लखनऊ। उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के बाद अब विधान परिषद चुनाव को लेकर सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. राज्यसभा में यूपी कोटे से बीजेपी के 8 और सपा के 3 सदस्यों का निर्विरोध चुना जाना तय है, लेकिन असल लड़ाई अब 20 जून को होने वाली 13 एमएलसी सीटों के लिए है. रालोद प्रमुख जयंत चौधरी और कपिल सिब्बल को सपा के कोटे से राज्यसभा भेजने के बाद अखिलेश यादव पर सहयोगी दल और दूसरे पार्टियों से आए नेताओं की दावेदारी से दबाव बढ़ता जा रहा है.
बीजेपी और सपा को मिलेंगी कितनी सीटें?
उत्तर प्रदेश में कुल 100 विधान परिषद सीटें है, जिनमें से विधानसभा कोटे के 13 विधान परिषद सदस्यों का कार्यकाल छह जुलाई को समाप्त हो रहा है. ऐसे में इन 13 एमएलसी सीटों पर 20 जून को चुनाव होने हैं, जिसके लिए नामांकन 2 से 9 जून तक दाखिल किए जाएंगे. 10 जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी और 13 जून तक उम्मीदवार नाम वापस ले सकेंगे. इस तरह 20 जून को सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक मतदान होगा और शाम 5 बजे से मतगणना होगी. इस तरह नतीजे 20 जून को घोषित कर दिए जाएंगे.
यूपी विधानसभा के आंकड़ों के लिहाज से देखें तो विधान परिषद की 13 सीटों में से बीजेपी को आठ से नौ सीटें मिल सकती हैं जबकि सपा को चार से पांच सीट मिलने की संभावना है. यूपी में कुल 403 विधायक हैं, जिनमें से बीजेपी गठबंधन के 273 और सपा गठबंधन के 125 विधायक हैं. इसके अलावा एक बसपा, दो कांग्रेस और दो सीटें जनसत्ता पार्टी के हैं. इस तरह एक विधान परिषद सीट को जीतने के लिए करीब 30 मतों की आवश्यकता होगी.
क्या स्वामी प्रसाद मौर्य बनेंगे एमएलसी?
एमएलसी चुनाव में सपा गठबंधन की चार सीटें कन्फर्म मानी जा रही हैं, जिसके लिए दावेदारी तेज हो गई है. ऐसे में सपा में चुनाव के दौरान दूसरे दल से आए बड़े नेताओं और सहयोगी दलों का दबाव विधान परिषद की सीटों को लेकर कहीं ज्यादा दिखाई दे रहा है. सपा में सबसे ज्यादा चर्चा स्वामी प्रसाद मौर्य की है, जो विधानसभा चुनाव में फाजिलनगर सीट से हार गए थे.
माना जा रहा है कि अखिलेश यादव एमएलसी चुनाव में पूर्व मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य को प्रत्याशी बनाकर गैर-यादव ओबीसी को साधने का दांव चल सकते हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य यूपी चुनाव की सियासी सरगर्मियों के बीच योगी कैबिनेट से इस्तीफा देकर सपा में आए थे. स्वामी प्रसाद के साथ-साथ करीब एक दर्जन विधायकों ने बीजेपी छोड़कर सपा का दामन थामा था. ऐसे में स्वामी प्रसाद की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही है.
क्या इमरान मसूद को देंगे तोहफा?
पश्चिमी यूपी के दिग्गज मुस्लिम नेता इमरान मसूद भी सपा कोटे से एमएलसी जाने की चर्चा तेज है. 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान इमरान मसूद कांग्रेस छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे, लेकिन अखिलेश यादव ने उन्हें किसी सीट से टिकट नहीं दिया था. ऐसे में माना जा रहा है कि इमरान मसूद को लेकर अखिलेश यादव ने पहले ही कमिटमेंट दे रखा है, जिसके चलते उनकी दावेदारी मजबूत मानी जा रही है.
राजभर को सपा से एक सीट की दरकार
राज्यसभा में अखिलेश यादव ने आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजा है, जिसके बाद एमएलसी सीट के लिए सहयोगी दल के तौर पर दबाव सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर का है. राजभर अपने बेटे अरविंद राजभर को विधान परिषद सदस्य बनवाना चाहते हैं, क्योंकि वो वाराणसी में बीजेपी के अनिल राजभर के हाथों चुनाव हार गए थे. ऐसे में ओम प्रकाश राजभर अपने बेटे को एमएलसी बनाने की कोशिशों में हैं.
अखिलेश के करीबी भी एमएलसी बनने की जुगत में
वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव के कई करीबी नेता भी इस वक्त सदन से बाहर हैं. संजय लाठर विधानसभा चुनाव हार गए हैं और उनके एमएलसी का कार्यकाल भी अब खत्म हो चुका है. अखिलेश के करीबी सुनील साजन और उदयवीर सिंह को स्थानीय निकाय की एमएलसी सीट पर चुनावी मैदान में उतरे थे. सुनील साजन चुनाव हार गए थे जबकि उदयवीर का पर्चा खारिज हो गया था. वहीं, सपा के कई सदस्यों का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है.
विधान परिषद का कार्यकाल हो रहा खत्म
गोरखपुर सीट से विधायक निर्वाचित होने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था. योगी के इस्तीफे से एक सीट खाली हुई है. वहीं, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, पंचायती राज मंत्री चौधरी भूपेंद्र सिंह का कार्यकाल खत्म हो रहा है. कांग्रेस के एकलौते एमएलसी दीपक सिंह का कार्यकाल समाप्त हो रहा है. वहीं, सपा से जगजीवन प्रसाद, बलराम यादव, डॉ. कमलेश कुमार पाठक, रणविजय सिंह, एडवोकेट राम सुंदर निषाद और सपा छोड़कर बीजेपी में शामिल होने वाले शतरुद्र प्रकाश का कार्यकाल खत्म हो रहा है. इसके अलावा बसपा के तीन एमएलसी अतर सिंह राव, सुरेंदर कुमार कश्यप और दिनेश चंद्रा का कार्यकाल पूरा हो रहा है.