झटके पे झटका… जहां बनी ठाकरे की शिवसेना वहां का विधायक भी हुआ बागी, शिंदे का जादू या उद्धव की नाकामी?

 मुंबई। उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) को झटके पे झटका लग रहा है। बुधवार रात शिवसेना के तीन और विधायक गुवाहाटी जाकर बागी खेमे में शामिल हो गए थे। एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) दूसरे बागी विधायकों के साथ बीजेपी शासित असम की राजधानी में डेरा डाले हुए हैं। इन तीन विधायकों के आते ही शिवसेना पर शिंदे की गिरफ्त मजबूत हो गई। इन तीन विधायकों में सबसे अहम नाम था सदा सरवणकर (Sada Saravankar) । वह माहिम से विधायक हैं। माहिम निर्वाचन क्षेत्र शिवसेना का गढ़ माना जाता है। इसी क्षेत्र में शिवसेना भवन और शिवाजी पार्क हैं। शिवाजी पार्क वही जगह है जहां से बाल ठाकरे की पार्टी अस्तित्‍व में आई थी। सरवणकर का बागी खेमे में जाना बहुत बड़ी चोट है। यह दिखाता है कि शिवसेना के नेतृत्‍व के खिलाफ विधायकों में किस हद तक गुस्‍सा भरा हुआ था।

जानकार कहते हैं कि सरवणकर का जाना मामूली घटना नहीं है। इसके राजनीतिक मायने हैं। वह दादर का प्रतिनिधित्‍व करते हैं। दादर को शिवसेना का दिल कहा जाता है। अगर दादर का विधायक नेतृत्‍व से नाराज है तो यह साफ दर्शाता है कि उद्धव ठाकरे किस हद तक अलग-थलग थे। उद्धव पर आरोप लगे हैं कि वह दरबारियों और चाटुकारों से घिरे रहते थे। कुछ गिने-चुने लोग ही उनसे मिल पाते थे। सरवणकर का बागी खेमे में जाना इन आरोपों को बल देता है।

आद‍ित्‍य के उदय से भी बढ़ी नाराजगी
उद्धव ठाकरे के बेटे आदित्‍य ठाकरे के नेतृत्‍व में जिस तरह युवा सेना के नेताओं को तवज्‍जो मिल रही थी, सीनियर विधायकों को यह बात भी अखर रही थी। दादर का विधायक होने के नाते किसी को भी लग सकता था कि सरवणकर जरूर सीएम से मिल पाते होंगे। लेकिन, उनका खेमा बदल लेना इस बात का सुबूत है कि उनकी दशा भी दूसरे बागी विधायकों जैसी थी।

कोई सोच नहीं सकता था मुंबई के व‍िधायक करेंगे व‍िद्रोह
सरवणकर के शिंदे खेमे के साथ जुड़ जाने के बाद शिवसेना के कार्यकर्ताओं ने दादर में लगे उनके पोस्‍टरों पर कालिख पोत दी थी। उन पर गद्दार लिख दिया था। हालांकि, दादर में भी बड़े पैमाने पर कोई विरोध प्रदर्शन नहीं हुआ। यह शिवसेना का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है। इससे संकेत मिलता है कि काडर भी का कंफ्यूज है। उसे नहीं पता है कि किस तरफ जाना है। मुंबई में शिवसेना के 13 विधायक हैं। इनमें आदित्‍य ठाकरे को छोड़ किसी को भी महा विकास अघाड़ी सरकार में मंत्री पद नहीं मिला। इसके उलट अन‍िल परब और सुभाष देसाई जैसे एमएलसी को मंत्री बनाया गया।

क्‍यों इतना कट गए थे सीएम?
पुलिस के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कम से कम खुफिया ब्रीफिंग करते थे। नवंबर 2021 में दो सर्जरी और पोस्टऑपरेटिव रिकवरी में देरी ने उन्हें प्रशासनिक मशीनरी से काट दिया था। यह अलग बात है कि इंटेलिजेंस ब्रीफिंग वाले आरोप से सीएम कार्यालय ने इनकार किया। एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने कहा कि जब उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल शुरू किया तो वरिष्ठ अधिकारी उनसे मातोश्री में मिलने जाते थे। उन्हें हर दिन जानकारी देते थे। हालांकि, कुछ समय बाद ब्रीफिंग में उनकी रुचि कम हो गई। जब मार्च 2020 में कोविड ने दस्‍तक दी तो उद्धव संपर्क बिल्‍कुल तोड़ लिया। कारण था कि उनके दिल में आठ स्टेंट थे। नवंबर 2021 में उद्धव ने अपनी रीढ़ की सर्जरी करवाई और ठीक होने में चार महीने से अधिक का समय लगा। इसने पुलिस ब्रीफिंग से उन्हें अलग कर दिया।