नई दिल्ली। चीन भारत के साथ लगातार संवाद कर रहा है। लेकिन, कई दौर की वार्ताओं के बावजूद पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर वह मई 2020 से पहले की स्थिति बहाल करने को लेकर राजी नहीं हो रहा। मंगलवार को दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए स्थापित व्यवस्था (डब्ल्यूएमसीसी-वर्किंग मेकनिज्म फार कंसलटेशन एंड कोआर्डिनेशन आन इंडिया-चाइना बार्डर अफेयर्स) की बैठक हुई। बैठक का कोई नतीजा निकलता तो नहीं दिख रहा है, लेकिन यह सहमति जरूर बनी है कि दोनों देशों के सैन्य कमांडरों की अगुआई में होने वाली अगली वार्ता जल्द की जाएगी।
सैन्य कमांडरों की यह वार्ता संभवत: जून के अंत तक या जुलाई की शुरुआत में होगी। जानकारों की मानें तो चीन की तरफ से वार्ता को लंबी अवधि तक खींचने की रणनीति अपनाई जा रही है। विदेश मंत्रालय ने बताया है कि डब्ल्यूएमसीसी की बैठक 31 मई, 2022 को हुई। भारतीय दल की अगुआई विदेश मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव (पूर्वी एशिया) ने की। चीनी दल की अध्यक्षता वहां के विदेश मंत्रालय में सीमा और समुद्री विभाग के महानिदेशक ने की। दोनों दलों ने भारत-चीन सीमा पर स्थिति की समीक्षा की। डब्ल्यूएमसीसी की अंतिम बैठक नवंबर 2021 में हुई थी। उसके बाद दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच जनवरी 2022 और मार्च 2022 में भी बैठक हुई थी। इसी दौरान चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने भी मार्च 2022 में भारत की यात्रा की थी। तब उनकी विदेशी मंत्री एस जयशंकर व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ द्विपक्षीय वार्ता हुई थी।विदेश मंत्रालय ने बताया है कि दोनों पक्षों के बीच पूर्वी लद्दाख में सीमा की स्थिति पर भी चर्चा हुई है। यह सहमति बनी कि मार्च 2022 में वांग यी और जयशंकर के बीच हुई बैठक में बनी सहमति के आधार पर सीमा विवाद का समाधान निकालने की कोशिश होगी। यह सहमति भी बनी कि सीमा विवाद का शीघ्रता से समाधान निकालने की कोशिश होगी, ताकि द्विपक्षीय रिश्ते को सामान्य बनाया जा सके। बताते चलें कि दोनों देशों के बीच सैन्य कमांडर स्तर की 16 दौर की वार्ताएं हो चुकी हैं।