लखनऊ। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के छठे चरण में 10 जिलों की 57 सीटों के लिए गुरुवार को मतदान हो रहा है, जहां कुल 676 प्रत्याशी मैदान में हैं. छठे फेज में सीएम योगी आदित्यनाथ सहित आधे दर्जन मंत्री मैदान में हैं. वहीं बीजेपी-बसपा छोड़कर सपा का दामन थामने वाले कई दिग्गज नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर है. स्वामी प्रसाद मौर्य से लेकर लालजी वर्मा, रामअचल राजभर और विनय शंकर तिवारी जैसे कद्दावर नेताओं के इम्तिहान का दिन है. ऐसे में देखना है कि दल-बदल करने वाले दिग्गज क्या अपनी साख बचा पाएंगे?
यूपी चुनाव से ठीक पहले बीजेपी और योगी सरकार से मंत्री पद छोड़कर सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य कुशीनगर के पडरौना सीट की जगह फाजिलनगर से चुनावी मैदान में हैं. इससे पहले स्वामी प्रसाद तीन बार से लगातार पडरौना सीट से विधायक हैं, लेकिन इस बार उन्होंने सीट बदल दी है. फाजिलनगर सीट पर पिछले दो चुनाव से बीजेपी का कब्जा है. इस बार सपा से स्वामी प्रसाद के मैदान में उतरने से यह सीट हाई प्रोफाइल हो गई है, जहां पर बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक गंगा कुशवाहा के बेटे सुरेंद्र कुशवाहा मैदान में है.
लालजी वर्मा
अंबेडकरनगर जिले की कटेहरी विधानसभा सीट से लगातार विधायक बनते आ रहे लालजी वर्मा बसपा की हाथी से उतरकर सपा की साइकिल पर सवार हैं. वह इस बार सपा के टिकट पर मैदान में हैं, जिनके खिलाफ बसपा ने बाहूबली पवन पांडेय के बेटे प्रतीक पांडेय को उतारा है तो बीजेपी के सहयोगी दल निषाद पार्टी से अवधेश द्विवेदी और कांग्रेस से निशात फातिमा ताल ठोक रखी है.
प्रतीक पांडेय बसपा के परंपरागत मतदाताओं के साथ ही ब्राह्मणों को लुभाने में जुटे हैं तो अवधेश द्विवेदी भी ब्राह्मण, निषाद समुदाय के साथ-साथ बीजेपी के कोर वोटबैंक के सहारे जीत की आस लगा रहे हैं. वही, सपा की कोशिशें है कि वह मुस्लिम मतों में बिखराव न होने पाए. सपा परंपरागत मतदाता यादव और एकमात्र सजातीय प्रत्याशी होने के चलते कुर्मी मतों के सहारे जीत की उम्मीद लगा रहे हैं. इसके साथ ही राजभर और ओबीसी वोटों को जोड़ने की कवायद में है, लेकिन कांग्रेस से उतरी मुस्लिम कैंडिडेट ने चिंता बढ़ा रखी है.
रामअचल राजभर
अंबेडकर नगर जिले की अकबरपुर विधानसभा सीट पर भी सभी की निगाहें लगी हुई है, जहां से मौजूदा विधायक रामचल राजभर सपा के टिकट पर चुनावी मैदान में है. अकबरपुर सीट पर बसपा ने चंद्र प्रकाश वर्मा को उम्मीदवार बनाया है जबकि बीजेपी ने धर्मराज निषाद पर दांव लगाया है. रामअचल राजभर बसपा के ओबीसी चेहरा माने जाते थे, लेकिन चुनाव से ठीक पहले उन्होंने सपा का दामन थामा है, लेकिन बसपा ने कुर्मी कैंडिडेट और बीजेपी ने निषाद समुदाय के कैंडिटे को उतरकर उनके खिलाफ जबरदस्त चक्रव्यूह रचा है. ऐसे में देखना है कि रामअचल राजभर कैसे अपना सियासी वर्चस्व कायम करके रख पाते हैं?
राकेश पांडेय बनाम सुभाष राय
अंबेडकर नगर से बसपा के पूर्व सांसद राकेश पांडेय इस बार जलालपुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इस सीट से वो विधायक रहे चुके हैं और पिछले विधानसभा चुनाव में उनके बेटे रितेश पांडेय बसपा से विधायक चुने गए थे. 2019 के लोकसभा चुनाव में रितेश पांडेय बसपा से सांसद बन जाने के बाद यह सीट रिक्त हो गई तो उपचुनाव में सपा के सुभाष राय विधायक बन गए. 2022 के चुनाव में सपा ने राकेश पांडेय को उतारा तो सुभाष राय ने सपा छोड़कर बीजेपी का दामन थामकर चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं. बसपा से राजेश सिंह चुनाव लड़ रहे हैं, जिसके चलते यह सीट काफी प्रोफाइल बन गई है.
विनय शंकर तिवारी
गोरखपुर जिले नौ विधानसभा में महज एक सीट चिल्लूपार है, जहां पर हरिशंकर तिवारी के सियासी वर्चस्व के चलते बीजेपी अभी तक कमल नहीं खिला सकी है. चिल्लूपार सीट पर 3 ब्राह्मण नेताओं के बीच सियासी जंग हो रही है. हरिशंकर तिवारी के बेटे मौजूदा विनय शंकर बसपा की हाथी से उतरकर सपा की साइकिल पर सवार होकर मैदान में उतरे हैं तो बीजेपी से पूर्व मंत्री राजेश त्रिपाठी, कांग्रेस से सोनिया शुक्ला और बसपा से राजेंद्र सिंह पहलवान ताल ठोक रहे हैं. ऐसे में तीन ब्राह्मण नेताओं की लड़ाई में बसपा से उतरे ठाकुर समुदाय से राजेंद्र सिंह ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. ऐसे में देखना होगा कि विनय शंकर तिवारी कैसे अपने पिता की सियासी विरासत बचा पाते हैं?
सुरेंद्र सिंह
बलिया की बैरिया विधानसभा सीट पर सभी की निगाहें है, जहां से बीजेपी ने अपने मौजूदा विधायक सुरेंद्र सिंह का टिकट काटकर बलिया सदर सीट से विधायक और यूपी सरकार के मंत्री आनंद स्वरूप शुक्ला को प्रत्याशी बना रखा है. सुरेंद्र सिंह ने बगावत का झंडा उठाते हुए वीआईपी पार्टी से चुनावी मैदान में कूद पड़े हैं, जिससे आनंद स्वरूप का सियासी समीकरण बिगड़ता नजर आ रहा है. वहीं, सपा से पूर्व विधायक जयप्रकाश अंचल मैदान में है तो बसपा से सुभाष यादव ताल ठोक रहे हैं. ऐसे में सुरेंद्र सिंह बीजेपी प्रत्याशी की चिंता बढ़ा रहे हैं तो बसपा प्रत्याशी ने सपा के जय प्रकाश के लिए सियासी चुनौती बन गए हैं.