काशी/लखनऊ। ज्ञानवापी विवादित ढाँचे (Gyanvapi Masjid Shivling) के वजू खाने में शिवलिंग मिलने के दावे के बाद भले ही यह मामला अदालत में विचाराधीन हो, लेकिन इसे लेकर संत समाज मुखर हो गया है। शुक्रवार (3 जून 2022) को काशी धर्म परिषद की बैठक में साधु-संतों ने कुल 22 प्रस्तावों पर चर्चा की। इस दौरान संतों ने ज्ञानवापी विवादित ढाँचे के वजू खाने में मिले शिवलिंग के तत्काल दर्शन और उनके पूजन की माँग की। उन्होंने ऐसा नहीं होने पर ज्ञानवापी परिसर में हिंदुओं के साथ मुस्लिमों के प्रवेश पर प्रतिबंध की बात कही।
वाराणसी धर्म परिषद् में 22 प्रस्ताव पारित.. 'शिवलिंग' के दर्शन को अड़े संत, 1991 के वर्शिप एक्ट को रद्द करने की मांग@Ashutos10599574 दे रहे हैं पूरी जानकारी@jyotimishra999 @JyotsnaBedi #Gyanvapi pic.twitter.com/0Hwgpi4H3O
— Times Now Navbharat (@TNNavbharat) June 3, 2022
रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह बैठक कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद के गाँव लमही स्थित सुभाष भवन में आयोजित की गई थी। बैठक में विभिन्न मठों के मठाधीश, साधु-संत समेत कई सामाजिक कार्यकर्ता और इतिहासकार शामिल हुए। इस खास मौके पर संतों ने कहा कि मुस्लिम धर्मगुरुओं से अपील है कि वो सनातन धर्म के प्रमुख आस्था के केंद्र से अपना दावा छोड़ें। अदालत का फैसला आने तक ज्ञानवापी में पूजा नहीं तो नमाज भी बंद होनी चाहिए। धर्म परिषद की बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी की मक्का और मदीना के इमामों को पत्र लिखकर औरंगजेब के काशी के मंदिरों के विध्वंस के इतिहास को बताया जाएगा।
वहीं, बैठक में पातालपुरी मठ के महंत स्वामी बालक दास ने कहा, “ज्ञानवापी में शिवलिंग मिला है। इसके बावजूद हमें हमारे आराध्य देवता की पूजा नहीं करने दी जा रही है। फिर, वहाँ नमाज क्यों पढ़ी जा रही है। जब हमारी पूजा पर प्रतिबंध है, तो नमाज पढ़ने पर भी रोक लगाई जानी चाहिए।”
इसके अलावा बिंदु माधव मंदिर की सच्चाई भी बताने पर चर्चा हुई। संतों ने कहा कि बिन्दु माधव मंदिर की सच्चाई भी मुस्लिमों को बताएँगे।