रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध शुरू हो चुका है. रूसी सेना की शुरुआती कार्रवाई ने ही पड़ोसी देश में तबाही मचा दी है. यूक्रेन ने भी दावा किया है कि उसने रूस के 6 प्लेन मार गिराए हैं. इसके अलावा 50 रूसी सैनिक मारे गए हैं और 2 टैंक भी नष्ट किए गए हैं. इन दावों को सच भी मान लें तो भी ये रूस को रोकने के लिए काफी नहीं हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या अमेरिका अफगानिस्तान की तरह यूक्रेन में भी अपनी सेना भेजेगा ताकि रूस से वहां मुकाबला किया जा सके? एक्सपर्ट की मानें तो इस सवाल का जवाब ‘ना’ है और इसकी वजह भी हैं.
रूस एक महाशक्ति है. सच्चाई तो ये है कि मौजूदा हालात में यूक्रेन उसके सामने कहीं नहीं टिकता है. यूक्रेन दुनिया के सभी देशों से मदद की गुहार लगा रहा है. लेकिन उसकी मदद के लिए जमीनी तौर अभी तक कोई नहीं पहुंचा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने रूस के वित्तीय संस्थानों पर प्रतिबंध लगाया है. लेकिन अब तक उन्होंने यूक्रेन को सैन्य मदद देने का ऐलान नहीं किया है.
बराक ओबामा, डोनाल्ड ट्रंप और अब जो बाइडेन इन सभी अमेरिकी राष्ट्रपतियों को रूस के खिलाफ कार्रवाई करने का मौका मिला. लेकिन उन्होंने रूस पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने के अलावा कोई कदम नहीं उठाए.’
खास बात ये भी है कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के फैसले ने बाइडन की विश्वभर में खूब किरकिरी करवाई थी. अमेरिकी सेना दशकों तक अफगानिस्तान में तालिबान से लड़ाई के नाम पर डेरा जमाए रखी. जो बाइडन ने राष्ट्रपति बनते ही अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का ऐलान कर दिया. इस फैसले की वजह से वहां के राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश छोड़कर भागना पड़ा और अफगानिस्तान के लोग तालिबानी शासन झेलने पर मजबूर हो गए. मुश्किल वक्त में अफगानिस्तान को ऐसे छोड़कर जाने पर अमेरिका की दुनियाभर में थू-थू हुई थी.
ऐसे में एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अमेरिका यूक्रेन की मदद के लिए सेना भेजने का रिस्क नहीं लेगा. रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल संजय कुलकर्णी कहते हैं कि रूस एक महाशक्ति है. यही कारण है कि अमेरिका और पश्चिमी देश यूक्रेन में अपनी सेना भेजने के लिए राजी नहीं हैं. जिस तरह से यूक्रेन की सीमाओं पर रूस ने 2 लाख सैनिक तैनात कर दिए हैं, वो साफ दर्शाता है कि रूस आर पार को तैयार है. ऐसे हालात में यूक्रेन को खुद ही पीछे हट जाना चाहिए और रूस से बातचीत कर इस मामले को सुलझाना चाहिए.