नई दिल्ली। बीजेपी महाराष्ट्र में सरकार बनाने की कवायद में जुट गई है। कहा जा रहा है कि उसकी एकनाथ शिंदे गुट की शिवसेना से डील पक्की हो चुकी है और किसके कितने मंत्री होंगे, वह भी फाइनल हो चुका है। सूत्रों के हवाले से आ रही खबरों के अनुसार शिंदे गुट से कुल 13 मंत्री बनाए जाएंगे जिनमें 8 कैबिनेट और 5 राज्य मंत्री होंगे। वहीं, बीजेपी अपनी तरफ से 29 मंत्री बनाएगी। उधर, राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से राज्य के राजनीतिक हालात पर बातचीत की है। शिवसेना के बागी विधायकों को विधानसभा उपाध्यक्ष से मिले अयोग्यता के नोटिस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राज्यपाल की मुख्यमंत्री के साथ यह पहली बातचीत है। ऐसे में अटकलों का बाजार गर्म हो रहा है कि महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार के खिलाफ कभी भी अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है। ऐसे में उन बड़े सवालों पर गौर करते हैं जो महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट को लेकर सबसे ज्वलंत समझे जा रहे हैं…
1. क्या राज्यपाल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आलोक में उद्धव सरकार से बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं?
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के अधिकारों पर कोई टिप्पणी ही नहीं की है और संविधान राज्यपाल को अधिकार देता है कि वह सरकार के पास बहुमत के अभाव का संदेह होने पर एक्शन ले सकता है। जब वरिष्ठ वकीलों की टीम ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि वह 12 जुलाई को शाम 5.30 बजे तक बहुमत परीक्षण की प्रक्रिया शुरू करने पर रोक लगा दी जाए, लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने ऐसा करने से इनकार कर दिया। यानी, राज्यपाल चाहें तो वह सरकार को कभी भी बहुमत साबित करने को कह सकते हैं।
2. क्या बागी विधायक भी राज्यपाल से बहुमत परीक्षण करवाने की गुहार लगा सकते हैं?
राज्यपाल खुद से सत्ता पक्ष को बहुमत साबित करने को कह सकता है। दूसरी तरफ, राज्यपाल तब भी ऐसा कर सकता है जब विधानसभा का कोई सदस्य सरकार के पास बहुमत नहीं होने का दावा करते हुए विधानसभा अध्यक्ष को बहुमत परीक्षण करवाने का निर्देश देने की मांग कर दे। यानी संवैधानिक प्रावधान के तहत बागी विधायकों के पास राज्यपाल से गुहार लगाकर सत्ता पक्ष को बहुमत साबित करने की मांग करने का अधिकार है।
3. क्या किसी पार्टी में विलय कर सकता है एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाला शिवसेना का बागी गुट?
शिवसेना के कुल 55 विधायक हैं जिनका दो तिहाई आंकड़ा 37 होता है। शिंदे गुट का दावा है कि उसके पास यह आंकड़ा है। अगर यह सच है तो वह शिवसेना से नाता तोड़ने की औपचारिकता पूरी करके किसी भी दल में अपना विलय कर सकता है। उसके पास राज ठाकरे की पार्टी महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) और भारतीय जनता पार्टी (BJP) में से किसी एक के चयन का विकल्प है। ध्यान रहे कि बागियों ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस पार्टी के साथ सरकार बनाने का ही विरोध किया है, इसलिए इन दोनों पार्टियों में बागी गुट के विलय की तो संभावना दूर-दूर तक नहीं है।
4. राज्यपाल बहुमत साबित करने को कहे तो क्या महाविकास अघाड़ी गठबंधन सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है?
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार की सुनवाई के दौरान कहा था कि अगर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी सत्ता पक्ष से बहुमत साबित करने को कहें तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है। ऐसे में एमवीए के पास राज्यपाल के कदम के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का रास्ता तो खुला है, लेकिन यह तय नहीं है कि सुप्रीम कोर्ट बहुमत परीक्षण पर रोक लगा ही देगा। उसने सत्ता पक्ष के वकीलों की मांग पर भी बहुमत परीक्षण पर रोक लगाने का आदेश नहीं दिया।
5. क्या उद्धव ठाकरे गुट की शिवसेना ही बीजेपी के साथ मिलकर नई सरकार बना सकती है?
उद्धव ठाकरे अपने हाथ से सत्ता निकलते देख आखिरी बाजी चल सकते हैं। संभव है कि वो एकनाथ शिंदे के बागी गुट को सबक सिखाने के लिए खुद बीजेपी के साथ दोबारा गठबंधन करना चाहें। हालांकि, बीजेपी उनकी तरफ हाथ बढ़ाएगी इसकी संभावना बहुत कम दिखती है। इसका कारण यह है कि शिवसेना के पास मुश्किल से 15-17 विधायक रह गए हैं। 288 विधायकों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में सरकार बनाने के लिए कम से कम 145 विधायकों की जरूरत होगी। बीजेपी के अपने 106 विधायक हैं। अगर उद्धव ठाकरे गुट के अधिकतम 17 विधायकों को इसमें जोड़ दिया जाए तो सरकार बनाने के लिए जरूरी शर्त पूरी नहीं होती है। बीजेपी-शिवेसना (उद्धव गुट) के गठबंधन को करीब 20 और विधायकों का समर्थन चाहिए होगा तब जाकर सरकार बन पाएगी। यही कारण है कि उद्धव गुट के चाहने के बावजूद बीजेपी उसे भाव नहीं देना चाहेगी।
6. नियम है कि विधानसभा सत्र चल रहा हो तब पार्टियां अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी कर सकती है। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव या बहुमत परीक्षण के दौरान आहूत सत्र के दौरान भी व्हिप जारी होगा?
बिल्कुल। शिवसेना अपने विधायकों को बहुमत परीक्षण के समर्थन और अविश्वास प्रस्ताव के विरोध में मतदान करने का व्हिप जारी करेगी, इसकी पूरी संभावना है। हालांकि, एकनाथ शिंदे गुट का कहना है कि चूंकि उसके पास दो तिहाई से ज्यादा विधायक हैं इसलिए व्हिप जारी करने का अधिकार भी उसी के पास है। ऐसे में व्हिप को लेकर भी कानूनी पेच फंस सकता है।
एक्सपर्ट्स की मानें तो उद्धव गुट के चीफ व्हिप अजय चौधरी को ही संवैधानिक मान्यता दी जाएगी क्योंकि शिवसेना में विभाजन पर संवैधानिक या कानूनी मुहर अब भी नहीं लगी है। जब तक एकनाथ शिंदे गुट को शिवसेना से अलग नई पार्टी की मान्यता नहीं मिल जाती तब तक उसके व्हिप को मान्यता नहीं मिल पाएगी।
दल बदल नियम के अनुसार कम से कम दो तिहाई सदस्यों को टूटने के बाद ही किसी भी दल के नए गुट को संवैधानिक मान्यता मिल सकती है। एकनाथ शिंदे गुट का दावा है कि उसके पास 40 से ज्यादा विधायक हैं जो शिवसेना के कुल 55 विधायकों के दो-तिहाई से ज्यादा हैं। ऐसे में नई पार्टी का गठन किया जा सकता है। दूसरा विकल्प यह है कि शिंदे गुट खुद का विलय बीजेपी या मनसे में कर ले।
9. ढाई साल से महाराष्ट्र की सत्ता में वापसी की बाट जोह रही बीजेपी के पास क्या-क्या विकल्प हैं?
जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी के पास 106 विधायक हैं। ऐसे में उसे सरकार बनाने के लिए कम-से-कम 39 विधायकों की जरूरत है। यह संख्या शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के पास है। ऐसे में बीजेपी को इधर-उधर देखने की कोई जरूरत ही नहीं है। ऐसे में बीजेपी और शिंदे गुट मिलकर नई सरकार बना सकते हैं जिसके मुखिया देवेंद्र फडणवीस हो सकते हैं।
10. महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्यों की स्थिति क्या है?
288 सदस्यों की महाराष्ट्र विधानसभा में बीजेपी 106 विधायकों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। शिवसेना के 56 विधायक जीते थे, लेकिन एक विधायक के निधन के बाद उसके अभी 55 विधायक हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के 53 जबकि कांग्रेस 44 विधायक हैं। इनके अलावा, समाजवादी पार्टी (SP) के 2, बीवीए के 3, पीजीपी के 2, एआईएमआईएम के दो और 9 निर्दलीय विधायक हैं।