केंद्र सरकार की सेना में भर्ती की ‘अग्निपथ’ योजना के खिलाफ देशभर में आक्रोश देखा जा रहा है। बिहार से हरियाणा तक आंदोलन हिंसक होता जा रहा है। कहीं गाड़ियों में आग लगा दी गई तो कहीं ट्रेन की पटरियां उखाड़ दी गईं। ऐसे में सरकार युवाओं को स्कीम के फायदे समझाने की कोशिश कर रही है। वहीं विपक्ष का कहना है कि इस योजना के जरिए युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाएगा और इससे सेना की गरिमा भी कम होगी।
अग्निवीरों का भविष्य असुरक्षित?
सरकार का कहना है कि जो लोग आंत्रप्रेन्योर बनना चाहेंगे उन्हें वित्तीय सहायता और लोन उपलब्ध करवाया जाएगा। जो लोग आगे की पढ़ाई करना चाहेंगे उन्हें कक्षा 12 के समान सर्टिफिकेट दिया जाएगा और आगे की पढ़ाई के लिए ब्रिजिंग कोर्स उपलब्ध करवाया जाएगा। जो लोग नौकरी चाहते हैं उनको सीएपीएफ और राज्यों की पुलिस भर्ती में वरीयता दी जाएगी।
युवाओं के लिए कम हो जाएंगे अवसर?
सरकार के मुताबिक अग्निपथ स्कीम से युवाओं के लिए अवसर बढञेंगे। आने वाले सालों में वर्तमान से तीन गुनी ज्यादा भर्तियां होंगी।
रेजिमेंटल बॉन्डिंग पर पड़ेगा फर्क?
सरकार का कहना है कि रेजिमेंटल सिस्टम में कोई परिवर्तन नहीं किया जा रहा है। बेस्ट अग्निवीर को सेना में स्थायी किया जाएगा इसलिए उनमें आपसा तालमेल बढ़ेगा।
सरकार ने सफाई देते हुए कहा कि इस तरह की शॉर्ट टर्म स्कीम ज्यादातर देशों में चलाई जा रही हैं और पहले से जांची परखी हैं। यह युवाओं के लिए बड़ा अवसर है। पहले साल जितने अग्नीवीर भर्ती होंगे वे सेना के 3 फीसदी होंगे। चार साल बाद उन्हें सेना में स्थायी करने से पहले फिर से उनका ट्सेट होगा। इसलिए सेना में भर्ती होने वाले लोग पूरी तरह से जांचे परखे और ट्रेन्ड होंगे।
21 साल में परिपक्वता और विश्वसनीयता की कमी?
सरकार का कहना है कि दुनियाभर में ज्यादातर सेनाएं युवाओं पर ही निर्भर हैं। इस योजना के जरिए युवा और अनुभवी लोगों के बीच 50-50 का अनुपात करने की कोशिश की जाएगी। सरकार ने अग्निवीरों के समाज के लिए खतरा बनने के सवाल पर जवाब दिया कि ऐसा कहना भी सेना के मूल्यों का अपमान है। जो युवा एक बार यूनीफॉर्म पहनेगा वह जिंदगीभर देश की सेवा करेगा। आज भी सेना से रिटायर होने वाले लोग देशभक्त होते हैं और देश विरोधी संगठनों में शामिल नहीं होते।