लखनऊ। दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में भर्ती मरीजों से मिलने के लिए लोगों का आना-जाना यूं तो बेहद सामान्य है और किसी भी दूसरे अस्पताल की तरह ही यहां भी हर दिन इस तरह के दृश्य दिखते हैं। लेकिन बुधवार को हुए एक मिलाप ने यूपी की सियासत में नई हलचल पैदा कर दी है। पिछले चार दिनों से अस्पताल में भर्ती आजम खान से मिलने के लिए समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव पहुंचे तो दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई। गिले-शिकवे दूर हुए या नहीं, यह तो आने वाले समय में साफ होगा। सूत्रों के मुताबिक, दोनों नेता जब आमने-सामने आए तो पुराने रिश्तों की गर्माहट से रिश्तों पर जमी बर्फ जरूर पिघली है।
हाल ही में सपा के समर्थन से राज्यसभा के लिए उम्मीदवार बनाए गए पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल को इस मिलाप का सूत्रधार बताया जा रहा है। कपिल सिब्बल के अखिलेश और आजम दोनों से ही बेहद करीबी है और ऐसे में उन्होंने दोनों दिलों के बीच आई दूरी को पाटने में पुल का काम किया है। सिब्बल ने ही कानूनी लड़ाई के जरिए आजम खान को सीतापुर जेल से बाहर आने में कामयाबी दिलाई है। वहीं, अखिलेश यादव ने उन्हें राज्यसभा भेजने का ऐलान करके बड़ा दांव चल दिया था। माना जा रहा है कि आजम खान को मनाकर कपिल सिब्बल ने अखिलेश को रिटर्न गिफ्ट दिया है।
शिवपाल यादव को झटका?
एक तरफ जहां समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं की नजरें आजम-अखिलेश की मुलाकात पर टिकी हैं तो यूपी की राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के जेहन में शिवपाल यादव भी कौंध रहे हैं। माना जा रहा है कि आजम और अखिलेश यादव के बीच यदि दूरी मिट जाती है तो यह शिवपाल यादव के लिए बड़ा झटका होगा, जो दिग्गज मुस्लिम नेता के साथ मिलकर सपा का ‘एम-वाई’ समीकरण बिगाड़ने की तैयारी में जुटे हैं। अखिलेश यादव से नाराज चल रहे शिवपाल ने पिछले दिनों जेल में जाकर आजम खान से मुलाकात की थी, तब से ही दोनों नेताओं के साथ आने की अटकलें लग रही हैं।
उपचुनाव की वजह से दबाव में अखिलेश यादव?
आजम खान के जेल से बाहर आए 10 दिन से अधिक का समय बीत चुका है, लेकिन अखिलेश यादव उनके लिए समय नहीं निकाल पाए थे। आजम कैंप की ओर से खुलकर नाराजगी जाहिए किए जाने के बावजूद सपा अध्यक्ष मान-मनौव्वल के लिए जल्दबाजी में नहीं दिखे। अब उनके दिल्ली जाकर आजम से मुलाकात के पीछे उपचुनाव के दबाव को भी वजह माना जा रहा है। यूपी में आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीट पर उपचुनाव होने जा रहा है। ये दोनों सीटें अखिलेश और आजम खान ने खाली की हैं। राजनीतिक जानकारों की मानें तो दोनों सीटों को कायम रखना सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका है। अखिलेश अच्छी तरह जानते हैं कि दोनों ही सीटों पर आजम खान की मजबूत पकड़ है और यदि वह नाराज रहे तो सपा की मुश्किलें बढ़ जाएंगी।