नई दिल्ली। कभी-कभी हवस एक इंसान को दरिंदा बना देती है. यही हवस इंसान को ऐसे काम करने पर मजबूर कर देती है, जो उसे कानून की नजर में मुल्जिम बना देते हैं. जिस्मानी हवस का खेल और पैसे की चाहत किसी इंसान को इतना पागल कर देती है कि वो खून करने से भी गुरेज नहीं करता. ऐसी ही एक खौफनाक कहानी है एक नौजवान की. जिसने कुछ महीने पहले समलैंगिक रिश्ते बनाकर हवस का खेल खेला फिर वो अपने एक पार्टनर को ब्लैकमेल करने लगा और इसके बाद जो हुआ उसकी कहानी भी कम हैरान करने वाली नहीं है.
मेरठ में जागृति विहार के सेक्टर 6 का रहनेवाला 21 वर्षीय नौजवान यश रस्तोगी उस शाम को स्कूटी लेकर अपने घर से निकला था. घर से निकलते वक्त उसने थोड़ी ही देर में वापस लौट आने की बात कही थी. लेकिन शाम से रात हुई और रात से सुबह हो गई, लेकिन ना तो यश घर लौटा और ना ही घरवालों से उसकी कोई बात ही हुई. उसके घर से बाहर जाने के कुछ ही देर बाद उसका मोबाइल फोन भी ऑफ हो चुका था. ऐसे में घरवाले चाह कर भी उससे बात नहीं कर पा रहे थे.
घरवालों ने दर्ज कराया था अपहरण का केस
यश के परिजन उसे लगातार तलाश कर रहे थे. लेकिन उसका कुछ अता-पता नहीं था. तब हार कर उसके घरवालों ने इस बात की शिकायत पुलिस से की. मेरठ के मेडिकल थाने की पुलिस ने एक लड़के की रहस्यमयी गुमशुदगी का यह मामला किडनैपिंग यानी अपहरण के तौर पर दर्ज कर लिया और मामले की छानबीन शुरू कर दी. चूंकि मामला एक नौजवान के अपहरण का था, लिहाजा पुलिस ने मामले को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए कई टीमें बनाई. और तो और एसओजी यानी स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप को भी इनवेस्टिगेशन का हिस्सा बनाया गया. इस केस में पुलिस ने कई पहलुओं से मामले की तफ्तीश शुरू कर दी.
कई पहलुओं से मामले की तफ्तीश
मामले की गंभीरता तो पुलिस समझ ही चुकी थी. इसलिए तफ्तीश के लिए रणनीति भी बनाई जा चुकी थी. जिसमें यश के मोबाइल नंबर की लोकेशन और उस पर हुई आखिरी बातचीत की जानकारी जुटाना. सीसीटीवी फुटेज में दर्ज उसकी कोई तस्वीर हासिल करना शामिल था. सही कहें तो पुलिस सब कुछ देख रही थी, एक्सप्लोर कर रही थी. लेकिन करीब ढाई सौ सीसीटीवी कैमरों की फुटेज और सैकड़ों मोबाइल नंबरों से यश के अपहरण के लिए ज़िम्मेदार लोगों की पहचान कर पाना इतना आसान नहीं था.
ऐसे मिला केस का पहला सुराग
उधर, पुलिस पर लड़के को जल्द से जल्द ढूंढने का दबाव लगातार बढ़ रहा था. लेकिन सैकड़ों सीसीटीवी कैमरों की स्कैनिंग से पुलिस को इस मामले का पहला सुराग मिला. वो ये कि 26 जून की शाम को यश अपनी स्कूटी से अकेले ही शहर के लिसाडी गेट इलाक़े की तरफ जाता हुआ दिखा. उसकी ऐसी तस्वीरें सिर्फ एक नहीं कई सीसीटीवी कैमरों में कैद हुईं थी. यानी शुरुआती तफ्तीश से एक बात तो साफ थी कि उसे कोई जबरन उसके घर के पास से या फिर आस-पास के किसी ठिकाने से उठा कर नहीं ले गया. ये और बात है कि आगे उसके साथ शायद कोई ज़्यादती हुई थी.
स्कूटी पर जाता हुआ दिखाई दिया था यश
सीसीटीवी फुटेज की सूरत में पुलिस को यश की गुमशुदगी को लेकर एक और सुराग मिला. पुलिस ने नोटिस किया कि यश अपनी स्कूटी पर लिसाडी गेट की तरफ जाता हुआ तो दिखा, लेकिन वहां से वापस लौटने की उसकी कोई भी तस्वीर कैमरों में कैद नहीं हुई थी. यानी शक इस बात का था कि उसके साथ जो भी ज्यादती हुई या फिर उसे जिसने भी गायब किया, उसने उसे लिसाडी गेट के इलाके में ही कैद करके रखा था.
इस स्कैनिंग में पुलिस के तीन से चार दिन निकल गए. इस बीच पुलिस ने उसकी सीडीआर यानी कॉल डिटेल रिकॉर्ड निकलवाई, ताकि ये पता चल सके कि उसकी आख़िरी दफा किससे बात हुई और किन-किन लोगों से कितनी देर बातचीत हुई. इस कोशिश में पुलिस को एक-एक कर तीन लोगों के बारे में पता चला. ये लोग थे शावेज़, अलीशान और सलमान उर्फ सोनू. इनमें शावेज के साथ यश की आख़िरी दफा फोन पर बात हुई थी और उसकी बातचीत अलीशान और सलमान के साथ भी होती रही थी. यानी यश की गुमशुदगी से इन तीनों का कोई ना कोई लेना-देना ज़रूर था.
पूछताछ में खुला खौफनाक राज
अब पुलिस ने बिना देर किए तीनों को इंटरसेप्ट कर लिया. शावेज लिसाढी गेट इलाके में ही एक फैक्टरी चलाता था और अलीशान उसके पास काम करता था. जबकि सलमान शावेज का दोस्त है और वो कपड़े का काम करता है. पुलिस ने तीनों को हिरासत में लेने के बाद जब उनसे यश के बारे में पूछताछ की, तो उन्होंने भरसक पुलिस को अपनी तरफ से बरगलाने की कोशिश की, झूठी-सच्ची कहानियां सुनाईं. लेकिन जब पुलिस सख्ती पर आई, तो तीनों ने ना सिर्फ यश को जानने, उसका अपहरण करने और अपहरण के बाद उसकी हत्या कर देने तक की बात कबूल कर ली. जी हां, तीनों ने मिल कर 21 साल के एलएलबी स्टूडेंट यश रस्तोगी की हत्या कर दी थी.
परिवार पर टूटा आसमान
पूरे छह रोज़ बाद रस्तोगी परिवार को घर के इकलौते जवान बेटे की मौत की खबर मिली, तो पूरे परिवार पर आसमान टूट पड़ा. सिर्फ ये घर ही नहीं बल्कि पूरे मोहल्ले के लोग सकते में आ गए. यश अपनी पढ़ाई के साथ-साथ जीएसटी कंसल्टैंसी का भी काम करता था और अपने पिता के कारोबार में हाथ बंटाता था. एक नौजवान लड़के का यूं अचानक शहर के बीच से अपहरण हो जाना और उसका कत्ल कर दिया जाना, वाकई काफी चौंकानेवाला था.
अब पुलिस ने आरोपियों की निशानदेही पर ही पूरे छह रोज़ बाद 1 जुलाई की शाम को सादिक नगर इलाके के ओडियन थाने से यश रस्तोगी की बोरे में बंद सड़ी गली लाश बरामद की. लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया गया, ताकि कत्ल करने के तौर-तरीकों का पता चल सके, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि लाश की हालत इतनी बुरी थी कि तमाम कोशिश करने के बावजूद मेडिकल फॉरेंसिक के एक्सपर्ट मौत की वजह पता नहीं लगा सके और आखिरकार उन्हें लाश का विसरा प्रिजर्व करना पडा, ताकि उसकी टॉक्सीकोलॉजी इनवेस्टिगेशन हो सके और हत्या की वजह साफ हो सके.
धोखे से बुलाकर किया गया कत्ल
हालांकि पूछताछ में अब तक तीनों मुल्जिम तोते की तरह कत्ल की कहानी सुनाने लगे थे. शावेज़ ने बताया कि उसकी यश से करीब सात महीने पहले फेसबुक पर दोस्ती हुई थी. यश की लाइकिंग और उसके इंटरेस्ट को देखते हुए उसके फेसबुक मैसेंजर पर शावेज ने मैसेज किया था, जिसके बाद दोनों की दोस्ती हो गई. लेकिन सात महीनों की इस दोस्ती के बाद दोनों के बीच कुछ ऐसा हुआ कि 26 जून को पहले तो शावेज ने धोखे से यश को अपने पास अपनी फैक्ट्री में बुलाया और फिर अपने साथ काम करनेवाले अलीजान के साथ मिलकर उसकी हत्या कर दी.
ऐसे ठिकाने लगाई थी यश की लाश
शावेज़ और अलीजान ने उसके हाथ पैर बांध दिए, उसके मुंह में कपड़ा ठूंस दिया और फिर गुस्से में उसका गला भी घोंट दिया. जिससे उसकी जान चली गई. लेकिन अब उनके पास उसकी लाश को ठिकाने लगाने की बड़ी चुनौती थी. क्योंकि इसमें हुई जरा ही गलती भी उनकी पोल खोल सकती थी. लिहाजा, शावेज ने अपने एक दोस्त सलमान को अपनी फैक्ट्री में बुलाया और पूरी बात बताई. लेकिन तब तक कई घंटे गुज़र चुके थे और दिन का उजाला हो चुका था. और ऐसे में दिन दहाडे एक लाश को निपटाने की कोशिश करना खतरनाक हो सकता था. इसलिए तीनों दिन भर लाश को निपटाने के लिए अंधेरा होने का इंतज़ार करते रहे। इस तरह पूरे चौबीस घंटे गुजर गए और अगले दिन 27 जून को जब रात गहराई और उन्हें इस बात का यकीन हो गया कि अब उन्हें कोई देखनेवाला नहीं है, तो तीनों स्कूटी पर ही बोरे में बंद यश की लाश को चुपचाप ओडियन नाले तक ले गए और उसे फेंक कर वहां से फरार हो गए.
आखिर क्या थी कत्ल की वजह?
लेकिन अब सवाल ये था कि आख़िर शावेज और अलीजान ने यश की जान क्यों ली? आखिर दो दोस्तों के बीच ऐसा क्या हो गया कि शावेज, ने यश की हत्या करने जैसा बड़ा कदम उठा लिया. एक अहम सवाल ये भी था कि एक फैक्ट्री मालिक और एक एलएलबी स्टूडेंट के बीच आख़िर वो कौन सी कॉमन बात थी, जिसके चलते दोनों में दोस्ती हुई थी.
कत्ल की वजह जान पुलिस भी हैरान
असल में जब दोस्ती और दुश्मनी का ये राज़ खुला और कत्ल की वजह सामने आई, तो खुद पुलिसवाले भी हैरान हो गए, वजह ऐसी थी, जिसे जानकर घरवालों के लिए उस पर यकीन करना मुश्किल होने लगा. लेकिन सबूतों की रौशनी में पुलिस के इल्ज़ामों को खारिज करना मुश्किल था. कत्ल की इस कहानी के पीछे समलैंगिक पार्टनर्स का गैंग, आपत्तिजनक वीडियो और ब्लैकमेलिंग की ख़ौफनाक कहानी छुपी थी. पुलिस कत्ल का पूरा सिक्वेंस यानी सिलसिला-ए-वारदात भी समझना चाहती थी, ताकि तफ्तीश की तमाम कड़ियों को जोड़ा जा सके और गुनहगारों को अदालत में कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जा सके.
गे गैंग के मेबर्स थे मुल्जिम और यश
कुछ इसी इरादे से पुलिस ने तीनों से गहरी पूछताछ की. उनके इंटैरोगेशन से जो कहानी उभर कर सामने आई, वो बड़ी चौंकानेवाली थी. तीनों ने बताया कि वो सभी के सभी लोग एक गे सेक्स रैकेट यानी समलैंगिक रिश्तों वाले गुप के मेंबर हैं. शावेज ने बताया कि उसके, सलमान के और अलीजान के साथ-साथ यश भी इस रैकेट का हिस्सा था और सभी अक्सर एक दूसरे से मिलते थे, वक्त गुजारते थे और पार्टी करते थे. यहां तक कि वो कई गे डेटिंग एप पर भी एक दूसरे से जुडे हुए थे और लगातार अपने ग्रुप को बड़ा कर रहे थे.
अश्लील वीडियो से शावेज को ब्लैकमेल करता था यश
लेकिन पिछले कुछ दिनों से यश रस्तोगी इस ग्रुप के कायदे कानून तोड़ने में लगा था. शावेज और उसके साथियों ने पुलिस को बताया कि यश ने धोखे से उनकी कुछ आपत्तिजनक तस्वीरें और वीडियो शूट कर लिए थे और इन्हीं वीडियोज़ के ज़रिए उन्हें ब्लैकमेल करने लगा था. यानी पहले जो रिश्ता दोस्ती और समलैंगिक संबंधों से शुरू हुआ, वो अब दुश्मनी में बदल चुका था. दोस्त ही दोस्त के साथ दगाबाजी करने में लगा था और तो और यश ने शावेज को उसके आपत्तिजनक वीडियो वायरल कर उसे बदनाम कर देने की धमकी दी.
पीछा छुड़ाने के लिए रची साजिश
यश ने शावेज को इसी तरह से डरा धमका कर उससे 40 हज़ार रुपये भी वसूल लिए थे. पूछताछ में पुलिस को आरोपियों ने बताया कि यश इसके बाद भी नहीं रुक रहा था और वो आगे भी ब्लैकमेलिंग और वसूली की कोशिश में लगा था और तब उन्होंने यश से पीछा छुड़ाने के लिए उसके कत्ल का फ़ैसला किया.
अश्लील वीडियो डिलीट करना चाहते थे आरोपी
26 जून को शावेज ने व्हाट्स एप कॉल कर यश को अपनी फैक्ट्री में मिलने के लिए बुलाया. शावेज का फोन आने पर यश स्कूटी लेकर अपने घर से निकल गया. जाते-जाते उसने घरवालों को कुछ ही देर में लौट आने की बात भी कही. लेकिन फैक्ट्री में यश की मौत उसका इंतज़ार कर रही थी. शावेज के पास पहुंचते ही उसने अपने साथी अलीशान के साथ मिलकर फैक्ट्री का दरवाज़ा बंद कर दिया और दोनों यश को डराने धमकाने की कोशिश करने लगे. दोनों यश के मोबाइल से वो वीडियो डीलिट करना चाहते थे, जो यश ने चोरी से शूट कर लिये थे.
ऐसे गई यश रस्तोगी की जान
कम से कम शावेज और अलीशान को तो यही लगता था कि यश ने जो वीडियो शूट किया है, वो उसके मोबाइल फोन में ही है. लेकिन यश हर बात का विरोध करने लगा. और तब शावेज और अलीशान ने मिलकर पहले यश के हाथ पांव बांध दिए और उसके साथ मारपीट करने लगे. वो शोर ना मचा सके, इसलिए दोनों ने उसके मुंह में कपड़ा भी ठूंस दिया और फिर गुस्से में दोनों ने गला घोंट कर उसकी जान ले ली. गुस्से में ही दोनों ने उस पर चाकू से भी एक के बाद एक कई वार किए और इस तरह चंद घंटों के अंदर यश की जान चली गई.
लाश नाले में फेंक कर घर चले गए थे आरोपी
शावेज और अलीशान को अब ये डर लगने लगा कि आखिर वो यश की लाश को कहां ठिकाने लगाएं, क्योंकि उन्हें लग रहा था कि अगर वो लाश लेकर बाहर निकलेंगे, तो पकडे जाएंगे. असल में तब तक सुबह हो चुकी थी. और तब शावेज ने अपने दोस्त सलमान को बुलाया. सलमान भी इस समलैंगिक रैकेट का हिस्सा था. फिर तीनों ने मिल कर प्लानिंग की और अगले रोज़ रात को यश की लाश को ओडियन नाले में निपटाने का फैसला किया. तय प्लानिंग के मुताबिक तीनों स्कूटी में लाश लेकर गए और नाले में फेंक कर वापास अपने-अपने घर चले गए.
गे गैंग और ब्लैकमेलिंग ने ली यश की जान
उन्हें उम्मीद थी कि वो कभी पकडे नहीं जाएंगे, लेकिन पुलिस ने अपहरण के छठे दिन मामले का खुलासा करते हुए तीनों को गिरफ्तार कर लिया. छानबीन में पता चला कि तीनों ने कत्ल से पहले यश के साथ जबरदस्ती रिश्ते भी बनाए थे. यानी उसका बलात्कार किया था. बहरहाल, बेमेल रिश्तों और ब्लैकमेलिंग के चलते एक घर के इकलौते बेटे का कत्ल हो गया था. अब उसके परिवार के पास सिवाय अफसोस करने के और कुछ भी नहीं बचा.