वाराणसी। वाराणसी (Varanasi) में ज्ञानवापी विवादित ढाँचे (Gyanvapi Controversial Structure) के अंदर शिवलिंग मिलने के बाद अब संत समाज ने काशी (Kashi) में ज्ञानवापी के शिवलिंग (Gyanvapi Shivling) की पूजा करने का ऐलान किया है। ये ऐलान गुरुवार (2 जून 2022) को केदार घाट स्थित विद्या मठ में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने की।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteshwaranand) द्वारका शारदापीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Swami Swaroopanand Saraswati)) के शिष्य हैं। उन्होंने कहा है कि उन्हें उनके गुरू ने ज्ञानवापी में आकर शिवलिंग की पूजा करने का आदेश दिया है।
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के मुताबिक, जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती फिलहाल मध्य प्रदेश में हैं और उनके आदेश पर वो खुद वाराणसी आए हैं। उन्होंने ज्ञानवापी परिसर के वजूखाने में मिले शिवलिंग पर जारी विवाद को लेकर कहा, “कुछ लोग कह रहे हैं कि परिसर में मिले स्वरूप को शिवलिंग होने का अभी निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन हमारा मानना है कि इस बात का भी तो निर्णय नहीं हुआ है कि ये शिवलिंग नहीं है।”
स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि एक पक्ष इसे शिवलिंग कह रहा है और एक पक्ष फव्वारा कह रहा है। इसका अर्थ ये है कि दोनों पक्ष एक ही बात कह रहा है। शिव ही एक मात्र देवता है, जिन्होंने अपने माथे पर गंगा को धारण किया है। जो शिव और उनकी कथाओं या उनके महत्व को नहीं जानता, वो शिवलिंग को फव्वारा ही कहेगा।
उन्होंने कहा, “अब जब भगवान प्रकट हुए हैं तो हमारा कर्तव्य है कि हम उनकी सेवा करें, अन्यथा हम पाप के भागी होंगे।” वहीं, 4 जून को पूजा को लेकर संत ने कहा कि हमारे शास्त्रों में ‘स्थाप्यं समाप्यं शनि-भौमवारे’ कहकर शनिवार को सबसे अधिक शुभ दिन माना गया है।