श्रीलंका ने आजादी के बाद का सबसे खराब आर्थिक दौर देखा है. हालात इतने खराब हैं कि वहां पर कर्ज चुकाने के लिए भी कर्ज लेने की जरूरत आ पड़ी है. वहां पर सत्ता परिवर्तन हो चुका है, नई सरकार बन गई है, लेकिन अभी भी जमीन पर स्थिति कुछ खास नहीं बदली है. अब जो दौर श्रीलंका में देखने को मिल रहा है, उसका ट्रेलर भारत के एक और पड़ोसी देश में दिखने लगा है. हम बात कर रहे हैं पाकिस्तान की, वही पाकिस्तान जो इस समय खस्ताहाल अर्थव्यवस्था से जूझ रहा है, जहां पर महंगाई पिछले कई सालों से आम जनता का जीना दूभर कर रही है.
पाकिस्तान की इस कंगाली के कई कारण माने जा रहे हैं. सबसे बड़ा तो वो चीनी कर्ज है जिसने पाकिस्तान को अब कहीं का नहीं छोड़ा है. उसकी ऐसी स्थिति आ गई है कि अब कोई दूसरा देश उसे कर्ज देने को तैयार नहीं है. IMF बेल आउट के लिए अप्लाई करना भी उसकी वर्तमान अर्थव्यवस्था के लिए मुफीद साबित नहीं होने वाला है. ऐसे में हर तरफ से पाकिस्तान चुनौतियों से घिरा हुआ है. उसका सबसे बड़ा डर इस समय ये है कि श्रीलंका की तरह कहीं उसे भी डिफॉल्टर घोषित ना कर दिया जाए.
इस बारे में विदेशी मामलों के जानकार कमर आगा ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान की हालत श्रीलंका से भी ज्यादा बदतर है. उनकी नजरों में श्रीलंका में स्थिति को फिर भी काबू में कर लिया गया है, लेकिन अगर पाकिस्तान में हालात बिगड़े तो परिस्थिति हाथ से निकल जाएगी. वे कहते हैं कि पाकिस्तान पूरी तरह बैंक्रप्ट हो गया है. वहां पर स्थिति श्रीलंका से ज्यादा बड़ी है. इस समय पाकिस्तान में कई मिलिटेंट ग्रुप सक्रिय चल रहे हैं. ऐसे में अगर हालात ज्यादा खराब हुए तो अराजकता फैल सकती है. श्रीलंका में तो फिर भी स्थिति को किसी तरह काबू में कर लिया गया. वहां पर प्रदर्शन भी ज्यादा हिंसक नहीं हुए हैं. लेकिन पाकिस्तान में स्थिति कब विस्फोटक बन जाए, नहीं कहा जा सकता.
कर्ज में दबे पाकिस्तान को कोई और देश कर्ज क्यों नहीं देना चाहता?
अब पाकिस्तान की इस बदहाली को लेकर कमर आगा कई फैक्टर को जिम्मेदार मानते हैं. उनकी नजरों में पाकिस्तान कर्ज में तो डूबा हुआ ही है, लेकिन अब उसे वो कर्ज मिलना भी मुश्किल साबित होने वाला है.
पाकिस्तान को कोई भी देश कर्ज देने को तैयार नहीं है. IMF बेल आउट भी उन्हें नहीं मिलने वाला है क्योंकि उनकी शर्तें काफी सख्त हैं. जो सऊदी अरब जैसे कुछ पार्टनर थे भी, वो अब पाकिस्तान का साथ नहीं दे रहे हैं. कोई भी पाकिस्तान को पैसा देने को तैयार नहीं है. ऐसे देश को पैसा देने से हर कोई बच रहा है क्योंकि हर तीन महीने में इसे बाहर के देशों से पैसा मांगना पड़ता है, कभी चीन से मांगता है, कभी सऊदी अरब से मांगता है.
CPEC कैसे बन गया पाकिस्तान के लिए आत्मघाती?
ऐसे में पाकिस्तान ने लगातार कर्ज लेकर पूरी दुनिया में अपनी छवि को धूमिल किया है. सिर्फ ‘मांगने वाली फितरत’ ने उसकी विश्वनीयता को भी ठेस पहुंचाई है. इस सब के ऊपर 60 बिलियन डॉलर की चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) परियोजना ने पाकिस्तान का भला करने के बजाय उसे हाशिए पर लाने का काम कर दिया है. जिस प्रोजेक्ट के दम पर पाकिस्तान खुद की अर्थव्यवस्था बदलने के सपने देख रहा था, बिजली उत्पादन में खुद को आत्मनिर्भर बनाने की उम्मीद लगाए बैठा था, लाखों नौकरियां जनरेट कर बेरोजगारी खत्म करने के दम भर रहा था, वो सबकुछ धरा का धरा रह गया है. इस परियोजना की रफ्तार इतनी सुस्त पड़ चुकी है कि कुल 15 प्रोजेक्ट में से सिर्फ तीन ही पूरे हो पाए हैं. वहां भी पाकिस्तान के ऊपर चीनी कंपनियों का 1.59 बिलियन डॉलर का कर्ज चढ़ा हुआ है. कई कंपनियां तो अब पाकिस्तान में काम भी रोकने की धमकी देने लगी हैं क्योंकि अभी तक उनको अपना भुगतान नहीं मिला है.
अब सवाल उठता है कि जिस देश की हालत इतनी खराब चल रही हो, जहां पर रोज के आतंकी हमले होते हों, अराजकता चरम पर रहती हो, फिर भी चीन उसे भारी कर्ज क्यों देता है? ऐसा क्या कारण है कि चीन इन देशों पर इतनी मेहरबानी दिखा जाता है. जानकार मानते हैं कि चीन की ये एक पुरानी रणनीति रही है. पहले वो किसी भी देश को भारी कर्ज देकर बुरी तरह दबा देते हैं. फिर जब कर्ज चुकता नहीं हो पाता, फिर उनकी संपत्ति को अपने कब्जे में लेना शुरू कर देते हैं. चीन की इस रणनीति पर कमर आगा ने बड़ी बात बोली है.
वे बताते हैं कि चीन इतना बड़ा कर्ज जानबूझकर देता है, उसे ये पता होता है कि ये सस्टेनेबल नहीं रहने वाला है. उसने पाकिस्तान में ये किया है, अफ्रीकी देशों में ऐसा किया है और श्रीलंका में भी ये कर चुका है. श्रीलंका जब चीनी कर्ज नहीं चुका पाया, चीन ने उसका हंबनटोटा पोर्ट ही 99 साल के लीज पर ले लिया. आने वाले टाइम में वो पाकिस्तान के साथ भी ऐसा कर सकता है. वो उसकी संपत्ति पर ही कब्जा करना शुरू कर देगा. कमर आगा इसे कर्ज देकर गुलाम बनाने वाली रणनीति मानते हैं.
पाकिस्तान में नई सरकार, हालात बदलेंगे या बिगड़ेंगे?
अब सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान इस आर्थिक संकट से ऊपर उठ सकता है? क्या नई सरकार के बनने का बाद पाकिस्तान में जमीन पर हालात भी बदल सकते हैं? जब ये सवाल विदेशी मामलों के जानकार कमर आगा से पूछा गया तो उन्होंने साफ कर दिया पाकिस्तान में नई सरकार जरूर बनी है, लेकिन कई सहयोगियों की मदद से बनी है, जहां पर सभी के अपने खुद के इंटरेस्ट हैं. ऐसे में उनके लिए डिलीवर करना काफी मुश्किल रहने वाला है. वहीं क्योंकि इमरान खान भी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं, हालात बिगड़ने पर आर्मी की भी दखलअंदाजी दिख सकती है, ऐसे में चुनौतियां कम होने के बजाय बढ़ने वाली हैं.
कमर आगा ये भी मानकर चल रहे हैं कि अगर पाकिस्तान में आर्थिक स्थिति बिगड़ने से हालात बेकाबू होते हैं तो इसका असर भारत और समूचे सेंट्रल एशिया पर भी पड़ने वाला है. अफगानिस्तान, ईरान जैसे देशों पर भी इसका प्रभाव देखने को मिल सकता है.