कोलकाता/नई दिल्ली।बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता से जुड़ी 3 कंपनियां ईडी की जांच के घेरे में हैं. जांच एजेंसी को शक है कि पार्थ के साथ जुड़ने के बाद अर्पिता को इन कंपनियों में डायरेक्टर बनाया गया.
ईडी ने जब अर्पिता के 2 कमरे वाले अपार्टमेंट में 22 जुलाई को छापा मारा था तो 21 करोड़ 90 लाख कैश, सोने के जेवर और विदेशी मुद्रा की खेप मिली थी. पांच दिन बाद ईडी ने अर्पिता मुखर्जी के एक और अपार्टमेंट से 27 करोड़ 90 लाख के नोट, पांच करोड़ का सोने और विदेशी मुद्रा जब्त की थी. पार्थ ने अर्पिता को भी कोलकाता की 3 कंपनियों का डायरेक्टर बना दिया था.
जांच में पता चला कि सिम्बियोसिस मर्चेंट प्राइवेट लिमिटेड, सेंट्री इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड और एचे एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड को सिर्फ कागज पर काम करते हुए दिखाया गया था.
कंपनी के दस्तावेजों के मुताबिक 21 मार्च 2011 से सिम्बायोसिस मर्चेंट प्राइवेट लिमिटेड कई प्रकार की वस्तुओं के थोक व्यापार में शामिल है. इस कंपनी में 1 जुलाई 2021 को कल्याण धर नामक व्यक्ति को सह-निदेशक बनाया गया.
29 अक्टूबर 2014 को रिकॉर्ड में आई कंपनी Echhay Entertainment Private Limited को मनोरंजन में शामिल दिखाया गया है. अर्पिता मुखर्जी इसकी पहली डायरेक्टर थीं. कल्याण धर को 2018 में इसका दूसरा डायरेक्टर बनाया गया. उसी साल वह अर्पिता के साथ सेंट्री इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड का डायरेक्टर बना.
हमने एक-एक करके तीनों कंपनियों के रजिस्टर्ड पतों को ट्रैक किया. Echhay Entertainment की इमारत में एक मेल बॉक्स था, जिसमें कंपनी के नाम की एक छोटी पर्ची थी. कोई साइनबोर्ड नहीं था, लेकिन मेलबॉक्स पर चिपकाई गई एक पर्ची से कंपनी का पता चल गया. जब यहां ड्यूटी पर तैनात गार्ड से बात की गई तो उसने खुलासा किया कि परिसर बैंक्वेट हॉल के रूप में संचालित होता है.
बिल्डिंग के गार्ड ने कहा कि यहां कोई नया कार्यक्रम नहीं होगा. ऑफिस बंद है. ईडी ने छापा मारा था. पूछने पर गार्ड ने बताया कि यह मूल रूप से एक वेडिंग हॉल है? उसने यह भी कहा कि उसने पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को एक-दो बार देखा है.
आज तक की पड़ताल में कंपनी के कागज में लिखा और कोलकाता नगर निगम के रिकॉर्ड में उपलब्ध Echhay Entertainment का पता गलत पाया गया. नगर निगम के रिकॉर्ड में वही 95 राजडंगा मेन रोड का पता कृष्ण गोपाल कर के नाम दर्ज है.
जिस व्यक्ति के नाम पर पता पता दर्ज है, उसके बेटे संजीव ने बताया कि जिस इमारत में ऑफिस संचालित हो रहा था, उस पर कर परिवार का कब्जा है. कंपनी ने अपने बैनर तले इसका गलत इस्तेमाल किया है. नगर निगम के रिकॉर्ड में इस बात की पुष्टि हुई की कर परिवार पिछले कई सालों से उसी परिसर के बदले टैक्स का भुगतान कर रहे है. कंपनी के दस्तावेज बताते हैं कि 2014 में कंपनी बनने के बाद से कंपनी को तगड़ा मुनाफा हुआ है.
इसके बनने के एक साल बाद साल 2015 में कंपनी ने 2,201 रुपये का लाभ कमाया, लेकिन छह साल बाद कंपनी का लाभ लगभग 40 लाख रुपये के शेष के साथ बढ़कर 14 लाख रुपए हो गया.
डायमंड सिटी अपार्टमेंट वही संपत्ति है, जहां से ईडी को 27.90 करोड़ नकद मिले थे. अधिकारियों को संदेह है कि कंपनी अर्पिता के नाम पर पंजीकृत एक जाली कंपनी हो सकती है. पार्थ चटर्जी इसका इस्तेमाल नकदी के जरिए संपत्ति के सौदों के माध्यम से काला धन लगाने के लिए कर रहे हैं.