पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (West Bengal CM Mamata Banerjee) की कैबिनेट के पूर्व सहयोगी पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) जिस शिक्षक भर्ती (Teacher Recruitment Scam) में गिरफ्तार हुए हैं, उसकी परतें खुलने लगी हैं। मामले में गिरफ्तार अर्पिता मुखर्जी सहित TMC के कई नेताओं ने अपने-अपने लोगों की नौकरी की सिफारिश की थी।
खबर सामने आ रही है कि साल 2014 के इस घोटाले को कई तरह से अंजाम दिया गया था। इसमें बिना मेरिट वालों को नौकरी दी गई। जो छठी कक्षा पास थे, उन्हें भी टीचर बना दिया गया। इतना ही नहीं, जिन्होंने एग्जाम ही नहीं दिया, उनका भी सिलेक्शन हो गया था।
इन भर्तियों के लिए अभ्यर्थियों से लाखों रुपए लिए गए। इस भर्ती घोटाले से संबंधित तीन सूची सामने आई है। इसकी एक लिस्ट किसी एजेंट की बताई जा रही है। इस लिस्ट में उन लोगों के नाम दिए गए हैं, जिनसे रिश्वत ली गई थी। इसमें उनके नाम, मोबाइल नंबर और कितना पैसा लिया गया है, दर्ज है।
इसके साथ ही एक दूसरी लिस्ट है। यह लिस्ट बंगाल के सत्ताधारी दल तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के विधायकों से जुड़ी है। इसमें उन विधायकों और मंत्रियों के नाम दिए गए हैं, जिन्होंने उम्मीदवारों को नौकरी देने के लिए उनका नाम आगे बढ़ाया था।
यह बात भी सामने आई है कि पार्थ चटर्जी के पूर्व बॉडीगार्ड के परिवार के 13 लोगों को शिक्षा विभाग में नौकरी दी गई है। इनमें एक महिला ऐसी भी है, जो छठी पास है। इसी तरह अर्पिता की सिफारिश पर भी उसके कई रिश्तेदारों को नौकरी दी गई।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में पिटीशन दाखिल करने वाले वकील तरुण ज्योति तिवारी ने बताया कि शिक्षक भर्ती का पैसा TMC के कई नेताओं के जरिए तत्कालीन शिक्षा मंत्री तक पहुँच रहा था। तिवारी के मुताबिक, यह पूरा घोटाला 5,000 करोड़ का है, क्योंकि हर कैंडिडेट से 18-20 लाख रुपए लिए गए और यह सब पिछले 10 साल से चल रहा था।
बता दें कि हाईकोर्ट के निर्देश पर इस भर्ती घोटाले की सीबीआई जाँच कर रही है। वहीं, मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहा है। दूसरी तरफ, भर्ती प्रक्रिया में शामिल विद्यार्थी पिछले 503 दिनों से कोलकाता के मेयो रोड पर कोर्ट की अनुमति के बाद प्रदर्शन कर रहे हैं। हालाँकि, इन अवैध भर्ती वालों में से अभी तक किसी को हटाया नहीं गया है।