लखनऊ। उत्तर प्रदेश रामपुर से समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के उम्मीदवार मो. आजम खान का नामांकन गुरुवार (27 जनवरी 2022) को दाखिल हो गया। कोर्ट के आदेश पर बुधवार (26 जनवरी 2022) को सीतापुर जेल में आजम खान से नामांकन पत्र भरवाने के साथ ही अन्य सभी औपचारिकताएँ पूरी कराई गई थीं। गुरुवार को आजम खान के चीफ इलेक्शन एजेंट असीम रजा ने बताया कि उनका नामांकन आज दाखिल कर दिया गया है।
इस बीच समाजवादी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए आजम खान, उनकी पत्नी तज़ीन फातिमा और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खान का आपराधिक रिकॉर्ड शेयर किया है। समाजवादी पार्टी ने हाल ही में घोषणा की थी कि समाजवादी पार्टी के टिकट पर जेल में बंद सांसद आजम खान आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अपने गृहनगर रामपुर से चुनाव लड़ेंगे। खान रामपुर से वर्तमान लोकसभा सांसद हैं। वह फरवरी 2020 से सीतापुर जेल में बंद है। समाजवादी पार्टी के रामपुर उम्मीदवार पर 87 आपराधिक शिकायतें दर्ज हैं।
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) January 26, 2022
आज़म खान के खिलाफ अधिकांश मामले भारतीय दंड संहिता की धारा 153 (ए) (धार्मिक आधार पर विभिन्न समूहों के बीच घृणा को बढ़ावा देना), 159 (शब्द, हावभाव, या किसी महिला की शील भंग करने के इरादे से की गई गतिविधियों), 509 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करना), 448 (हाउस ट्रेस पास), और 500. (मानहानि) से संबंधित हैं। आजम खान पर चुनावी धाँधली का भी आरोप लगा है। उन पर कई मामलों (चुनाव के सिलसिले में झूठा बयान) में धारा 171 G के तहत आरोप लगाए गए हैं। यहाँ यह उल्लेखनीय है कि आजम खान और उनके परिवार के सदस्यों पर बकरियाँ चोरी करने से लेकर बिजली चोरी और इस्लामी संस्थान से पुरानी पांडुलिपियाँ चुराने के भी कई आरोप हैं।
आजम खान 9 बार विधानसभा के सदस्य रहे हैं और समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य हैं। समाजवादी पार्टी द्वारा जारी नोटिस में उल्लेख किया गया है कि उनके खिलाफ सभी मामले झूठे आरोपों पर आधारित हैं और इसके पीछे राजनीतिक मंशा है।
समाजवादी पार्टी आजम खान की पत्नी डॉ. तज़ीन फातिमा को भी नामांकित करना चाहती है। वह फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। उन पर 35 मामले दर्ज हैं।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 2018 में आदेश दिया था कि चुनाव लड़ रहे उम्मीदवारों के आपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी अखबार और टीवी चैनल में प्रसारित की जाए। 2018 में दिए फैसले का पालन न होने की जानकारी मिलने पर सुप्रीम कोर्ट ने 13 फरवरी 2020 को भी आदेश दिया था कि राजनीतिक दल किसी उम्मीदवार को टिकट देने के 48 घंटे के भीतर एक क्षेत्रीय अखबार और एक राष्ट्रीय अखबार में उसके ऊपर दर्ज और चल रहे मुकदमों की जानकारी प्रकाशित करें। पार्टियाँ टीवी चैनल पर भी यह जानकारी प्रसारित करें। राजनीतिक दल अपने आधिकारिक वेबसाइट और फेसबुक और ट्विटर अकाउंट पर भी इस जानकारी को डालें।
उम्मीदवार को टिकट देने के 72 घंटे के भीतर पूरी जानकारी चुनाव आयोग को दें। राजनीतिक दल को यह भी बताना पड़ेगा कि जिस उम्मीदवार पर अपराधिक मुकदमे लंबित हैं, उसने उसी को टिकट क्यों दिया? क्या वहाँ पर कोई बेदाग उम्मीदवार नहीं था?