तीन साल पहले तक भारतीय बल्लेबाजी की रीढ़ माने जाने वाले विराट कोहली इस समय करियर के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद उनका खामोश बल्ला मुंह नहीं खोल रहा। इंग्लैंड के खिलाफ पहले टी-20 में वे 1 रन बनाकर आउट हो गए। कोहली का आखिरी शतक 22 नवंबर 2019 को बांग्लादेश के खिलाफ आया था। इसके बाद ये खिलाड़ी 65 मुकाबले खेल चुका है। वहीं, आखिरी 10 पारियों में कोहली का बेस्ट स्कोर 52 रन है।
इस बीच उनके सामने एक और विशाल चुनौती आन खड़ी हुई है। चुनौती यह है कि अगर उन्हें भारत की टी-20 टीम में बने रहना है तो 160+ के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करनी होगी। ऐसा क्यों है चलिए जानते हैं…
अब टीम इंडिया ने अपना ली है ऑल आउट अटैक की रणनीति
पिछले 15 दिन में हमने देखा है कि टीम इंडिया ने टी-20 क्रिकेट खेलने की एक बेहद ही आक्रामक रणनीति बना ली है। अब हमारे बल्लेबाज शुरुआत से लेकर अंत तक हमलावर रुख अपनाए रहते हैं। फोकस बड़ी पारी खेलने पर नहीं बल्कि आक्रामक पारी खेलने पर ज्यादा है। 130 के स्ट्राइक से बनाए गए 80 रन की अहमियत नहीं है। अब 200 के स्ट्राइक रेट से बनाए गए 30 रन ज्यादा कीमती हैं।
आयरलैंड और इंग्लैंड दौरे पर भारतीय टीम ने अब तक 4 मैच खेले हैं। इनमें भारत ने बैटिंग ऑर्डर की टॉप-6 पोजीशन पर 12 बल्लेबाज आजमाए। इन्होंने 165 के स्ट्राइक रेट और 32.47 के औसत से रन बनाए हैं। कप्तान रोहित शर्मा ने खुद 162 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए हैं। दीपक हुड्डा ने 179, संजू सैमसन ने 183 और सूर्यकुमार यादव ने 191 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की है।
विराट कोहली आम तौर पर 130 से 140 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी करते हैं। कुछ मौकों पर उन्होंने 180 या 200 का स्ट्राइक रेट भी मेंटेन किया, लेकिन अभी जिस तरह की फॉर्म में वे हैं, यह काम काफी मुश्किल हो सकता है। इस साल इंटरनेशनल और IPL मिलाकर विराट ने जितने भी टी-20 खेले हैं, उनमें उनका स्ट्राइक रेट 120 से भी कम रहा है (देखें ग्राफिक्स)। ओवरऑल उनका करियर स्ट्राइक रेट 137.54 का रहा है। रोहित शर्मा ने पहले मैच के बाद ही साफ कर दिया कि यह रणनीति टीम आगे भी जारी रखेगी। सभी बल्लेबाजों को इसी के अनुसार बैटिंग करनी होगी।
बहुत जल्द खुद को साबित करना होगा
अगला टी-20 वर्ल्ड कप 98 दिन बाद ऑस्ट्रेलिया में शुरू होना है। भारत को उससे पहले अभी 20 से ज्यादा टी-20 मैच खेलने हैं। भारतीय मैनेजमेंट चाहता है कि कम से कम 12 से 15 मैच उसी कॉम्बिनेशन के साथ खेलकर टीम वर्ल्ड कप में उतरे। यानी अगले 5 से 7 मैच हर खिलाड़ी के लिए ट्रायल की तरह हैं। अगर वह खुद को टीम की जरूरतों पर खरा साबित कर पाएगा, तो ही टिकेगा। जो फेल रहेगा, वह बाहर होगा।
हुड्डा ने बढ़ा दी विराट की मुसीबत
विराट आयरलैंड-इंग्लैंड दौरे के पहले तीन टी-20 मैचों में भारतीय टीम का हिस्सा नहीं थे। उनकी जगह इन मुकाबलों में दीपक हुड्डा ने टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी की। दो बार वे नंबर-3 पर आए और 1 बार ओपनिंग की। हुड्डा ने इन तीन मैचों में 92 की औसत और 179 के स्ट्राइक रेट से बल्लेबाजी की। हुड्डा की एक और खासियत यह है कि वे ऑफ स्पिन गेंदबाजी भी कर लेते हैं। यानी विराट अगर जल्द फॉर्म में नहीं लौटे और तेज बल्लेबाजी नहीं की तो नंबर-3 का स्पॉट बचाए रखना उनके लिए काफी मुश्किल हो सकता है।