लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अभी तीन चरणों में मतदान होने हैं. चुनाव अब पूर्वांचल की ओर बढ़ चला है, जहां हमेशा से बाहुबलियों का बोलबाला रहा है. ऐसे बाहुबली जो जेल में रहे हों या बाहर, सत्ता में रहे या विपक्ष में लेकिन उनकी तूती हमेशा बोली है. पूर्वांचल के इन्हीं बाहुबलियों के इर्द-गिर्द यूपी की सियासत भी घूमती रही है. इस बार विधानसभा चुनाव में इन बाहुबलियों का क्या है हाल? कौन कहां से मैदान में उतरा है? और कौन किसको चुनौती दे रहा है?
चिल्लूपार से हरिशंकर तिवारी के बेटे मैदान में
गोरखपुर के बाहुबली हरिशंकर तिवारी भले ही इस बार चुनावी मैदान में रह उतरे हों लेकिन उनकी परंपरागत चिल्लूपार सीट से बेटे विनय शंकर तिवारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर मैदान में हैं. इस सटी पर 37 साल से ब्राह्मण ही विधायक बनता रहा है. ब्राह्मणों की नाराजगी को देखते हुए विनय शंकर तिवारी समाजवादी पार्टी के सबसे बड़े ब्राह्मण चेहरा है. विनय शंकर तिवारी को बसपा ने निष्कासित कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने सपा का दामन थामा. वहीं बीजेपी ने यहां से पूर्व मंत्री राजेश त्रिपाठी को टिकट दिया है तो बीएसपी ने राजेंद्र सिंह उर्फ पहलवान सिंह को मैदान में उतारा है.
हरिशंकर तिवारी के बाद पूर्वांचल में बाहुबली मुख्तार अंसारी का सियासत में दबदबा रहा है. मुख्तार अंसारी 15 सालों से जेल में बंद है लेकिन जेल में रहकर भी मुख्तार अंसारी मऊ सदर सीट से चुनाव जीतते रहे है. मुख्तार इस सीट से 5 बार विधायक रहे लेकिन इस बार अंसारी परिवार की दूसरी पीढ़ी मैदान में है। मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी मऊ से चुनाव लड़ रहा है. अब्बास अंसारी सपा गठबंधन में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के टिकट पर मैदान में है. अब्बास इससे पहले 2017 बसपा की टिकट पर में घोसी सीट से विधानसभा चुनाव चुके हैं लेकिन उन्हें भाजपा के फागू चौहान ने हरा दिया था. अब्बास के खिलाफ बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर और भाजपा के अशोक कुमार सिंह मैदान में हैं. वहीं मोहम्मदाबाद सीट पर भी मुख्तार अंसारी का भतीजा मन्नू अंसारी सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है.
गोसाईगंज में चुनाव अभय सिंह बनाम खब्बू तिवारी
मुख्तार अंसारी के खास गुर्गे अभय सिंह की सियासी परीक्षा भी पांचवें चरण में होनी है। अभय सिंह अयोध्या के गोसाईगंज सीट से सपा के टिकट पर मैदान में हैं. अभय सिंह के सामने बीजेपी के पूर्व विधायक इंद्र प्रताप तिवारी उर्फ खब्बू तिवारी की पत्नी आरती तिवारी मैदान में हैं. अभय सिंह का सीधा मुकाबला भले ही आरती तिवारी से हो लेकिन साख जेल में बंद खब्बू तिवारी की दांव पर लगी है। बीते सप्ताह प्रचार के दौरान दोनों ही पक्षों में टकराव हो गया था. फायरिंग और पथराव भी हुआ था, जिसके बाद अभय सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया. हालांकि कोर्ट ने निजी मुचलके के बाद अभय सिंह को रिहा कर दिया.
आजमगढ़ से इस बार रमाकांत ने ठोकी ताल
पूर्वांचल के बाहुबलियों में एक नाम और आता है रमाकांत यादव का. हाल में आजमगढ़ में हुए शराब कांड के कारण रमाकांत यादव का नाम सुर्खियों में है. जिस सरकारी ठेके से शराब पीकर लोगों की जान गई वह सरकारी ठेका रंगेश यादव का था और रंगेश रमाकांत का करीबी रिश्तेदार है। रमाकांत फूलपुर पवई सीट से सपा के टिकट पर मैदान में हैं। इस सीट पर उनके बेटे अरुणकांत वर्तमान में भाजपा से विधायक हैं लेकिन बीजेपी ने इस बार चुनाव में रामसूरत को मैदान में उतारा है तो वहीं बसपा ने मुस्लिम कार्ड खेलते हुए शकील अहमद को मैदान में उतारा है।
जौनपुर की रारी सीट से बाहुबली धनंजय सिंह जनता दल यूनाइटेड के टिकट पर मैदान में हैं. धनंजय सिंह की पत्नी श्रीकला रेडी बीते पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष चुनी गईं। 2017 में धनंजय सिंह निषाद पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था हालांकि सपा के पारसनाथ यादव से हार गए थे. इस बार बीजेपी के साथ गठबंधन के चलते निषाद पार्टी ने दागी उम्मीदवारों से किनारा कर दिया इसलिए धनंजय सिंह को टिकट नहीं मिल पाया. मालमू हो कि एक मामले में आरोपित पूर्व सांसद धनंजय सिंह के खिलाफ 23 फरवरी को एसीजेएम तृतीय कोर्ट ने गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया है.
चंदौली में भांजे के कंधों पर बृजेश सिंह की साख
बृजेश सिंह की साख भी इस चुनाव में दांव पर है. एमएलसी बृजेश सिंह वाराणसी सेंट्रल जेल में बंद हैं. वो खुद तो चुनाव नहीं लड़ रहे लेकिन उनके भतीजे और बीजेपी से विधायक सुशील सिंह चंदौली की सैयद राजा सीट से फिर मैदान में हैं. सुशील सिंह के लिए अपनी सीट को बरकरार रखना जहां जरूरी है, वहीं सुशील सिंह का जीतना बृजेश सिंह की साख के लिए भी जरूरी है. सुशील पहली बार चंदौली के धानापुर से विधायक बने थे. इसके बाद सैयदराजा से भाजपा के विधायक हैं। अब चौथी बार मैदान में हैं. सैयदराजा सीट पर बसपा ने अमित कुमार यादव और सपा ने मनोज कुमार को मैदान में उतारा है.
इस बार बहुबली विजय मिश्रा जेल से ही चुनाव लड़ेंगे. भदोही की ज्ञानपुर सीट से विधायक विजय मिश्रा प्रगतिशील मानव समाज पार्टी से मैदान में हैं. विजय मिश्रा को निषाद पार्टी से विपुल दुबे, सपा से रामकिशोर बिन्द और बसपा से उपेंद्र सिंह से चुनौती मिल रही है. मालूम हो कि पिछले महीने विजय मिश्रा ने चुनाव के मद्देनजर जमानत अर्जी दाखिल की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी. विजय मिश्रा रिश्तेदार का मकान और फर्म कब्जा करने और युवती से दुष्कर्म के मामले में जेल में बंद हैं.
राजा भैया को चुनौती दे रहा उनका ही शागिर्द
प्रतापगढ़ का कुंडा यानी राजा भैया का इलाका. कुंडा सीट से 1993 से भदरी राजघराने के राजकुमार रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ही चुनाव जीतते आए हैं। निर्दलीय चुनाव जीतकर सपा, बसपा और भाजपा सरकार में मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह के सामने चुनौती उनका अपना ही शागिर्द गुलशन यादव दे रहा है. गुलशन यादव को समाजवादी पार्टी ने टिकट दिया है. भाजपा से सिन्धुजा मिश्रा मैदान में हैं तो वहीं बसपा से मोहम्मद फहीम ताल ठोक रहे हैं.
सुल्तानपुर में धनंजय सिंह के करीबी यशभद्र सिंह उर्फ मोनू जिले की इसौली विधानसभा सीट से बसपा के टिकट पर मैदान में हैं.