की जांच लंबित थी, जिनमें से 35 पांच साल से अधिक समय से लंबित हैं.
संसद के हाल में संपन्न हुए सत्र में यह रिपोर्ट पेश की गई थी और इसे बुधवार (24 अगस्त) को सार्वजनिक किया गया.
सीबीआई के पास लंबित मामलों में से 60 मामले तीन साल से ज्यादा, लेकिन पांच साल से कम समय से लंबित हैं, 71 मामले दो साल से ज्यादा लेकिन तीन साल से कम समय से लंबित हैं. वहीं 162 मामले एक साल से ज्यादा, लेकिन दो साल से कम समय से लंबित हैं.
रिपोर्ट के मताबिक, 317 मामले एक साल से कम समय से लंबित हैं.
इसमें कहा गया कि सीबीआई ने 2021 में 221 राजपत्रित अधिकारियों सहित 549 लोक सेवकों के खिलाफ 457 मामले दर्ज किए थे. इनमें से 504 का जांच कर निस्तारण कर दिया गया.
केंद्रीय एजेंसी को आम तौर पर पंजीकृत मामले की जांच एक साल के अंदर पूरी करनी होती है.
इसमें कहा गया कि विलंब के कारणों में – कोविड-19 महामारी के कारण देरी, काम के दबाव के कारण जांच में विलंब, कर्मचारियों की कमी आदि शामिल हैं.
सीबीआई के 75 कर्मचारियों के खिलाफ भी विभागीय कार्रवाई लंबित है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, इसमे कहा गया है, ‘आयोग नियमित रूप से सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ लंबित मामलों की समीक्षा करता है. सीबीआई अधिकारियों के खिलाफ लंबित मामले देश की प्रमुख जांच एजेंसी की प्रतिष्ठा और छवि को दर्शाती है.’
सीबीआई ने 2021 में 747 मामले दर्ज किए थे – 680 नियमित मामले (आरसी) और 67 प्रारंभिक जांच (पीई).
सीवीसी की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकारी कर्मचारियों द्वारा पक्ष दिखाने के लिए रिश्वत की मांग के लिए कुल 102 और आय से अधिक संपत्ति रखने के 40 मामले दर्ज किए गए थे.
सीवीसी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत की गई जांच के संबंध में सीबीआई के काम की निगरानी करता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि 747 मामलों में से 133 मामले संवैधानिक अदालतों के निर्देश पर और 37 मामले राज्य सरकारों/केंद्र शासित प्रदेशों के अनुरोध पर लिए गए.
राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने 2020 में 676 मामले दर्ज किए थे.
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2021 के दौरान 798 नियमित मामले और 86 प्रारंभिक जांच से जुड़े मामलों को अंतिम रूप दिया गया था. 31 दिसंबर 2021 तक 328 मामले एक साल से अधिक समय से जांच के लिए लंबित थे.’